कैलाश मानसरोवर यात्रा में पड़ने वाले ओम पर्वत का क्या है रहस्य? जानें इसका धार्मिक महत्व
Om Parvat in Uttarakhand: उत्तराखंड में हर साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा जून के अंतिम हफ्ते में शुरू की जाती है. मानसरोवर यात्रा का हिंदू धर्म के लोगों के लिए काफी महत्व है. कैलाश मानसरोवर यात्रा की दौरान रास्ते में कई धार्मिक स्थल दिखाई देते हैं. इन्हीं में से एक है 'ऊँ पर्वत', जो इस यात्रा के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. ऊँ पर्वत को देखकर मानसरोवर आने वाली यात्री काफी प्रसन्न होता है. आज जानेंगे प्राकृतिक रूप से लिखे ऊँ पर्वत के बारे में, ये पर्वत कैलाश मानसरोवर से कितनी दूरी पर स्थित है? इसका क्या महत्व है? उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के धारचूला तहसील में ये पर्वत मौजूद है. वही समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 5,900 मीटर है. कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु नाभीढांग से इसके दर्शन करते हैं. वहीं ओम पर्वत से कैलाश मानसरोवर 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. ऊँ पर्वत का धार्मिक महत्व और मान्यताएंऊँ पर्वत पर प्राकृतिक रूप से बर्फ से ओम लिखा है. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु इसे भगवान शिव से जोड़ के देखते हैं. ऊँ अक्षर को भोलेनाथ का बीजाक्षर कहा जाता है. ओम पर्वत का धार्मिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसी मार्ग पर आगे कैलाश मानसरोवर भी है. पर्वत पर लिखे ओम अक्षर को देखकर श्रद्धालु काफी उत्साहित हो जाते हैं, जो उनकी आगे की यात्रा में उन्हें शक्ति प्रदान करता है. वहीं स्थानीय लोगों के मुताबिक ओम पर्वत की पौराणिक कथा ये कहती है कि, पर्वत पर लिखा ओम अक्षर स्वयं भगवान शिव ने लिखा है. वही एक अन्य पौराणिक कथा ये भी कहती है कि सैकड़ों वर्ष पहले ओम पर्वत पर ऋषि-मुनियों ने घोर तपस्या की थी. ओम अक्षर विशिष्ट धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा के संचार के रूप में देखा जाता है. सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए ओम का उच्चारण करना शुभ माना जाता है. ओम पर्वत को लेकर कई यात्रियों ने अपने अनुभव में बताया है कि यहां जाने से उन्हें दिव्य अनुभूति का अहसास होता है. मन में अलग प्रकार की शांति प्राप्त होती है. यह भी पढ़ें- जून में 15 महत्वपूर्ण त्योहार, 5 ग्रहों का गोचर, क्या-क्या इस महीने खास जानें

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के धारचूला तहसील में ये पर्वत मौजूद है. वही समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 5,900 मीटर है. कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु नाभीढांग से इसके दर्शन करते हैं. वहीं ओम पर्वत से कैलाश मानसरोवर 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
ऊँ पर्वत का धार्मिक महत्व और मान्यताएं
ऊँ पर्वत पर प्राकृतिक रूप से बर्फ से ओम लिखा है. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु इसे भगवान शिव से जोड़ के देखते हैं. ऊँ अक्षर को भोलेनाथ का बीजाक्षर कहा जाता है. ओम पर्वत का धार्मिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसी मार्ग पर आगे कैलाश मानसरोवर भी है. पर्वत पर लिखे ओम अक्षर को देखकर श्रद्धालु काफी उत्साहित हो जाते हैं, जो उनकी आगे की यात्रा में उन्हें शक्ति प्रदान करता है. वहीं स्थानीय लोगों के मुताबिक ओम पर्वत की पौराणिक कथा ये कहती है कि, पर्वत पर लिखा ओम अक्षर स्वयं भगवान शिव ने लिखा है. वही एक अन्य पौराणिक कथा ये भी कहती है कि सैकड़ों वर्ष पहले ओम पर्वत पर ऋषि-मुनियों ने घोर तपस्या की थी.
ओम अक्षर विशिष्ट धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा के संचार के रूप में देखा जाता है. सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए ओम का उच्चारण करना शुभ माना जाता है. ओम पर्वत को लेकर कई यात्रियों ने अपने अनुभव में बताया है कि यहां जाने से उन्हें दिव्य अनुभूति का अहसास होता है. मन में अलग प्रकार की शांति प्राप्त होती है.
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