खूबसूरती के चक्कर में आंखों की सेहत न करें नजरअंदाज, जानिए सुरक्षित मेकअप के टिप्स
आंखों को खूबसूरत दिखाने के लिए काजल, आईलाइनर और मस्कारा जैसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल आजकल आम हो गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन ब्यूटी प्रोडक्ट्स का रोजाना इस्तेमाल आपकी आंखों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है. कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार आजकल कई युवा महिलाएं आंखों में लालिमा, जलन और कभी-कभी धुंधला दिखाई देना देने जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं. इन लक्षणों के पीछे कई बार आई मेकअप की गलत आदतें जिम्मेदार होती है. जिसका अंदाजा खुद महिलाओं को भी नहीं होता है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताएंगे की खूबसूरती के चक्कर में किस तरह से महिलाएं आंखों को नजरअंदाज कर रही है और सुरक्षित मेकअप के क्या टिप्स हैं. आई मेकअप से जुड़ी आम समस्याएं स्टाई आंखों की पलकों के पास उभरे हुए लाल और दर्दनाक दाने आमतौर पर तब होते हैं जब चेहरा या आंखें सही तरीके से साफ नहीं की जाती है. साथ ही मेकअप के अवशेष स्किन पोर्स में जम जाते हैं. कंजंक्टिवाइटिस पुराने या खराब मेकअप के जरिए बैक्टीरिया या वायरस आंखाें तक पहुंच जाते हैं, जिससे कंजंक्टिवाइटिस संक्रमण फैलने लगता है. ड्राई आई सिंड्रोम आईलाइनर या मस्कारा के कण आंखों की आंसू ग्रंथियां को ब्लॉक कर देते हैं. जिससे आपकी आंखों में नमी कम हो जाती है और सूखापन महसूस होने लगता है. एलर्जी या रिएक्शन आई पेंसिल, ग्लिटर लाइनर या फॉल्स लैशेस में मौजूद कुछ केमिकल्स एलर्जी का कारण बन सकते हैं. इससे आंखों में खुजली जलन या सूजन हो सकती है. पलकों का टूटना बार-बार लैश कर्लर या गरम टूल्स का इस्तेमाल पलकों को कमजोर कर देता है. मस्कारा लगाने के बाद कर्लिंग से पलकों के टूटने का खतरा और बढ़ जाता है. क्यों बढ़ते हैं आई मेकअप से जुड़े खतरे एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब आप वाटर लाइन या लैश लाइन के बहुत करीब मेकअप अप्लाई करते हैं तो वह सीधा आंखों की सुरक्षा परत यानी टियर फिल्म को प्रभावित करता है. यहीं परत आंखों को बाहरी संक्रमण से बचाती है. इसके अलावा वाटरप्रूफ मेकअप आसानी से नहीं निकलता है, जिससे आंखों को साफ करने के लिए बार-बार रगड़ना पड़ता है. इससे आंखों में जलन और लैश फॉलिकल को नुकसान पहुंच सकता है. सेफ आई मेकअप के लिए अपनाएं ये जरूरी टिप्स सेफ आई मेकअप करने के लिए आप मेकअप को कभी भी वाटर लाइन या इनर कॉर्नर में न लगाएं. इसके अलावा हर 3 महीने में आई प्रोडक्ट्स को बदलते रहे चाहे वह खत्म हुए हो या नहीं. वहीं मेकअप हटाने के लिए हमेशा ऑयल बेस्ड या वॉटर बेस्ड रिमूवर का इस्तेमाल करें. इसके अलावा मेकअप ब्रश और एप्लीकेटर को हर हफ्ते अच्छी तरह से साफ करते रहे. वहीं आई मेकअप किसी के साथ शेयर न करें चाहे वह कितना ही करीबी क्यों ना हो इससे संक्रमण फैल सकता है. इसके अलावा टाइटलाइनिंग से बचें इससे ग्रंथियां में पिगमेंट और बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं. ये भी पढ़ें- पेट में बार-बार होता है दर्द, कहीं यह बीमारी तो नहीं बना रही घर?

