क्या घाव को साबुन से धोने पर ही खत्म हो जाता है रेबीज का खतरा? क्या कहते हैं WHO के एक्सपर्ट
देश के अलग-अलग हिस्सों से कुत्ते के काटने की कई खतरनाक घटनाएं सामने आ रही हैं. कई मामलों में लोगों को गंभीर चोटें आई हैं और कुछ ने तो अपनी जान भी गंवा दी है. खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर जैसे बड़े इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली सरकार और अन्य स्थानीय अधिकारियों को आदेश दिया है कि सड़कों से आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द हटाकर शेल्टर होम यानी आश्रय स्थलों में पहुंचाया जाए. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस काम में अगर कोई रुकावट डालता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस फैसले के बाद कई जगह एनिमल लवर्स और एनिमल वेलफेयर वॉलंटियर्स की तरफ से विरोध भी देखने को मिला है. इस दौरान मेनका गांधी की बहन और पशु अधिकार कार्यकर्ता अंबिका शुक्ला का एक बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि रेबीज बहुत नाजुक वायरस है, जिसे सिर्फ साबुन और पानी से धोने से खत्म किया जा सकता है. अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में साबुन से धोना ही रेबीज से बचाने के लिए काफी है या फिर इसके बाद और भी इलाज की जरूरत होती है. तो चलिए जानते हैं कि क्या साबुन से धोना रेबीज से बचा सकता है. क्या सिर्फ साबुन से धोने से रेबीज से बचा जा सकता है? कुत्ते के काटने पर रेबीज से बचने के लिए सिर्फ साबुन से धोना ही काफी नहीं है. यह एक जरूरी पहला कदम जरूर है, लेकिन पूरा इलाज नहीं है. WHO और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर किसी जानवर ने काट लिया हो खासकर कोई ऐसा जानवर जो संदिग्ध हो या जिसे रेबीज हो सकता है तो सबसे पहले घाव को कम से कम 10-15 मिनट तक साबुन और बहते पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए. ऐसा करने से घाव की सतह पर मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और गंदगी काफी हद तक साफ हो सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें यह सिर्फ एक प्रारंभिक फर्स्ट एड है, इससे पूरी तरह रेबीज से सुरक्षा नहीं मिलती है. घाव धोने के बाद आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर वैक्सीन लगवानी होती है. रेबीज कितनी खतरनाक बीमारी है? रेबीज एक जानलेवा बीमारी है. यह एक ऐसा वायरस है जो संक्रमित जानवर के काटने से इंसान के शरीर में पहुंचकर धीरे-धीरे दिमाग पर असर करता है. एक बार जब रेबीज के लक्षण शुरू हो जाते हैं तो फिर इसका इलाज नामुमकिन हो जाता है और ज्यादातर मामलों में मौत हो जाती है. WHO के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में हजारों लोग रेबीज से मरते हैं, जिनमें सबसे ज्यादा केस भारत से होते हैं. भारत में हर साल लगभग 18,000 से 20,000 मौतें रेबीज से होती हैं, जो दुनिया में रेबीज से होने वाली कुल मौतों का 36 प्रतिशत से ज्यादा है. रेबीज से सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों को, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को और ऐसे लोगों को जो पशुओं के पास ज्यादा रहते हैं या उन्हें संभालते हैं. कुत्ता काटे तो क्या करें? WHO ने जानवरों के काटने के 3 लेवल बताते हैं. जिसमें पहला सिर्फ जानवर को छूना या उसके पास रहना, इसमें कोई इलाज की जरूरत नहीं है. इसके बाद दूसरा खरोंच या जानवर द्वारा चाटने से हल्की चोट पर घाव को धोएं और तुरंत वैक्सीन लगवाएं. साबुन और पानी से कम से कम 15 मिनट तक धोएं. यह वायरस की संख्या को कम करता है. एंटीसेप्टिक लगाएं, जैसे डेटॉल, सेवलोन, या आयोडीन वाला कोई एंटीसेप्टिक. जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर को दिखाएं. यह भी पढ़ें : कोरोना ने हमारी नसों को बना दिया बूढ़ा, बढ़ रहा दिल की बीमारियों का खतरा, चौंकाने वाली रिसर्च

