पहलगाम हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के पिता बोले- 'दुनिया घूमा, लेकिन हिंदुस्तान में उसकी हत्या हुई, क्योंकि वो हिंदू था'

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश का माहौल है. आम जनता से लेकर राजनेता तक हर कोई पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर रहा है. इस आतंकी हमले में जान गंवाने वाले कानपुर के शुभम द्विवेदी के परिवार के सदस्यों ने बताया कि आखिर कैसे उनकी जान बची. शुभम द्विवेदी की पत्नी ने दावा किया था कि आतंकियों को आतंकी अपने साथ एके-47 लेकर नहीं आए थे, बल्कि उन्हें वहां किसी ने हथियार सप्लाई किए थे. 'दुनिया घूमा, लेकिन हिंदुस्तान में उसकी हत्या हुई' बीबीसी से बात करते हुए शुभम द्विवेदी के पिता और बहन ने बताया कि आतंकी घटना के दिन क्या-क्या हुआ था? उस दिन (22 अप्रैल 2025) शुभम द्विवेदी के साथ उनके परिवार के दूसरे सदस्य भी बैसरन घाटी जाने के लिए निकले थे. शुभम के पिता ने कहा, "मेरा बेटा दुनिया के कई देशों में गया कहीं कोई समस्या नहीं हुई और अपने देश हिंदुस्तान में उसकी इसलिए निर्मम हत्या कर दी गई क्योंकि वह हिंदू है. ये सत्ता में बैठे शीर्ष लोगों को सोचना चाहिए." आधे रास्ते से लौट आए परिवार के सदस्य शुभम की बहन आरती द्विवेदी ने बताया, "हमलोग घोड़े से ऊपर जा रहे थे, जो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था. मैं बोली कि मैं नहीं जाऊंगी और मेरी वजह से छह लोग आधे रास्ते से वापस आ गए थे. जब मैं जाने से मना कर रही थी तो घोड़े वाले कह रहे थे कि अरे मैडम आप क्यों डर रही हैं... कुछ नहीं होगा, आप मत डरो. उसने (घोड़े वाले) मुझसे 10 मिनट तक बहस किया." 'एक फोन कॉल ने सबकुछ बदल दिया' शुभम के पिता संजय कुमार द्विवेदी ने बताया, "हम छह लोग वापस नीचे आ गए और एक रेस्टोरेंट में बैठकर चाय पी रहे थे. उसी समय मेरे बेटे का फोन पाया कि वह ऊपर पहुंच गया. उसने मुझसे कहा कि हमलोग 25 मिनट में नीचे आ जाएंगे तो हमने कहा कि जल्दी आ जाना हम इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद फिर फोन आया तो मुझे लगा कि शायद वो नीचे आ रहा होगा, लेकिन उस फोन ने सबकुछ बदल दिया." उन्होंने बताया, "ऐशन्या (शुभम की पत्नी) ने फोन किया और कहा कि शुभम को गोली लग गई. उसने भागते हुए फोन किया था. हमलोग भागते रहे, लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की. इसके बाद वहां सेना की गाड़ियां आने लगी और सभी भागने लगी. सेना के लोगों ने हमारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया."

May 2, 2025 - 22:30
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पहलगाम हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के पिता बोले- 'दुनिया घूमा, लेकिन हिंदुस्तान में उसकी हत्या हुई, क्योंकि वो हिंदू था'

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश का माहौल है. आम जनता से लेकर राजनेता तक हर कोई पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर रहा है. इस आतंकी हमले में जान गंवाने वाले कानपुर के शुभम द्विवेदी के परिवार के सदस्यों ने बताया कि आखिर कैसे उनकी जान बची. शुभम द्विवेदी की पत्नी ने दावा किया था कि आतंकियों को आतंकी अपने साथ एके-47 लेकर नहीं आए थे, बल्कि उन्हें वहां किसी ने हथियार सप्लाई किए थे.

'दुनिया घूमा, लेकिन हिंदुस्तान में उसकी हत्या हुई'

बीबीसी से बात करते हुए शुभम द्विवेदी के पिता और बहन ने बताया कि आतंकी घटना के दिन क्या-क्या हुआ था? उस दिन (22 अप्रैल 2025) शुभम द्विवेदी के साथ उनके परिवार के दूसरे सदस्य भी बैसरन घाटी जाने के लिए निकले थे. शुभम के पिता ने कहा, "मेरा बेटा दुनिया के कई देशों में गया कहीं कोई समस्या नहीं हुई और अपने देश हिंदुस्तान में उसकी इसलिए निर्मम हत्या कर दी गई क्योंकि वह हिंदू है. ये सत्ता में बैठे शीर्ष लोगों को सोचना चाहिए."

आधे रास्ते से लौट आए परिवार के सदस्य

शुभम की बहन आरती द्विवेदी ने बताया, "हमलोग घोड़े से ऊपर जा रहे थे, जो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था. मैं बोली कि मैं नहीं जाऊंगी और मेरी वजह से छह लोग आधे रास्ते से वापस आ गए थे. जब मैं जाने से मना कर रही थी तो घोड़े वाले कह रहे थे कि अरे मैडम आप क्यों डर रही हैं... कुछ नहीं होगा, आप मत डरो. उसने (घोड़े वाले) मुझसे 10 मिनट तक बहस किया."

'एक फोन कॉल ने सबकुछ बदल दिया'

शुभम के पिता संजय कुमार द्विवेदी ने बताया, "हम छह लोग वापस नीचे आ गए और एक रेस्टोरेंट में बैठकर चाय पी रहे थे. उसी समय मेरे बेटे का फोन पाया कि वह ऊपर पहुंच गया. उसने मुझसे कहा कि हमलोग 25 मिनट में नीचे आ जाएंगे तो हमने कहा कि जल्दी आ जाना हम इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद फिर फोन आया तो मुझे लगा कि शायद वो नीचे आ रहा होगा, लेकिन उस फोन ने सबकुछ बदल दिया."

उन्होंने बताया, "ऐशन्या (शुभम की पत्नी) ने फोन किया और कहा कि शुभम को गोली लग गई. उसने भागते हुए फोन किया था. हमलोग भागते रहे, लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की. इसके बाद वहां सेना की गाड़ियां आने लगी और सभी भागने लगी. सेना के लोगों ने हमारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया."

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