जब डेंगू होता है तो कैसे मौत के करीब पहुंच जाता है इंसान, जानें स्टेप बाई स्टेप होने वाली दिक्कत
National Dengue Day: एक दिन हल्का बुखार आता है और आप सोचते हैं. शायद मौसम का असर है, आराम कर लेंगे तो ठीक हो जाएगा. लेकिन धीरे-धीरे बुखार तेज होने लगता है, शरीर में दर्द बढ़ता है, भूख गायब हो जाती है और कुछ ही दिनों में हालत इतनी खराब हो जाती है कि, अस्पताल की जरूरत पड़ जाती है. यह एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है जो मामूली बुखार से शुरू होकर शरीर को मौत के दरवाजे तक ले जा सकता है. आज पूरा देश राष्ट्रीय डेंगू दिवस मना रहा है। इसलिए आज हम समझेंगे कि, डेंगू किस तरह से इंसान के शरीर पर असर करता है और किन स्टेप्स में ये बीमारी गंभीर होती जाती है. अगर समय पर लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो इलाज संभव है. वरना मौत भी हो सकती है. मच्छर काटने से वायरस की एंट्री होना डेंगू मच्छर के काटने से होता है. जब ये संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उसके खून में प्रवेश कर जाता है. शुरुआत में किसी को इसका एहसास भी नहीं होता, क्योंकि पहले 4 से 7 दिनों तक लक्षण हल्के रहते हैं. ये भी पढ़े- इन लोगों को लगती है सबसे ज्यादा गर्मी, जानिए इसके पीछे की वजह बुखार और शरीर में दर्द होना डेंगू की शुरुआत तेज बुखार से होती है. इसके साथ सिर दर्द, आंखों में दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर रैशेज और थकावट महसूस होती है. कई लोग इसे वायरल फीवर समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. प्लेटलेट्स गिरने लगती है डेंगू का सबसे खतरनाक चरण तब शुरू होता है जब मरीज के प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरने लगती है. प्लेटलेट्स खून को जमने में मदद करते हैं और जब इनकी संख्या 1.5 लाख से नीचे आने लगती है, तो शरीर में अंदरूनी रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है. ब्लीडिंग और अंगों पर असर होना प्लेटलेट्स के गिरने के साथ ही नाक से खून आना, मसूड़ों से खून बहना, पेशाब या मल में खून आना शुरू हो सकता है. कुछ मामलों में पेट, लिवर और फेफड़ों जैसे अंगों में सूजन आ जाती है, जिससे अंग काम करना बंद कर सकते हैं. यह स्थिति जानलेवा हो सकती है. कुछ लोगों को डेंगू शॉक सिंड्रोम होता है जब ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा गिर जाता है और शरीर के अंगों को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता, तो इसे डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है. इसमें रोगी बेहोश हो सकता है, पल्स कमजोर हो जाती है और तुरंत ICU में भर्ती की जरूरत होती है. अगर सही समय पर उपचार न मिले, तो मरीज की जान जा सकती है. डेंगू होने पर क्या-क्या करें? मच्छरों से बचाव करें, खासकर दिन के समय में इस पर ध्यान देना जरूरी है. शरीर को हाइड्रेट रखें और बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. प्लेटलेट्स गिरने पर पपीते के पत्ते का रस और तरल पदार्थों का सेवन करें. घरेलू इलाज की जगह सही मेडिकल जांच और निगरानी जरूरी है. डेंगू कोई साधारण बुखार नहीं है. यह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर को धीरे-धीरे भीतर से खोखला कर देती है और अगर समय पर इलाज न मिले, तो जानलेवा साबित हो सकती है. इसलिए जरूरी है कि, हम इसके लक्षणों को नजरअंदाज न करें और हर स्टेप पर सतर्क रहें. यह भी पढ़ें : पूरी तरह शुगर छोड़ने के फायदे तो जान गए होंगे, अब जान लीजिए क्या है इसके नुकसान Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

National Dengue Day: एक दिन हल्का बुखार आता है और आप सोचते हैं. शायद मौसम का असर है, आराम कर लेंगे तो ठीक हो जाएगा. लेकिन धीरे-धीरे बुखार तेज होने लगता है, शरीर में दर्द बढ़ता है, भूख गायब हो जाती है और कुछ ही दिनों में हालत इतनी खराब हो जाती है कि, अस्पताल की जरूरत पड़ जाती है. यह एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है जो मामूली बुखार से शुरू होकर शरीर को मौत के दरवाजे तक ले जा सकता है. आज पूरा देश राष्ट्रीय डेंगू दिवस मना रहा है। इसलिए आज हम समझेंगे कि, डेंगू किस तरह से इंसान के शरीर पर असर करता है और किन स्टेप्स में ये बीमारी गंभीर होती जाती है. अगर समय पर लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो इलाज संभव है. वरना मौत भी हो सकती है.
