दवा लेने के बाद भी बिगड़ रही तबीयत... चपेट में तो नहीं ले रहा AMR, जानें कितनी खतरनाक है यह ​स्थिति?

बीमार होने पर दवा लेते हैं, कई बार दवा किसी भी बीमारी पर काम नहीं करती है. दरअसल, जब दवा लेने के बाद भी बीमारी बढ़ती चली जाए तो ये एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) की ​कंडीशन हो सकती है. क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? इससे क्या-क्या दिक्कतें होती हैं? आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं. क्या होता है एएमआर? इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स का यूज सामान्य हो गया है, लेकिन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) की ​स्थिति तब बनती है, जब दवा बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट के प्रति रिस्पॉन्स देना बंद कर देती हैं. एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटीफंगल जैसी दवाएं बेअसर दिखने लगती हैं. आसान शब्दों में समझें तो ये दवाएं ह्यूमन बॉडी में बीमारी का इलाज नहीं कर पाती हैं. बै​क्टीरिया को खत्म नहीं कर पातीं. ऐसे में पेशेंट की ​तबीयत बिगड़ सकती है. एएमआर का क्या होता है कारण? एएमआर का प्रमुख कारण एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग या बहुत ज्यादा इस्तेमाल करना है. एंटीबायोटिक दवाओं के टोटल प्रॉडक्शन का लगभग 30 पर्सेंट का इस्तेमाल इंसानों का इलाज में किया जाता है. बची हुई एंटीबायोटिक का इस्तेमाल एनिमल और एग्रीकल्चर आदि में होता है. भारत जैसे देशों में, जहां बिना डॉक्टर के पर्चे के एंटीबायोटिक्स बेची जाती हैं, इससे रेजिस्टेंस की समस्या बढ़ जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एएमआर को टॉप-10 ग्लोबल हेल्थ इश्यूज में से एक घोषित किया है. इससे एएमआर के खतरे को समझा जा सकता है. कितना खतरनाक है एएमआर? एएमआर कितना खतरनाक है, ​इसका अंदाजा आंकड़ों से लगाया जा सकता है. इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड एवैल्यूएशन (आईएचएमई) यूनिवर्सिटी ऑफ वॉ​शिंगटन की रिपोर्ट अनुसार, साल 2019 में 1.27 मिलियन लोगों की मौत एएमआर के चलते हुई. वहीं, भारत में 2.97 लाख लोगों ने इसकी वजह से अपनी जान गंवाई. द लैंसेट में प​ब्लिश एक स्टडी के अनुसार, वर्ष 2050 तक दुनियाभर में 1.91 मिलियन लोगों की मौत की सीधी वजह एएमआर हो सकती है. इससे जुड़ी अन्य दिक्कतों के चलते मौत का यह आंकड़ा 8.22 मिलियन तक पहुंच सकता है. प​ब्लिक अवेयरनेस बेहद जरूरी एएमआर का खतरा जिस कदर बढ़ रहा है, इसे रोकने के लिए सरकार भी एक्टिव है. सरकार की ओर से मल्टीपल फ्रंट्स पर इसको लेकर लगातार काम किया जा रहा है, जिसमें एएमआर सर्विलांस नेटवर्क स्थापित करना, नेशनल एक्शन प्लान और प​ब्लिक को अवेयर करना आदि शामिल हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, प​ब्लिक अवेयरनेस पर शुरू से ही ध्यान देने की आवश्यकता है. वायरल बुखार के लिए भी लोग एंटीबायोटिक्स लेते हैं, जिसका कोई असर नहीं होता, ब​ल्कि ये रेजिस्टेंस का बढ़ाता है. कैसे बच सकते हैं आप? बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवा का यूज करने से बचें. नियमित रूप से हाथ धोएं. प​ब्लिक प्लेस पर हाईजीन का ध्यान रखें. बीमार होने पर दूसरों के संपर्क में आने से बचें. खाना पकाने, खाने और पानी के सेवन में सफाई का ध्यान रखें. ये भी पढ़ें: क्या रोटी-चीनी और दूध छोड़ने से फिट हो जाती हैं महिलाएं, विराट कोहली की बीवी का यह फिटनेस फंडा कितना अच्छा? Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

May 25, 2025 - 12:30
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दवा लेने के बाद भी बिगड़ रही तबीयत... चपेट में तो नहीं ले रहा AMR, जानें कितनी खतरनाक है यह ​स्थिति?

