छंटनी, भर्ती पर रोक और कंट्रैक्ट, ईरान-इजरायल वॉर के बीच हिली भारतीय जॉब मार्केट, टेंशन में कर्मचारी
Global Tensions Disrupt Job Market: वैश्विक तनाव के बढ़ने खासकर मिडिल ईस्ट की स्थिति बिगड़ने का सीधा असर भारत के ऊपर दिख रहा है. भारतीय कंपनियां इस समय जबरदस्त दबाव में हैं. नौकरियों पर भी इस तनाव का प्रभाव दिख रहा है. एचआर सर्विसेज फर्म जीनियस कंसल्टेंट्स के मुताबिक, करीब 63 प्रतिशत कंपनियों ने मई महीने के बाद से या तो नई भर्तियों पर रोक लगा दी है, या फिर छंटनी शुरू कर दी है. फर्म की तरफ से किए गए 12 मई से 6 जून तक ऑनलाइन सर्वे में भारतीय जॉब मार्केट पर जबरदस्त तनाव झलक रहा है. इस सर्वे के मुताबिक, भूराजनीति अनिश्चितताओं की वजह से भारत के कॉर्पोरेट सेक्टर पर जबरदस्त असर पड़ा है. इसकी वजह से पन्द्रह प्रतिशत कंपनियां कंट्रैक्ट या फिर फ्रीलांस मॉडल को अपना रही है. ऐसे में काम करने वाले हर कर्मचारियों के सामने आज ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या वे सुरक्षित हैं? कर्मचारियों के मन में सवाल करीबी 36 प्रतिशत कर्मचारियों ने यह माना है कि उनके अप्रैजल्स, बोनस या फिर सैलरी ग्रोथ रुक गई है. जबकि 21 प्रतिशत ने जॉब में अब आत्मविश्वास को माना है. हालांकि, इन सबके बीच कर्मचारी खुद को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए बदलाव ला रहे हैं और नए स्किल्स पर जोर दे रहे हैं. 55 प्रतिशत अब नए स्किल्स की तरफ अपना झुकाव बढ़ा रहे हैं. 31 प्रतिशत लोग अब इसके विकल्प को तौर पर रोजगार की तलाश कर रहे हैं. 26 प्रतिशत लोग बेहद करीब से ट्रांजिशन होते हुए देख रहे हैं. इस बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए जीनियस के सीएमडी आरपी यादव का कहना है कि आज हम जिस दौर में है, सर्वे उसका या सीधा रिफ्लेक्शन है. बाहरी दुनिया आज पूरी तरह से रीशेप कर रही है, जहां 63 प्रतिशत कंपनियों ने या तो नई भर्तियों पर रोक लगा दी है, या फिर कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रही है. कर्मचारी अब दूसरा विकल्प देख रहे हैं. ये नए युग में काम का एक तरह से ट्रांजिशन है. भू-राजनीतिक तनाव का असर भू-राजनीतिक तनाव न सिर्फ विदेश नीति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि हर तरह से लोगों की जिंदगी पर इसका असर पड़ता हुआ दिख रहा है. नौकरियों की भर्ती पर रोक और छंटी अब भारत के कॉर्पोरेट जगत में बिल्कुल सामान्य सा हो चुका है. ये भी पढ़ें: ईरान-इजरायल तनाव के बीच यूएस अटैक से शेयर बाजार में बढ़ेगी हलचल, इन्वेस्टर्स को अलर्ट की सलाह

Global Tensions Disrupt Job Market: वैश्विक तनाव के बढ़ने खासकर मिडिल ईस्ट की स्थिति बिगड़ने का सीधा असर भारत के ऊपर दिख रहा है. भारतीय कंपनियां इस समय जबरदस्त दबाव में हैं. नौकरियों पर भी इस तनाव का प्रभाव दिख रहा है. एचआर सर्विसेज फर्म जीनियस कंसल्टेंट्स के मुताबिक, करीब 63 प्रतिशत कंपनियों ने मई महीने के बाद से या तो नई भर्तियों पर रोक लगा दी है, या फिर छंटनी शुरू कर दी है. फर्म की तरफ से किए गए 12 मई से 6 जून तक ऑनलाइन सर्वे में भारतीय जॉब मार्केट पर जबरदस्त तनाव झलक रहा है.
इस सर्वे के मुताबिक, भूराजनीति अनिश्चितताओं की वजह से भारत के कॉर्पोरेट सेक्टर पर जबरदस्त असर पड़ा है. इसकी वजह से पन्द्रह प्रतिशत कंपनियां कंट्रैक्ट या फिर फ्रीलांस मॉडल को अपना रही है. ऐसे में काम करने वाले हर कर्मचारियों के सामने आज ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या वे सुरक्षित हैं?
कर्मचारियों के मन में सवाल
करीबी 36 प्रतिशत कर्मचारियों ने यह माना है कि उनके अप्रैजल्स, बोनस या फिर सैलरी ग्रोथ रुक गई है. जबकि 21 प्रतिशत ने जॉब में अब आत्मविश्वास को माना है. हालांकि, इन सबके बीच कर्मचारी खुद को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए बदलाव ला रहे हैं और नए स्किल्स पर जोर दे रहे हैं. 55 प्रतिशत अब नए स्किल्स की तरफ अपना झुकाव बढ़ा रहे हैं.
31 प्रतिशत लोग अब इसके विकल्प को तौर पर रोजगार की तलाश कर रहे हैं. 26 प्रतिशत लोग बेहद करीब से ट्रांजिशन होते हुए देख रहे हैं. इस बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए जीनियस के सीएमडी आरपी यादव का कहना है कि आज हम जिस दौर में है, सर्वे उसका या सीधा रिफ्लेक्शन है. बाहरी दुनिया आज पूरी तरह से रीशेप कर रही है, जहां 63 प्रतिशत कंपनियों ने या तो नई भर्तियों पर रोक लगा दी है, या फिर कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रही है. कर्मचारी अब दूसरा विकल्प देख रहे हैं. ये नए युग में काम का एक तरह से ट्रांजिशन है.
भू-राजनीतिक तनाव का असर
भू-राजनीतिक तनाव न सिर्फ विदेश नीति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि हर तरह से लोगों की जिंदगी पर इसका असर पड़ता हुआ दिख रहा है. नौकरियों की भर्ती पर रोक और छंटी अब भारत के कॉर्पोरेट जगत में बिल्कुल सामान्य सा हो चुका है.
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