क्या चंद्रग्रहण से प्रेग्नेंट महिला के बच्चे पर पड़ता है असर, जान लें क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
आज यानी 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण लग रहा है, यह साल का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण है. भारत में भारत में रात 9:58 से 1:26 बजे यह पूरी तरह से दिखाई देगा. भारतीय संस्कृति और परंपराओं में चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं. खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान घर से बाहर न निकलने, तेज वस्त्र या नुकीली चीजों का इस्तेमाल न करने और खाने-पीने से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है. लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई चंद्रग्रहण का गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर कोई असर पड़ता है? आइए जानते हैं एक्सपर्ट की राय. परंपराओं में क्या कहा गया है? भारतीय ज्योतिष और पुरानी मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय वातावरण में निगेटिव ऊर्जा बढ़ जाती है. यही कारण है कि गर्भवती महिला को बाहर जाने या कोई भी नया काम करने से मना किया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि बच्चा विकलांग या किसी शारीरिक समस्या के साथ जन्म ले सकता है. हालांकि ये बातें ज्यादातर धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी हुई हैं. डॉक्टर क्या कहता हैं सर गंगाराम अस्पताल की वरिष्ठ गायनेकोलॉजिस्ट और असोसिएट कंसल्टेंट डॉ. साक्षी नायर ने मीडिया से बातचीत में अपनी राय साझा की. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो ग्रहण का महिलाओं पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता. चाहे किसी भी प्रकार का ग्रहण हो, इसका असर महिलाओं पर पड़ता है, यह केवल एक मिथक है और इससे अधिक कुछ नहीं. साइंस ने स्पष्ट रूप से बताया है कि ग्रहण से महिलाओं को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता. इस तरह की बातें केवल अफवाह और अंधविश्वास हैं. ऐसा बिल्कुल नहीं है कि कोई प्रेग्नेंट महिला ग्रहण के समय बाहर निकल जाए तो इसका असर उसके बच्चे पर पड़ेगा. हां, इतना जरूर है कि ग्रहण के दौरान जो सामान्य परेशानियां आम लोगों को होती हैं, वही परेशानी गर्भवती महिलाओं को भी हो सकती है, लेकिन इसका उनके गर्भस्थ शिशु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. स्वास्थ्य पर असर- हां, यदि गर्भवती महिला ग्रहण के समय लंबे समय तक बिना खाए-पिए रहती है, तो उसका असर उसकी सेहत और अप्रत्यक्ष रूप से बच्चे की सेहत पर जरूर पड़ सकता है. इसलिए उपवास करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है. एक्सपर्ट की सलाह गर्भवती महिला को ग्रहण के समय आराम करना चाहिए ताकि मानसिक तनाव न बढ़े. भूखे रहने से बचें और हल्का-फुल्का हेल्दी आहार लेते रहें. परंपराओं का पालन करना हो तो वह सिर्फ मानसिक शांति और विश्वास के लिए करें, इसे वैज्ञानिक सच न मानें. किसी भी तरह की परेशानी या सेहत संबंधी दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसका गर्भवती महिला या शिशु के स्वास्थ्य पर कोई प्रत्यक्ष वैज्ञानिक प्रभाव नहीं पड़ता. अधिकतर बातें परंपराओं और मान्यताओं पर आधारित हैं. यदि आप इन मान्यताओं का पालन करती हैं तो यह आपकी आस्था का विषय है, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी फैसले हमेशा डॉक्टर की राय लेकर ही करने चाहिए. इसे भी पढ़ें- बासी मुंह चबा लें ये 1 पत्ता, कोलेस्ट्रॉल से लेकर डायबिटीज रहेगा कंट्रोल

आज यानी 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण लग रहा है, यह साल का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण है. भारत में भारत में रात 9:58 से 1:26 बजे यह पूरी तरह से दिखाई देगा. भारतीय संस्कृति और परंपराओं में चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं. खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान घर से बाहर न निकलने, तेज वस्त्र या नुकीली चीजों का इस्तेमाल न करने और खाने-पीने से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है. लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई चंद्रग्रहण का गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर कोई असर पड़ता है? आइए जानते हैं एक्सपर्ट की राय.
परंपराओं में क्या कहा गया है?
भारतीय ज्योतिष और पुरानी मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय वातावरण में निगेटिव ऊर्जा बढ़ जाती है. यही कारण है कि गर्भवती महिला को बाहर जाने या कोई भी नया काम करने से मना किया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि बच्चा विकलांग या किसी शारीरिक समस्या के साथ जन्म ले सकता है. हालांकि ये बातें ज्यादातर धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी हुई हैं.
डॉक्टर क्या कहता हैं
सर गंगाराम अस्पताल की वरिष्ठ गायनेकोलॉजिस्ट और असोसिएट कंसल्टेंट डॉ. साक्षी नायर ने मीडिया से बातचीत में अपनी राय साझा की. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो ग्रहण का महिलाओं पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता. चाहे किसी भी प्रकार का ग्रहण हो, इसका असर महिलाओं पर पड़ता है, यह केवल एक मिथक है और इससे अधिक कुछ नहीं. साइंस ने स्पष्ट रूप से बताया है कि ग्रहण से महिलाओं को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता. इस तरह की बातें केवल अफवाह और अंधविश्वास हैं. ऐसा बिल्कुल नहीं है कि कोई प्रेग्नेंट महिला ग्रहण के समय बाहर निकल जाए तो इसका असर उसके बच्चे पर पड़ेगा. हां, इतना जरूर है कि ग्रहण के दौरान जो सामान्य परेशानियां आम लोगों को होती हैं, वही परेशानी गर्भवती महिलाओं को भी हो सकती है, लेकिन इसका उनके गर्भस्थ शिशु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
स्वास्थ्य पर असर- हां, यदि गर्भवती महिला ग्रहण के समय लंबे समय तक बिना खाए-पिए रहती है, तो उसका असर उसकी सेहत और अप्रत्यक्ष रूप से बच्चे की सेहत पर जरूर पड़ सकता है. इसलिए उपवास करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है.
एक्सपर्ट की सलाह
- गर्भवती महिला को ग्रहण के समय आराम करना चाहिए ताकि मानसिक तनाव न बढ़े.
- भूखे रहने से बचें और हल्का-फुल्का हेल्दी आहार लेते रहें.
- परंपराओं का पालन करना हो तो वह सिर्फ मानसिक शांति और विश्वास के लिए करें, इसे वैज्ञानिक सच न मानें.
- किसी भी तरह की परेशानी या सेहत संबंधी दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसका गर्भवती महिला या शिशु के स्वास्थ्य पर कोई प्रत्यक्ष वैज्ञानिक प्रभाव नहीं पड़ता. अधिकतर बातें परंपराओं और मान्यताओं पर आधारित हैं. यदि आप इन मान्यताओं का पालन करती हैं तो यह आपकी आस्था का विषय है, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी फैसले हमेशा डॉक्टर की राय लेकर ही करने चाहिए.
इसे भी पढ़ें- बासी मुंह चबा लें ये 1 पत्ता, कोलेस्ट्रॉल से लेकर डायबिटीज रहेगा कंट्रोल
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