चीन का एक कदम और मुसीबत में भारतीय कंपनियां, जानिए आखिर क्या है इतना बड़ा मामला
China Crackdown Rare Earth Magnet: पड़ोसी चीन दक्षिण एशिया में भारत को अपना सबसे बड़ा कंपीटिटर के तौर पर मानता है. 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ऐलान के बाद से जब एपल समेत कई बड़ी कंपनियों ने चीन से भारत में अपना कारोबार शिफ्ट करने की घोषणा की है, तो इस बात को बीजिंग नहीं पचा पाया है. अब एक और ऐसी खबर आयी है जो भारतीय इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों के लिए निराशा पैदा कर देने वाली है. जिस तरह से भारत इलेक्ट्रिकल व्हीकल सेक्टर में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है, ये चीन को नागवार गुजर रहा है. पूरी दुनिया का करीब 90 फीसदी रेयर अर्थ मैग्नेट्स अपने पास रखने वाले चीन अप्रैल के महीने से इसके निर्यात पर कड़े नियम लागू कर दिए हैं. इसका नतीजा अब ये है कि कोई भी चीन की कंपनी बिना वहां की सरकार से लाइसेंस और उसका एंड यूज सार्टिफिकेट लिए बिना आगे नहीं बेच सकती है. टीवीएस-बजाज मोटर्स की चेतावनी ऐसे में भारतीय इलैक्ट्रिक व्हिकल कंपनियों के लिए अब इसलिए मुसीबत पैदा हो गई है क्योंकि कई ऐसे रेयर अर्थ के कंटेनर जो चीन से नई दिल्ली के लिए रवाना हो चुके थे, वो अब तक वहीं अटके पड़े हैं, उन्हें मंजूरी नहीं दी जा रही है. इस रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक और पारंपरिक दोनों ही गाड़ियों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में बाजार के जानकारों का कहना है कि अगर इसी तरह से चीन की तरफ से कंटेनर पर रोक जारी रही तो भारतीय कंपनियों के लिए बड़ा संकट पैदा हो सकता है. ये भी कहा जा रहा है कि भारतीय ऑटो मोबाइल कंपनियों के पास रेयर अर्थ का स्टॉक सिर्फ जून तक ही है. भारत ने फाइनेंशियल ईयर 2024 में 460 टन से ज्यादा रेयर अर्थ का चीन से आयात किया था. भारतीय कंपनियों की बढ़ी मुसीबत ऐसे में सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि इसका कोई और विकल्प इस वक्त नहीं दिख रहा है. भारत सरकार की तरफ से अपनी निर्भरता चीन के ऊपर से कम करने के लिए घरेलू मैग्नेट प्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है. लेकिन उसमें अभी काफी वक्त लगेगा. ऐसे में मीडिया रिपोर्ट्स में ये कहा जा रहा है कि भारी उद्योग मंत्रालय की तरफ से इस बारे में 3 जून यानी आज एक अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें रेयर अर्थ मैग्नेट के प्रोडक्शन को लेकर कोई अहम फैसला लिया जा सकता है. ये भी पढ़ें: इन 8 शेयरों में ऐसा क्या है कि मोतीलाल ओसवाल ने कह दिया जल्दी से खरीद लो, 32 फीसदी तक मिल सकता है मुनाफा

China Crackdown Rare Earth Magnet: पड़ोसी चीन दक्षिण एशिया में भारत को अपना सबसे बड़ा कंपीटिटर के तौर पर मानता है. 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ऐलान के बाद से जब एपल समेत कई बड़ी कंपनियों ने चीन से भारत में अपना कारोबार शिफ्ट करने की घोषणा की है, तो इस बात को बीजिंग नहीं पचा पाया है. अब एक और ऐसी खबर आयी है जो भारतीय इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों के लिए निराशा पैदा कर देने वाली है.
जिस तरह से भारत इलेक्ट्रिकल व्हीकल सेक्टर में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है, ये चीन को नागवार गुजर रहा है. पूरी दुनिया का करीब 90 फीसदी रेयर अर्थ मैग्नेट्स अपने पास रखने वाले चीन अप्रैल के महीने से इसके निर्यात पर कड़े नियम लागू कर दिए हैं. इसका नतीजा अब ये है कि कोई भी चीन की कंपनी बिना वहां की सरकार से लाइसेंस और उसका एंड यूज सार्टिफिकेट लिए बिना आगे नहीं बेच सकती है.
टीवीएस-बजाज मोटर्स की चेतावनी
ऐसे में भारतीय इलैक्ट्रिक व्हिकल कंपनियों के लिए अब इसलिए मुसीबत पैदा हो गई है क्योंकि कई ऐसे रेयर अर्थ के कंटेनर जो चीन से नई दिल्ली के लिए रवाना हो चुके थे, वो अब तक वहीं अटके पड़े हैं, उन्हें मंजूरी नहीं दी जा रही है.
इस रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक और पारंपरिक दोनों ही गाड़ियों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में बाजार के जानकारों का कहना है कि अगर इसी तरह से चीन की तरफ से कंटेनर पर रोक जारी रही तो भारतीय कंपनियों के लिए बड़ा संकट पैदा हो सकता है. ये भी कहा जा रहा है कि भारतीय ऑटो मोबाइल कंपनियों के पास रेयर अर्थ का स्टॉक सिर्फ जून तक ही है. भारत ने फाइनेंशियल ईयर 2024 में 460 टन से ज्यादा रेयर अर्थ का चीन से आयात किया था.
भारतीय कंपनियों की बढ़ी मुसीबत
ऐसे में सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि इसका कोई और विकल्प इस वक्त नहीं दिख रहा है. भारत सरकार की तरफ से अपनी निर्भरता चीन के ऊपर से कम करने के लिए घरेलू मैग्नेट प्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है. लेकिन उसमें अभी काफी वक्त लगेगा. ऐसे में मीडिया रिपोर्ट्स में ये कहा जा रहा है कि भारी उद्योग मंत्रालय की तरफ से इस बारे में 3 जून यानी आज एक अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें रेयर अर्थ मैग्नेट के प्रोडक्शन को लेकर कोई अहम फैसला लिया जा सकता है.
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