न लिवर रहेगा फैटी और बॉडी भी होगी डिटॉक्स, बस रुटीन में लानी होंगी डॉक्टर की बताईं ये 3 आदतें

हममें से ज्यादातर लोग लिवर के बारे में तब सोचते हैं जब इसमें कोई समस्या आ जाती है. जबकि यह हमारे शरीर का सबसे मेहनती अंग है. लिवर पाचन को दुरुस्त रखता है, खाने-पीने की चीजों को प्रोसेस करता है और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है. आयुर्वेद में लिवर को और भी खास माना गया है. इसे रक्तवाह स्रोत से जोड़ा गया है, यानी यह न सिर्फ खून और पित्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है, बल्कि इसका असंतुलन दिल, फेफड़े और पेट समेत कई अंगों को प्रभावित कर सकता है. AVP रिसर्च फाउंडेशन के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. सोमित कुमार के अनुसार, लिवर को स्वस्थ रखने के लिए बड़े बदलाव नहीं, बल्कि जीवन में छोटे-छोटे बदलाव जरूरी हैं. आयुर्वेद के अनुसार, लिवर का सीधा संबंध पित्त दोष से है, जो शरीर में गर्मी और पाचन को नियंत्रित करता है. ज्यादा शराब पीना या अत्यधिक नमकीन और खट्टे खाद्य पदार्थ खाना इस संतुलन को बिगाड़ देता है, जिससे लिवर पर दबाव बढ़ता है. इसका असर सूजन, सेल डैमेज और समय से पहले बुढ़ापे के रूप में दिख सकता है. आयुर्वेद में अग्नि यानी पाचन अग्नि का भी जिक्र है, जो भोजन को रस धातु में बदलती है. लिवर में पांच सूक्ष्म अग्नियां (भूत अग्नि) होती हैं, जो शरीर को डिटॉक्स, डाइजेस्ट और रिन्यू करती हैं. कैसा हो खानपान? लिवर की देखभाल फैंसी डाइट से नहीं, बल्कि संतुलित खाने से होती है. आयुर्वेद के अनुसार: रूटीन में खाएं: समय पर भोजन करें, उल्टे-सीधे फूड कॉम्बिनेशन (विरुद्ध आहार) से बचें और डाइट में सभी छह रस शामिल करें. आसान पचने वाला भोजन: चावल, ओट्स, गेहूं, जौ और मिलेट जैसे अनाज लें. दालों में मूंग सबसे हल्की मानी जाती है. फल और सब्जियां: सेब, पपीता, अनार लिवर के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन साइट्रस फ्रूट्स और आम का अधिक सेवन न करें. सब्जियों में गाजर और चुकंदर बेहतर विकल्प हैं. डेयरी प्रोडक्ट्स: घी और छाछ लाभकारी हैं, जबकि दही और पनीर सीमित मात्रा में खाएं. जड़ी-बूटियों और मसालों का महत्व हल्दी करक्यूमिन की वजह से प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी मानी जाती है. लहसुन, अदरक, जीरा, सौंफ, काली मिर्च: पाचन सुधारते हैं और लिवर पर तनाव घटाते हैं. गिलोय, भूम्यामलकी, मुलैठी: लिवर सेल्स को रिन्यू करते हैं और टॉक्सिन्स हटाते हैं. लाइफस्टाइल टिप्स रोजाना थोड़ी एक्सरसाइज, योग या वॉक करें. तनाव कम करें मेडिटेशन और माइंडफुलनेस अपनाएं. पर्याप्त नींद लें, क्योंकि लिवर की रिपेयरिंग नींद में ही होती है. इसे भी पढ़ें- क्या होता है ओजेम्पिक ट्रीटमेंट, इसका इंजेक्शन लगवाना कितना खतरनाक? Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Jul 28, 2025 - 16:30
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न लिवर रहेगा फैटी और बॉडी भी होगी डिटॉक्स, बस रुटीन में लानी होंगी डॉक्टर की बताईं ये 3 आदतें

हममें से ज्यादातर लोग लिवर के बारे में तब सोचते हैं जब इसमें कोई समस्या आ जाती है. जबकि यह हमारे शरीर का सबसे मेहनती अंग है. लिवर पाचन को दुरुस्त रखता है, खाने-पीने की चीजों को प्रोसेस करता है और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है. आयुर्वेद में लिवर को और भी खास माना गया है. इसे रक्तवाह स्रोत से जोड़ा गया है, यानी यह न सिर्फ खून और पित्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है, बल्कि इसका असंतुलन दिल, फेफड़े और पेट समेत कई अंगों को प्रभावित कर सकता है.

AVP रिसर्च फाउंडेशन के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. सोमित कुमार के अनुसार, लिवर को स्वस्थ रखने के लिए बड़े बदलाव नहीं, बल्कि जीवन में छोटे-छोटे बदलाव जरूरी हैं. आयुर्वेद के अनुसार, लिवर का सीधा संबंध पित्त दोष से है, जो शरीर में गर्मी और पाचन को नियंत्रित करता है. ज्यादा शराब पीना या अत्यधिक नमकीन और खट्टे खाद्य पदार्थ खाना इस संतुलन को बिगाड़ देता है, जिससे लिवर पर दबाव बढ़ता है. इसका असर सूजन, सेल डैमेज और समय से पहले बुढ़ापे के रूप में दिख सकता है.

आयुर्वेद में अग्नि यानी पाचन अग्नि का भी जिक्र है, जो भोजन को रस धातु में बदलती है. लिवर में पांच सूक्ष्म अग्नियां (भूत अग्नि) होती हैं, जो शरीर को डिटॉक्स, डाइजेस्ट और रिन्यू करती हैं.

कैसा हो खानपान?

लिवर की देखभाल फैंसी डाइट से नहीं, बल्कि संतुलित खाने से होती है. आयुर्वेद के अनुसार:

रूटीन में खाएं: समय पर भोजन करें, उल्टे-सीधे फूड कॉम्बिनेशन (विरुद्ध आहार) से बचें और डाइट में सभी छह रस शामिल करें.

आसान पचने वाला भोजन: चावल, ओट्स, गेहूं, जौ और मिलेट जैसे अनाज लें. दालों में मूंग सबसे हल्की मानी जाती है.

फल और सब्जियां: सेब, पपीता, अनार लिवर के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन साइट्रस फ्रूट्स और आम का अधिक सेवन न करें. सब्जियों में गाजर और चुकंदर बेहतर विकल्प हैं.

डेयरी प्रोडक्ट्स: घी और छाछ लाभकारी हैं, जबकि दही और पनीर सीमित मात्रा में खाएं.

जड़ी-बूटियों और मसालों का महत्व

हल्दी करक्यूमिन की वजह से प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी मानी जाती है. लहसुन, अदरक, जीरा, सौंफ, काली मिर्च: पाचन सुधारते हैं और लिवर पर तनाव घटाते हैं. गिलोय, भूम्यामलकी, मुलैठी: लिवर सेल्स को रिन्यू करते हैं और टॉक्सिन्स हटाते हैं.

लाइफस्टाइल टिप्स

  • रोजाना थोड़ी एक्सरसाइज, योग या वॉक करें.
  • तनाव कम करें मेडिटेशन और माइंडफुलनेस अपनाएं.
  • पर्याप्त नींद लें, क्योंकि लिवर की रिपेयरिंग नींद में ही होती है.

इसे भी पढ़ें- क्या होता है ओजेम्पिक ट्रीटमेंट, इसका इंजेक्शन लगवाना कितना खतरनाक?

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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