आंखों को खूबसूरत दिखाने के लिए काजल, आईलाइनर और मस्कारा जैसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल आजकल आम हो गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन ब्यूटी प्रोडक्ट्स का रोजाना इस्तेमाल आपकी आंखों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है. कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार आजकल कई युवा महिलाएं आंखों में लालिमा, जलन और कभी-कभी धुंधला दिखाई देना देने जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं. इन लक्षणों के पीछे कई बार आई मेकअप की गलत आदतें जिम्मेदार होती है. जिसका अंदाजा खुद महिलाओं को भी नहीं होता है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताएंगे की खूबसूरती के चक्कर में किस तरह से महिलाएं आंखों को नजरअंदाज कर रही है और सुरक्षित मेकअप के क्या टिप्स हैं.
आई मेकअप से जुड़ी आम समस्याएं
स्टाई
आंखों की पलकों के पास उभरे हुए लाल और दर्दनाक दाने आमतौर पर तब होते हैं जब चेहरा या आंखें सही तरीके से साफ नहीं की जाती है. साथ ही मेकअप के अवशेष स्किन पोर्स में जम जाते हैं.
कंजंक्टिवाइटिस
पुराने या खराब मेकअप के जरिए बैक्टीरिया या वायरस आंखाें तक पहुंच जाते हैं, जिससे कंजंक्टिवाइटिस संक्रमण फैलने लगता है.
ड्राई आई सिंड्रोम
आईलाइनर या मस्कारा के कण आंखों की आंसू ग्रंथियां को ब्लॉक कर देते हैं. जिससे आपकी आंखों में नमी कम हो जाती है और सूखापन महसूस होने लगता है.
एलर्जी या रिएक्शन
आई पेंसिल, ग्लिटर लाइनर या फॉल्स लैशेस में मौजूद कुछ केमिकल्स एलर्जी का कारण बन सकते हैं. इससे आंखों में खुजली जलन या सूजन हो सकती है.
पलकों का टूटना
बार-बार लैश कर्लर या गरम टूल्स का इस्तेमाल पलकों को कमजोर कर देता है. मस्कारा लगाने के बाद कर्लिंग से पलकों के टूटने का खतरा और बढ़ जाता है.
क्यों बढ़ते हैं आई मेकअप से जुड़े खतरे
एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब आप वाटर लाइन या लैश लाइन के बहुत करीब मेकअप अप्लाई करते हैं तो वह सीधा आंखों की सुरक्षा परत यानी टियर फिल्म को प्रभावित करता है. यहीं परत आंखों को बाहरी संक्रमण से बचाती है. इसके अलावा वाटरप्रूफ मेकअप आसानी से नहीं निकलता है, जिससे आंखों को साफ करने के लिए बार-बार रगड़ना पड़ता है. इससे आंखों में जलन और लैश फॉलिकल को नुकसान पहुंच सकता है.
सेफ आई मेकअप के लिए अपनाएं ये जरूरी टिप्स
सेफ आई मेकअप करने के लिए आप मेकअप को कभी भी वाटर लाइन या इनर कॉर्नर में न लगाएं. इसके अलावा हर 3 महीने में आई प्रोडक्ट्स को बदलते रहे चाहे वह खत्म हुए हो या नहीं. वहीं मेकअप हटाने के लिए हमेशा ऑयल बेस्ड या वॉटर बेस्ड रिमूवर का इस्तेमाल करें. इसके अलावा मेकअप ब्रश और एप्लीकेटर को हर हफ्ते अच्छी तरह से साफ करते रहे. वहीं आई मेकअप किसी के साथ शेयर न करें चाहे वह कितना ही करीबी क्यों ना हो इससे संक्रमण फैल सकता है. इसके अलावा टाइटलाइनिंग से बचें इससे ग्रंथियां में पिगमेंट और बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं.
ये भी पढ़ें- पेट में बार-बार होता है दर्द, कहीं यह बीमारी तो नहीं बना रही घर?
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