बीमार होने पर दवा लेते हैं, कई बार दवा किसी भी बीमारी पर काम नहीं करती है. दरअसल, जब दवा लेने के बाद भी बीमारी बढ़ती चली जाए तो ये एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) की ​कंडीशन हो सकती है. क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? इससे क्या-क्या दिक्कतें होती हैं? आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्या होता है एएमआर?

इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स का यूज सामान्य हो गया है, लेकिन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) की ​स्थिति तब बनती है, जब दवा बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट के प्रति रिस्पॉन्स देना बंद कर देती हैं. एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटीफंगल जैसी दवाएं बेअसर दिखने लगती हैं. आसान शब्दों में समझें तो ये दवाएं ह्यूमन बॉडी में बीमारी का इलाज नहीं कर पाती हैं. बै​क्टीरिया को खत्म नहीं कर पातीं. ऐसे में पेशेंट की ​तबीयत बिगड़ सकती है.

एएमआर का क्या होता है कारण?

एएमआर का प्रमुख कारण एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग या बहुत ज्यादा इस्तेमाल करना है. एंटीबायोटिक दवाओं के टोटल प्रॉडक्शन का लगभग 30 पर्सेंट का इस्तेमाल इंसानों का इलाज में किया जाता है. बची हुई एंटीबायोटिक का इस्तेमाल एनिमल और एग्रीकल्चर आदि में होता है. भारत जैसे देशों में, जहां बिना डॉक्टर के पर्चे के एंटीबायोटिक्स बेची जाती हैं, इससे रेजिस्टेंस की समस्या बढ़ जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एएमआर को टॉप-10 ग्लोबल हेल्थ इश्यूज में से एक घोषित किया है. इससे एएमआर के खतरे को समझा जा सकता है.

कितना खतरनाक है एएमआर?

एएमआर कितना खतरनाक है, ​इसका अंदाजा आंकड़ों से लगाया जा सकता है. इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड एवैल्यूएशन (आईएचएमई) यूनिवर्सिटी ऑफ वॉ​शिंगटन की रिपोर्ट अनुसार, साल 2019 में 1.27 मिलियन लोगों की मौत एएमआर के चलते हुई. वहीं, भारत में 2.97 लाख लोगों ने इसकी वजह से अपनी जान गंवाई. द लैंसेट में प​ब्लिश एक स्टडी के अनुसार, वर्ष 2050 तक दुनियाभर में 1.91 मिलियन लोगों की मौत की सीधी वजह एएमआर हो सकती है. इससे जुड़ी अन्य दिक्कतों के चलते मौत का यह आंकड़ा 8.22 मिलियन तक पहुंच सकता है.

प​ब्लिक अवेयरनेस बेहद जरूरी

एएमआर का खतरा जिस कदर बढ़ रहा है, इसे रोकने के लिए सरकार भी एक्टिव है. सरकार की ओर से मल्टीपल फ्रंट्स पर इसको लेकर लगातार काम किया जा रहा है, जिसमें एएमआर सर्विलांस नेटवर्क स्थापित करना, नेशनल एक्शन प्लान और प​ब्लिक को अवेयर करना आदि शामिल हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, प​ब्लिक अवेयरनेस पर शुरू से ही ध्यान देने की आवश्यकता है. वायरल बुखार के लिए भी लोग एंटीबायोटिक्स लेते हैं, जिसका कोई असर नहीं होता, ब​ल्कि ये रेजिस्टेंस का बढ़ाता है.

कैसे बच सकते हैं आप?

  • बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवा का यूज करने से बचें.
  • नियमित रूप से हाथ धोएं. प​ब्लिक प्लेस पर हाईजीन का ध्यान रखें.
  • बीमार होने पर दूसरों के संपर्क में आने से बचें.
  • खाना पकाने, खाने और पानी के सेवन में सफाई का ध्यान रखें.

ये भी पढ़ें: क्या रोटी-चीनी और दूध छोड़ने से फिट हो जाती हैं महिलाएं, विराट कोहली की बीवी का यह फिटनेस फंडा कितना अच्छा?

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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