देश के अलग-अलग हिस्सों से कुत्ते के काटने की कई खतरनाक घटनाएं सामने आ रही हैं. कई मामलों में लोगों को गंभीर चोटें आई हैं और कुछ ने तो अपनी जान भी गंवा दी है. खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर जैसे बड़े इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली सरकार और अन्य स्थानीय अधिकारियों को आदेश दिया है कि सड़कों से आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द हटाकर शेल्टर होम यानी आश्रय स्थलों में पहुंचाया जाए. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस काम में अगर कोई रुकावट डालता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इस फैसले के बाद कई जगह एनिमल लवर्स और एनिमल वेलफेयर वॉलंटियर्स की तरफ से विरोध भी देखने को मिला है. इस दौरान मेनका गांधी की बहन और पशु अधिकार कार्यकर्ता अंबिका शुक्ला का एक बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि रेबीज बहुत नाजुक वायरस है, जिसे सिर्फ साबुन और पानी से धोने से खत्म किया जा सकता है. अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में साबुन से धोना ही रेबीज से बचाने के लिए काफी है या फिर इसके बाद और भी इलाज की जरूरत होती है. तो चलिए जानते हैं कि क्या साबुन से धोना रेबीज से बचा सकता है.
क्या सिर्फ साबुन से धोने से रेबीज से बचा जा सकता है?
कुत्ते के काटने पर रेबीज से बचने के लिए सिर्फ साबुन से धोना ही काफी नहीं है. यह एक जरूरी पहला कदम जरूर है, लेकिन पूरा इलाज नहीं है. WHO और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर किसी जानवर ने काट लिया हो खासकर कोई ऐसा जानवर जो संदिग्ध हो या जिसे रेबीज हो सकता है तो सबसे पहले घाव को कम से कम 10-15 मिनट तक साबुन और बहते पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए. ऐसा करने से घाव की सतह पर मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और गंदगी काफी हद तक साफ हो सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें यह सिर्फ एक प्रारंभिक फर्स्ट एड है, इससे पूरी तरह रेबीज से सुरक्षा नहीं मिलती है. घाव धोने के बाद आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर वैक्सीन लगवानी होती है.
रेबीज कितनी खतरनाक बीमारी है?
रेबीज एक जानलेवा बीमारी है. यह एक ऐसा वायरस है जो संक्रमित जानवर के काटने से इंसान के शरीर में पहुंचकर धीरे-धीरे दिमाग पर असर करता है. एक बार जब रेबीज के लक्षण शुरू हो जाते हैं तो फिर इसका इलाज नामुमकिन हो जाता है और ज्यादातर मामलों में मौत हो जाती है. WHO के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में हजारों लोग रेबीज से मरते हैं, जिनमें सबसे ज्यादा केस भारत से होते हैं. भारत में हर साल लगभग 18,000 से 20,000 मौतें रेबीज से होती हैं, जो दुनिया में रेबीज से होने वाली कुल मौतों का 36 प्रतिशत से ज्यादा है. रेबीज से सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों को, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को और ऐसे लोगों को जो पशुओं के पास ज्यादा रहते हैं या उन्हें संभालते हैं.
कुत्ता काटे तो क्या करें?
WHO ने जानवरों के काटने के 3 लेवल बताते हैं. जिसमें पहला सिर्फ जानवर को छूना या उसके पास रहना, इसमें कोई इलाज की जरूरत नहीं है. इसके बाद दूसरा खरोंच या जानवर द्वारा चाटने से हल्की चोट पर घाव को धोएं और तुरंत वैक्सीन लगवाएं. साबुन और पानी से कम से कम 15 मिनट तक धोएं. यह वायरस की संख्या को कम करता है. एंटीसेप्टिक लगाएं, जैसे डेटॉल, सेवलोन, या आयोडीन वाला कोई एंटीसेप्टिक. जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर को दिखाएं.
यह भी पढ़ें : कोरोना ने हमारी नसों को बना दिया बूढ़ा, बढ़ रहा दिल की बीमारियों का खतरा, चौंकाने वाली रिसर्च
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