2050 में कैसे नजर आएंगे इंफ्लुएंसर्स, जान लें कैसी हो जाएगी उनकी सूरत और सीरत?
आज सोशल मीडिया पर इंफ्लुएंसर्स की लाइफ बेहद ग्लैमरस और चमकदार दिखाई देती है. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार कंटेंट बनाने और डिजिटल लाइफस्टाइल अपनाने का असर आने वाले सालों में उनके शरीर और चेहरे पर साफ दिखेगा. गैम्बलिंग वेबसाइट Casino.org ने एक रिसर्च के आधार पर यह मॉडल तैयार किया है कि 2050 तक कंटेंट क्रिएटर्स का लुक कैसा हो सकता है. इस मॉडल में दिखाया गया है कि लगातार मोबाइल, लैपटॉप और कैमरे की रोशनी में रहने की वजह से इंफ्लुएंसर्स की गर्दन झुक जाएगी, कंधे गोल हो जाएंगे और चेहरे पर दाग-धब्बे और सूजन साफ नजर आएगी. टेक-नेक और झुकी हुई गर्दन कंटेंट क्रिएटर्स अक्सर दिनभर स्मार्टफोन और लैपटॉप पर एक्टिव रहते हैं. घंटों तक कैमरे के सामने पोज़ देने और स्क्रीन देखने से उनकी गर्दन हमेशा नीचे की ओर झुक जाती है. मेडिकल भाषा में इसे "टेक नेक" कहा जाता है. यह समस्या रीढ़ की हड्डी और गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव डालती है, जिससे लगातार दर्द और गलत बॉडी पोस्टचर हो जाता है. डिजिटल एजिंग और स्किन प्रॉब्लम रिसर्च में यह भी बताया गया है कि इंफ्लुएंसर्स की त्वचा पर भी गहरा असर पड़ता है. रोज़ाना मेकअप की मोटी परत, नए-नए स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल और लगातार LED लाइट्स के सामने रहना त्वचा को नुकसान पहुंचाता है. इसे “डिजिटल एजिंग” कहा जाता है. इससे झाइयां, पिगमेंटेशन, फाइन लाइन्स और इंफ्लेमेशन जैसी दिक्कतें जल्दी होने लगती हैं. आंखों की थकान और डार्क सर्कल्स लगातार स्क्रीन देखने से आंखों पर भी असर होता है. इसे मेडिकल भाषा में "डिजिटल आई स्ट्रेन" कहा जाता है. इसके लक्षण हैं. आंखों में जलन, लालपन, सूखापन, धुंधली नज़र और गहरे काले घेरे. एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि काम के दौरान 20-20-20 रूल अपनाना चाहिए यानी हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखना चाहिए. नींद की कमी और मानसिक दबाव इंफ्लुएंसर्स को हमेशा अपने फॉलोअर्स और कंटेंट की चिंता रहती है. दिन-रात नोटिफिकेशन चेक करने और स्क्रीन की ब्लू लाइट में रहने से उनकी नींद पर भी असर पड़ता है. एक्सपर्ट्स इसे “इंफ्लुएंसर-सोम्निया” यानी नींद न आने की समस्या बता रहे हैं. लंबे समय तक ऐसा चलने से मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है. कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट और बाल झड़ने की समस्या सोशल मीडिया पर खूबसूरत दिखने के दबाव में कई इंफ्लुएंसर्स बार-बार ब्यूटी ट्रीटमेंट कराते हैं. इससे चेहरे पर पफी चीक्स, असमान टेक्सचर और अजीब-सा चेहरा हो जाता है. वहीं लगातार हेयर एक्सटेंशन और हेयर स्टाइलिंग करने से बाल झड़ने लगते हैं. इसे “ट्रैक्शन एलोपेसिया” कहा जाता है, जो समय के साथ स्थायी गंजेपन में बदल सकती है. आज भले ही इंफ्लुएंसर की लाइफ चमकदार और आकर्षक लगती है, लेकिन लंबे समय तक इस लाइफस्टाइल का असर शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. अगर समय रहते सावधानियां न अपनाईं गईं तो 2050 तक कंटेंट क्रिएटर्स की हालत रिसर्च में बताए गए मॉडल जैसी ही हो सकती है. इसे भी पढ़ें- मुंह में दिख रहे हैं ये निशान, तो समझ लीजिए हो गया है कैंसर Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

आज सोशल मीडिया पर इंफ्लुएंसर्स की लाइफ बेहद ग्लैमरस और चमकदार दिखाई देती है. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार कंटेंट बनाने और डिजिटल लाइफस्टाइल अपनाने का असर आने वाले सालों में उनके शरीर और चेहरे पर साफ दिखेगा. गैम्बलिंग वेबसाइट Casino.org ने एक रिसर्च के आधार पर यह मॉडल तैयार किया है कि 2050 तक कंटेंट क्रिएटर्स का लुक कैसा हो सकता है. इस मॉडल में दिखाया गया है कि लगातार मोबाइल, लैपटॉप और कैमरे की रोशनी में रहने की वजह से इंफ्लुएंसर्स की गर्दन झुक जाएगी, कंधे गोल हो जाएंगे और चेहरे पर दाग-धब्बे और सूजन साफ नजर आएगी.
