पहली बार इतिहास में खतरे में अमेरिकी साख! रेटिंग एजेंसी की कटौती का भारत और दुनिया पर क्या असर?
US Credit Rating Downgrade: दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के इतिहास में पहली बार देखने को मिला है जब तीन प्रमुख रेटिंग एजेंसियों ने उसकी रेटिंग में कटौती की गई, यानी उसे टॉप टियर क्रेडिट रेटिंग नहीं दी गई. मूडी ने अमेरिकी सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ट्रिपल एक से घटाकर 'Aa1' कर दिया है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि साल 1919 से ही मूडी की तरफ से अमेरिका को टॉप रेटिंग दी जा रही थी. हालांकि जरूर 2023 में उसने अमेरिका को निगेटिव आउटलुक दिया था. इसी तरह से एसएडपी ग्लोबल रेटिंग ने 2011 में अमेरिका से ट्रिपल 'ए' की रेटिंग हटा दिया था. जबकि फिच रेटिंग भी 2023 के अगस्त से अमेरिका की रेटिंग को घटाकर ट्रिपल 'ए' से 'AA+' कर दिया था. बढ़ते कर्ज से घटी रेटिंग दरअसल, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की तरफ से अमेरिकी रेटिंग को घटाने की सबसे बड़ी वजह है बढ़ता हुआ कर्ज. मूडी का कहना है कि पिछले करीब एक दशक में तेजी के साथ अमेरिका का कर्ज बढ़ा है. साल 2024 में अमेरिका का ऋण करीब 35 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया था, जबकि उसकी जीडीपी ही करीब 29 ट्रिलियन डॉलर है. मूडी का ऐसा अनुमान है कि अमेरिकी का सरकारी घाटा यानी फेडरल डेफिसिट 2035 तक जीडीपी के 9 प्रतिशत तक आ सकता है. पिछले साल ये 6.4 प्रतिशत था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर रेटिंग एजेंसियों की तरफ से अमेरिका की रेटिंग घटाने का आखिर भारत और दुनिया के बाकी देशों पर क्या कुछ असर पड़ सकता है? क्या असर? रेटिंग एजेंसी की तरफ से इस तरह रेटिंग गिराने की वजह से अमेरिकी सरकार को पहले के मुकाबले ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है. किसी देश या कंपनी की रेटिंग को देखकर ही निवेशक ये तय करते हैं कि कितना कर्ज देना सुरक्षित हो पाएगा. इसके अलावा, इस वक्त भारताय बाजार में विदेश निवेशकों को भरोसा बना हुआ है. लेकिन वैश्विक निवेशकों का अगर रुझान बदलता है तो फिर इसके भारतीय बाजार में भी नुकसान देखने को मिल सकता है. कुल मिलाकर अब अमेरिका को अपनी रेटिंग को दुरुस्त करने के लिए अपने कर्ज और घाटे को कम करना होगा. ये भी पढ़ें: एक लाख का 5 साल में बना 4.99 करोड़, इस मल्टीबैगर स्टॉक ने दिया 44,999 प्रतिशत का जबरदस्त रिटर्न

US Credit Rating Downgrade: दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के इतिहास में पहली बार देखने को मिला है जब तीन प्रमुख रेटिंग एजेंसियों ने उसकी रेटिंग में कटौती की गई, यानी उसे टॉप टियर क्रेडिट रेटिंग नहीं दी गई. मूडी ने अमेरिकी सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ट्रिपल एक से घटाकर 'Aa1' कर दिया है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि साल 1919 से ही मूडी की तरफ से अमेरिका को टॉप रेटिंग दी जा रही थी. हालांकि जरूर 2023 में उसने अमेरिका को निगेटिव आउटलुक दिया था.
इसी तरह से एसएडपी ग्लोबल रेटिंग ने 2011 में अमेरिका से ट्रिपल 'ए' की रेटिंग हटा दिया था. जबकि फिच रेटिंग भी 2023 के अगस्त से अमेरिका की रेटिंग को घटाकर ट्रिपल 'ए' से 'AA+' कर दिया था.
बढ़ते कर्ज से घटी रेटिंग
दरअसल, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की तरफ से अमेरिकी रेटिंग को घटाने की सबसे बड़ी वजह है बढ़ता हुआ कर्ज. मूडी का कहना है कि पिछले करीब एक दशक में तेजी के साथ अमेरिका का कर्ज बढ़ा है. साल 2024 में अमेरिका का ऋण करीब 35 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया था, जबकि उसकी जीडीपी ही करीब 29 ट्रिलियन डॉलर है.
मूडी का ऐसा अनुमान है कि अमेरिकी का सरकारी घाटा यानी फेडरल डेफिसिट 2035 तक जीडीपी के 9 प्रतिशत तक आ सकता है. पिछले साल ये 6.4 प्रतिशत था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर रेटिंग एजेंसियों की तरफ से अमेरिका की रेटिंग घटाने का आखिर भारत और दुनिया के बाकी देशों पर क्या कुछ असर पड़ सकता है?
क्या असर?
रेटिंग एजेंसी की तरफ से इस तरह रेटिंग गिराने की वजह से अमेरिकी सरकार को पहले के मुकाबले ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है. किसी देश या कंपनी की रेटिंग को देखकर ही निवेशक ये तय करते हैं कि कितना कर्ज देना सुरक्षित हो पाएगा. इसके अलावा, इस वक्त भारताय बाजार में विदेश निवेशकों को भरोसा बना हुआ है. लेकिन वैश्विक निवेशकों का अगर रुझान बदलता है तो फिर इसके भारतीय बाजार में भी नुकसान देखने को मिल सकता है. कुल मिलाकर अब अमेरिका को अपनी रेटिंग को दुरुस्त करने के लिए अपने कर्ज और घाटे को कम करना होगा.
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