क्या ट्रंप की धमकियों के आगे झुक जाएंगे कुक या अपनाएंगे या ये रास्ता? भारत को है इस बात पर भरोसा
Apple iPhone: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐप्पल के सीईओ टिम कुक को चेतावनी दी है कि अगर वह अमेरिका को छोड़कर आईफोन का प्रोडक्शन भारत या किसी दूसरे देश में करते हैं, तो उन्हें कम से कम 25 परसेंट टैरिफ का भुगतान करना होगा. इधर, चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर छिड़ने के बाद कंपनी ने चीन से अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस भारत में शिफ्ट करने की पूरी तैयारी कर रखी है. अब सवाल यह आता है कि क्या ट्रंप की धमकियों के आगे कुक झुक जाएंगे? भारत को इस बात पर है भरोसा कुछ सूत्रों के हवाले से सीएनएन-न्यूज18 ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि केंद्र सरकार आशावादी है कि भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनाने के ऐप्पल जैसी किसी बड़ी टेक कंपनी के फैसले में कोई बदलाव नहीं होगा. इसमें कंपनी किसी राजनीतिक दबाव की जगह अपने प्रॉफिट को ज्यादा तवज्जो देगी. भारत में आईफोन बनाने के कई फायदे हैं जैसे कि कम लागत, सरकार की तरफ से प्रोत्साहन मिलना, सप्लाई चेन का मजबूत होना वगैरह, इन फायदों को कंपनी अधिक प्राथमिकता देगी. भारत में इतना होता है आईफोन का प्रोडक्शन सरकार के एक बड़े अधिकारी ने न्यूज चैनल को बताया कि उन्हें पूरा यकीन है कि ऐप्पल ट्रंप के दबाव के बावजूद मुनाफे को तौलेगा. मौजूदा समय में ऐप्पल अमेरिका में स्मार्टफोन नहीं बनाता है. अधिकतर iPhone चीन में बनाए जाते हैं, जबकि भारत में अब Apple के टोटल प्रोडक्शन का लगभग 15 परसेंट हिस्सा है, जो सालाना लगभग 40 मिलियन यूनिट है. 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में Apple ने भारत में 60 परसेंट से अधिक iPhone असेंबल किए, जिसका अनुमानित प्रोडक्शन वैल्यू 22 अरब डॉलर है. अमेरिका में आईफोन बनाने के क्या नुकसान? मार्केट एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि भारत में बनाए जाने वाले आईफोन अगर अमेरिका में बनने लगे, तो इसकी कीमत 1,200 डॉलर से बढ़कर 1,500 से 3,500 डॉलर तक पहुंच जाएगी. यानी कि अमेरिका में लोगों को आईफोन के लिए डबल पैसा देना होगा. सीएनएन के डेटा एनालिस्‍ट हैरी एंटन का भी यही कहना है कि अगर ट्रंप का ये सोचना है कि टैरिफ लगाने मात्र से कंपनी अमेरिका में आईफोन बनाने लगेगी, तो वह भ्रम में जी रहे हैं. अगर बाहर से अमेरिका आने वाले आईफोन पर टैरिफ लगाया भी जाता है, तो कंपनी या तो खुद ही उस लागत को उठाएगी या उसका बोझ सीधे उपभोक्ताओं पर डाल देगी. वैसे भी कुक यह पहले ही बता चुके हैं कि अमेरिका में कठोर लेबर लॉ, टूलिंग इंजीनियर्स में कमी, सप्लाई चेन के न होने से यहां आईफोन बनाना फायदे का सौदा नहीं है. ये भी पढ़ें: बदल गया इस बैंक का नाम, नया पासबुक या चेकबुक लेने से पहले पढ़ें ये खबर; RBI ने भी कह दी बड़ी बात

Apple iPhone: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐप्पल के सीईओ टिम कुक को चेतावनी दी है कि अगर वह अमेरिका को छोड़कर आईफोन का प्रोडक्शन भारत या किसी दूसरे देश में करते हैं, तो उन्हें कम से कम 25 परसेंट टैरिफ का भुगतान करना होगा. इधर, चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर छिड़ने के बाद कंपनी ने चीन से अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस भारत में शिफ्ट करने की पूरी तैयारी कर रखी है. अब सवाल यह आता है कि क्या ट्रंप की धमकियों के आगे कुक झुक जाएंगे?
भारत को इस बात पर है भरोसा
कुछ सूत्रों के हवाले से सीएनएन-न्यूज18 ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि केंद्र सरकार आशावादी है कि भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनाने के ऐप्पल जैसी किसी बड़ी टेक कंपनी के फैसले में कोई बदलाव नहीं होगा. इसमें कंपनी किसी राजनीतिक दबाव की जगह अपने प्रॉफिट को ज्यादा तवज्जो देगी. भारत में आईफोन बनाने के कई फायदे हैं जैसे कि कम लागत, सरकार की तरफ से प्रोत्साहन मिलना, सप्लाई चेन का मजबूत होना वगैरह, इन फायदों को कंपनी अधिक प्राथमिकता देगी.
भारत में इतना होता है आईफोन का प्रोडक्शन
सरकार के एक बड़े अधिकारी ने न्यूज चैनल को बताया कि उन्हें पूरा यकीन है कि ऐप्पल ट्रंप के दबाव के बावजूद मुनाफे को तौलेगा. मौजूदा समय में ऐप्पल अमेरिका में स्मार्टफोन नहीं बनाता है. अधिकतर iPhone चीन में बनाए जाते हैं, जबकि भारत में अब Apple के टोटल प्रोडक्शन का लगभग 15 परसेंट हिस्सा है, जो सालाना लगभग 40 मिलियन यूनिट है. 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में Apple ने भारत में 60 परसेंट से अधिक iPhone असेंबल किए, जिसका अनुमानित प्रोडक्शन वैल्यू 22 अरब डॉलर है.
अमेरिका में आईफोन बनाने के क्या नुकसान?
मार्केट एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि भारत में बनाए जाने वाले आईफोन अगर अमेरिका में बनने लगे, तो इसकी कीमत 1,200 डॉलर से बढ़कर 1,500 से 3,500 डॉलर तक पहुंच जाएगी. यानी कि अमेरिका में लोगों को आईफोन के लिए डबल पैसा देना होगा.
सीएनएन के डेटा एनालिस्ट हैरी एंटन का भी यही कहना है कि अगर ट्रंप का ये सोचना है कि टैरिफ लगाने मात्र से कंपनी अमेरिका में आईफोन बनाने लगेगी, तो वह भ्रम में जी रहे हैं. अगर बाहर से अमेरिका आने वाले आईफोन पर टैरिफ लगाया भी जाता है, तो कंपनी या तो खुद ही उस लागत को उठाएगी या उसका बोझ सीधे उपभोक्ताओं पर डाल देगी. वैसे भी कुक यह पहले ही बता चुके हैं कि अमेरिका में कठोर लेबर लॉ, टूलिंग इंजीनियर्स में कमी, सप्लाई चेन के न होने से यहां आईफोन बनाना फायदे का सौदा नहीं है.
ये भी पढ़ें:
बदल गया इस बैंक का नाम, नया पासबुक या चेकबुक लेने से पहले पढ़ें ये खबर; RBI ने भी कह दी बड़ी बात
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