मच्छर काटने से वायरस की एंट्री होना
डेंगू मच्छर के काटने से होता है. जब ये संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उसके खून में प्रवेश कर जाता है. शुरुआत में किसी को इसका एहसास भी नहीं होता, क्योंकि पहले 4 से 7 दिनों तक लक्षण हल्के रहते हैं.
ये भी पढ़े- इन लोगों को लगती है सबसे ज्यादा गर्मी, जानिए इसके पीछे की वजह
बुखार और शरीर में दर्द होना
डेंगू की शुरुआत तेज बुखार से होती है. इसके साथ सिर दर्द, आंखों में दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर रैशेज और थकावट महसूस होती है. कई लोग इसे वायरल फीवर समझकर नजरअंदाज कर देते हैं.
प्लेटलेट्स गिरने लगती है
डेंगू का सबसे खतरनाक चरण तब शुरू होता है जब मरीज के प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरने लगती है. प्लेटलेट्स खून को जमने में मदद करते हैं और जब इनकी संख्या 1.5 लाख से नीचे आने लगती है, तो शरीर में अंदरूनी रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है.
ब्लीडिंग और अंगों पर असर होना
प्लेटलेट्स के गिरने के साथ ही नाक से खून आना, मसूड़ों से खून बहना, पेशाब या मल में खून आना शुरू हो सकता है. कुछ मामलों में पेट, लिवर और फेफड़ों जैसे अंगों में सूजन आ जाती है, जिससे अंग काम करना बंद कर सकते हैं. यह स्थिति जानलेवा हो सकती है.
कुछ लोगों को डेंगू शॉक सिंड्रोम होता है
जब ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा गिर जाता है और शरीर के अंगों को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता, तो इसे डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है. इसमें रोगी बेहोश हो सकता है, पल्स कमजोर हो जाती है और तुरंत ICU में भर्ती की जरूरत होती है. अगर सही समय पर उपचार न मिले, तो मरीज की जान जा सकती है.
डेंगू होने पर क्या-क्या करें?
मच्छरों से बचाव करें, खासकर दिन के समय में इस पर ध्यान देना जरूरी है.
शरीर को हाइड्रेट रखें और बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
प्लेटलेट्स गिरने पर पपीते के पत्ते का रस और तरल पदार्थों का सेवन करें.
घरेलू इलाज की जगह सही मेडिकल जांच और निगरानी जरूरी है.
डेंगू कोई साधारण बुखार नहीं है. यह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर को धीरे-धीरे भीतर से खोखला कर देती है और अगर समय पर इलाज न मिले, तो जानलेवा साबित हो सकती है. इसलिए जरूरी है कि, हम इसके लक्षणों को नजरअंदाज न करें और हर स्टेप पर सतर्क रहें.
यह भी पढ़ें : पूरी तरह शुगर छोड़ने के फायदे तो जान गए होंगे, अब जान लीजिए क्या है इसके नुकसान
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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