जुकरबर्ग ने अचानक क्यों ज्वाइन कर ली अमेरिकी सेना? मेटा अब बनाएगी 'सुपर सोल्जर', जानिए पूरा मामला
आज की दुनिया में जंग सिर्फ ताकत से नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से भी जीती जाती है। और इसी दिशा में अब मेटा कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक बड़ा कदम उठाया है. सोशल मीडिया की दुनिया में राज करने के बाद अब जुकरबर्ग का फोकस है अमेरिका की सेना को हाईटेक और स्मार्ट बनाना. मेटा अब सिर्फ फेसबुक, इंस्टाग्राम या व्हाट्सऐप तक सीमित नहीं रहने वाली. कंपनी अब अमेरिका की डिफेंस इंडस्ट्री में कदम रख चुकी है और सैनिकों के लिए खास तकनीक पर काम शुरू कर दिया है. स्मार्ट चश्मा और हाईटेक हेलमेट मेटा और एंड्रिल नाम की डिफेंस टेक्नोलॉजी कंपनी मिलकर ऐसे स्मार्ट डिवाइस बना रही हैं, जो सेना के काम आने वाले हैं. इसमें खास चश्मे और हेलमेट शामिल हैं, जिनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कई तरह के सेंसर लगे होंगे. इन गैजेट्स के ज़रिए सैनिकों को रियल टाइम में जरूरी जानकारी मिलेगी यानी जैसे ही कोई खतरा होगा, उसे तुरंत देखा और समझा जा सकेगा. ये डिवाइस सैनिकों की आंख और कान की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगे. दुश्मन का पता लगेगा पहले इन स्मार्ट चश्मों और हेलमेट्स से सैनिक दूर से आने वाले खतरे को पहले ही भांप सकेंगे चाहे वो ड्रोन हो या कहीं छिपा हुआ दुश्मन. इससे हमले की प्लानिंग और एक्यूरेसी दोनों बेहतर हो जाएगी. एक और खास बात ये है कि ये तकनीक सैनिकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस हथियारों से सीधे संवाद करने की क्षमता देगी. यानी सैनिक एक तरह से अपने हथियारों से 'बात' करके उन्हें कंट्रोल कर पाएंगे. सेना की सोच बदलेगी मेटा और एंड्रिल की इस साझेदारी से अमेरिकी सेना का काम करने का तरीका ही बदल सकता है. अभी तक जो चीजें फिल्मों में देखी जाती थीं, अब वो असल जिंदगी में सैनिकों की रोजमर्रा की टेक्नोलॉजी बनने जा रही हैं. अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा, तो मेटा की छवि पूरी तरह बदल सकती है. अब लोग उसे सिर्फ सोशल मीडिया कंपनी नहीं, बल्कि आधुनिक युद्ध तकनीक बनाने वाली बड़ी टेक कंपनी के रूप में भी जानने लगेंगे. तकनीक से बनेगा नया सुरक्षा कवच जुकरबर्ग का यह कदम दिखाता है कि कैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ चैटिंग या फोटो शेयरिंग तक सीमित नहीं है. अब यही तकनीक सेना के लिए सुरक्षा कवच बन रही है. जिस तेजी से दुनिया में खतरों के रूप बदल रहे हैं, उसी तेजी से उनकी काट भी स्मार्ट होनी चाहिए और इसमें एआई अब अहम भूमिका निभाने जा रहा है. जुकरबर्ग की मेटा अब उसी स्मार्ट वॉर का हिस्सा बन चुकी है. मार्क जुकरबर्ग अब सिर्फ डिजिटल लाइफ को बदलने की नहीं, बल्कि रियल वॉर ज़ोन में भी क्रांति लाने की तैयारी में हैं. एआई से लैस सैनिक भविष्य की लड़ाइयों में पहले से कहीं ज्यादा तैयार और मजबूत होंगे और इसमें मेटा की भूमिका अब सिर्फ एक टेक कंपनी से कहीं ज्यादा बड़ी होती जा रही है.