टेक-नेक और झुकी हुई गर्दन
कंटेंट क्रिएटर्स अक्सर दिनभर स्मार्टफोन और लैपटॉप पर एक्टिव रहते हैं. घंटों तक कैमरे के सामने पोज़ देने और स्क्रीन देखने से उनकी गर्दन हमेशा नीचे की ओर झुक जाती है. मेडिकल भाषा में इसे "टेक नेक" कहा जाता है. यह समस्या रीढ़ की हड्डी और गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव डालती है, जिससे लगातार दर्द और गलत बॉडी पोस्टचर हो जाता है.
डिजिटल एजिंग और स्किन प्रॉब्लम
रिसर्च में यह भी बताया गया है कि इंफ्लुएंसर्स की त्वचा पर भी गहरा असर पड़ता है. रोज़ाना मेकअप की मोटी परत, नए-नए स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल और लगातार LED लाइट्स के सामने रहना त्वचा को नुकसान पहुंचाता है. इसे “डिजिटल एजिंग” कहा जाता है. इससे झाइयां, पिगमेंटेशन, फाइन लाइन्स और इंफ्लेमेशन जैसी दिक्कतें जल्दी होने लगती हैं.
आंखों की थकान और डार्क सर्कल्स
लगातार स्क्रीन देखने से आंखों पर भी असर होता है. इसे मेडिकल भाषा में "डिजिटल आई स्ट्रेन" कहा जाता है. इसके लक्षण हैं. आंखों में जलन, लालपन, सूखापन, धुंधली नज़र और गहरे काले घेरे. एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि काम के दौरान 20-20-20 रूल अपनाना चाहिए यानी हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखना चाहिए.
नींद की कमी और मानसिक दबाव
इंफ्लुएंसर्स को हमेशा अपने फॉलोअर्स और कंटेंट की चिंता रहती है. दिन-रात नोटिफिकेशन चेक करने और स्क्रीन की ब्लू लाइट में रहने से उनकी नींद पर भी असर पड़ता है. एक्सपर्ट्स इसे “इंफ्लुएंसर-सोम्निया” यानी नींद न आने की समस्या बता रहे हैं. लंबे समय तक ऐसा चलने से मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है.
कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट और बाल झड़ने की समस्या
सोशल मीडिया पर खूबसूरत दिखने के दबाव में कई इंफ्लुएंसर्स बार-बार ब्यूटी ट्रीटमेंट कराते हैं. इससे चेहरे पर पफी चीक्स, असमान टेक्सचर और अजीब-सा चेहरा हो जाता है. वहीं लगातार हेयर एक्सटेंशन और हेयर स्टाइलिंग करने से बाल झड़ने लगते हैं. इसे “ट्रैक्शन एलोपेसिया” कहा जाता है, जो समय के साथ स्थायी गंजेपन में बदल सकती है. आज भले ही इंफ्लुएंसर की लाइफ चमकदार और आकर्षक लगती है, लेकिन लंबे समय तक इस लाइफस्टाइल का असर शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. अगर समय रहते सावधानियां न अपनाईं गईं तो 2050 तक कंटेंट क्रिएटर्स की हालत रिसर्च में बताए गए मॉडल जैसी ही हो सकती है.
इसे भी पढ़ें- मुंह में दिख रहे हैं ये निशान, तो समझ लीजिए हो गया है कैंसर
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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