तमिलनाडु में सीएम के नाम से शुरू 'उंगालुडन स्टालिन' कार्यक्रम को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाया
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की 'उंगालुडन स्टालिन' यानी 'स्टालिन आपके साथ' कार्यक्रम को मंजूरी दी है. कोर्ट ने इस कार्यक्रम के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में लंबित याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही, याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपए हर्जाना भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राजनीतिक लड़ाई के लिए न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया. 'उंगालुडन स्टालिन' तमिलनाडु सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए विशेष कैंप लगाने की योजना है. इसके खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में AIADMK सांसद सी वी षणमुगम ने याचिका दाखिल की थी. षणमुगम ने कहा था कि मुख्यमंत्री स्टालिन के नाम से सरकारी कार्यक्रम का नाम रखना नियम विरुद्ध है. याचिका को सुनते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने इस कार्यक्रम पर रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार और सत्ताधारी पार्टी DMK सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि षणमुगम की याचिका कानून की गलत जानकारी पर आधारित थी. 'कॉमन कॉज' मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकारी पैसों से राजनीतिक पार्टी के प्रचार के खिलाफ था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ही सरकारी विज्ञापनों में मुख्यमंत्री की फोटो के इस्तेमाल की अनुमति दी थी. कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की तरफ से देश भर में राजनीतिक नेताओं के नाम पर चल रही 45 योजनाओं की लिस्ट का भी उल्लेख किया. जजों ने कहा कि इस तरह का नामकरण पूरे देश में हो रहा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने षणमुगम के आचरण पर गंभीर सवाल उठाए. चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया, लेकिन उसने आयोग के आदेश का इंतजार नहीं किया. 3 दिन के भीतर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. राजनीतिक लड़ाई के लिए कोर्ट के इस्तेमाल का उदाहरण है. इतना ही नहीं याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग के बारे में भी विवादित बयान दिए. सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मद्रास हाई कोर्ट में लंबित याचिका को खारिज कर रहा है. याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाया जा रहा है. वह एक सप्ताह में यह राशि तमिलनाडु सरकार के पास जमा करवाए. इस राशि का इस्तेमाल कल्याण योजनाओं में किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की 'उंगालुडन स्टालिन' यानी 'स्टालिन आपके साथ' कार्यक्रम को मंजूरी दी है. कोर्ट ने इस कार्यक्रम के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में लंबित याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही, याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपए हर्जाना भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राजनीतिक लड़ाई के लिए न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया.
'उंगालुडन स्टालिन' तमिलनाडु सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए विशेष कैंप लगाने की योजना है. इसके खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में AIADMK सांसद सी वी षणमुगम ने याचिका दाखिल की थी. षणमुगम ने कहा था कि मुख्यमंत्री स्टालिन के नाम से सरकारी कार्यक्रम का नाम रखना नियम विरुद्ध है. याचिका को सुनते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने इस कार्यक्रम पर रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार और सत्ताधारी पार्टी DMK सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी.
चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि षणमुगम की याचिका कानून की गलत जानकारी पर आधारित थी. 'कॉमन कॉज' मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकारी पैसों से राजनीतिक पार्टी के प्रचार के खिलाफ था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ही सरकारी विज्ञापनों में मुख्यमंत्री की फोटो के इस्तेमाल की अनुमति दी थी. कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की तरफ से देश भर में राजनीतिक नेताओं के नाम पर चल रही 45 योजनाओं की लिस्ट का भी उल्लेख किया. जजों ने कहा कि इस तरह का नामकरण पूरे देश में हो रहा है.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने षणमुगम के आचरण पर गंभीर सवाल उठाए. चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया, लेकिन उसने आयोग के आदेश का इंतजार नहीं किया. 3 दिन के भीतर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. राजनीतिक लड़ाई के लिए कोर्ट के इस्तेमाल का उदाहरण है. इतना ही नहीं याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग के बारे में भी विवादित बयान दिए.
सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मद्रास हाई कोर्ट में लंबित याचिका को खारिज कर रहा है. याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाया जा रहा है. वह एक सप्ताह में यह राशि तमिलनाडु सरकार के पास जमा करवाए. इस राशि का इस्तेमाल कल्याण योजनाओं में किया जाए.
What's Your Reaction?