आज की दुनिया में जंग सिर्फ ताकत से नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से भी जीती जाती है। और इसी दिशा में अब मेटा कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक बड़ा कदम उठाया है. सोशल मीडिया की दुनिया में राज करने के बाद अब जुकरबर्ग का फोकस है अमेरिका की सेना को हाईटेक और स्मार्ट बनाना.
मेटा अब सिर्फ फेसबुक, इंस्टाग्राम या व्हाट्सऐप तक सीमित नहीं रहने वाली. कंपनी अब अमेरिका की डिफेंस इंडस्ट्री में कदम रख चुकी है और सैनिकों के लिए खास तकनीक पर काम शुरू कर दिया है.
स्मार्ट चश्मा और हाईटेक हेलमेट
मेटा और एंड्रिल नाम की डिफेंस टेक्नोलॉजी कंपनी मिलकर ऐसे स्मार्ट डिवाइस बना रही हैं, जो सेना के काम आने वाले हैं. इसमें खास चश्मे और हेलमेट शामिल हैं, जिनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कई तरह के सेंसर लगे होंगे.
इन गैजेट्स के ज़रिए सैनिकों को रियल टाइम में जरूरी जानकारी मिलेगी यानी जैसे ही कोई खतरा होगा, उसे तुरंत देखा और समझा जा सकेगा. ये डिवाइस सैनिकों की आंख और कान की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगे.
दुश्मन का पता लगेगा पहले
इन स्मार्ट चश्मों और हेलमेट्स से सैनिक दूर से आने वाले खतरे को पहले ही भांप सकेंगे चाहे वो ड्रोन हो या कहीं छिपा हुआ दुश्मन. इससे हमले की प्लानिंग और एक्यूरेसी दोनों बेहतर हो जाएगी.
एक और खास बात ये है कि ये तकनीक सैनिकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस हथियारों से सीधे संवाद करने की क्षमता देगी. यानी सैनिक एक तरह से अपने हथियारों से 'बात' करके उन्हें कंट्रोल कर पाएंगे.
सेना की सोच बदलेगी
मेटा और एंड्रिल की इस साझेदारी से अमेरिकी सेना का काम करने का तरीका ही बदल सकता है. अभी तक जो चीजें फिल्मों में देखी जाती थीं, अब वो असल जिंदगी में सैनिकों की रोजमर्रा की टेक्नोलॉजी बनने जा रही हैं.
अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा, तो मेटा की छवि पूरी तरह बदल सकती है. अब लोग उसे सिर्फ सोशल मीडिया कंपनी नहीं, बल्कि आधुनिक युद्ध तकनीक बनाने वाली बड़ी टेक कंपनी के रूप में भी जानने लगेंगे.
तकनीक से बनेगा नया सुरक्षा कवच
जुकरबर्ग का यह कदम दिखाता है कि कैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ चैटिंग या फोटो शेयरिंग तक सीमित नहीं है. अब यही तकनीक सेना के लिए सुरक्षा कवच बन रही है. जिस तेजी से दुनिया में खतरों के रूप बदल रहे हैं, उसी तेजी से उनकी काट भी स्मार्ट होनी चाहिए और इसमें एआई अब अहम भूमिका निभाने जा रहा है. जुकरबर्ग की मेटा अब उसी स्मार्ट वॉर का हिस्सा बन चुकी है.
मार्क जुकरबर्ग अब सिर्फ डिजिटल लाइफ को बदलने की नहीं, बल्कि रियल वॉर ज़ोन में भी क्रांति लाने की तैयारी में हैं. एआई से लैस सैनिक भविष्य की लड़ाइयों में पहले से कहीं ज्यादा तैयार और मजबूत होंगे और इसमें मेटा की भूमिका अब सिर्फ एक टेक कंपनी से कहीं ज्यादा बड़ी होती जा रही है.
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