केरल में BJP को जमीन दिलाने में लगा वो योद्धा, जिसके 1994 में काट दिए गए थे दोनों पैर... जानें सदानंदन मास्टर के बारे में सबकुछ
C Sadanandan Master Nominated For Rajya Sabha: केरल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव, जहां कांग्रेस के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं तो वहीं बीजेपी भी इस बार अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी है. कम्युनिस्ट विचारधारा का गढ़ कहे जाने वाले केरल में भगवा पार्टी के लिए बरसों से राजनीतिक जमीन तलाशने का काम कर रहे हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ कार्यकर्ता सदानंदन मास्टर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकसर अपनी चुनावी रैलियों में उनका जिक्र करते रहे हैं. सदानंदन संघ के उन तमाम कार्यकर्ताओं में से हैं, जो केरल में वामपंथी हिंसा का शिकार हुए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 80 (1) A के तहत चार व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है, जिनमें से एक हैं सदानंदन मास्टर. वह केरल में सरकारी टीचर हैं, 1990 के दशक में जिनके दोनों पैर काट दिए गए थे. कौन हैं सी सदानंदन मास्टर ? केरल के त्रिशूर जिले में हाई स्कूल के शिक्षक सदानंदन का शिक्षा जगत में लंबा अनुभव रहा है. वे 1999 से पेरमंगलम के श्री दुर्गा विलासम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सामाजिक विज्ञान पढ़ाते आ रहे हैं. उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से बी.कॉम और कालीकट विश्वविद्यालय से बी.एड. की डिग्री प्राप्त की है. अध्यापन के अलावा, वे केरल में राष्ट्रीय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष और उसके प्रकाशन, देशीय अध्यापक वार्ता के संपादक भी हैं. सदानंदन का विवाह वनिता रानी से हुआ है, जो स्वयं एक शिक्षिका हैं. उनकी बेटी यमुना भारती बी.टेक. की छात्रा है. उनका परिवार केरल में शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय रहा है. 1994 में क्या हुआ था? 25 जनवरी, 1994 को, सदानंदन पर कन्नूर में उनके आवास के पास हमला किया गया. कन्नूर ज़िला अकसर राजनीतिक झड़पों के लिए जाना जाता है. इस घटना में उनके दोनों पैर काट दिए गए थे. यह हमला कथित तौर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्यों ने किया था और कथित तौर पर उनके वामपंथी विचारधारा से जुड़ाव का ना होना इसका कारण था. उस समय उनकी आयु महज 30 वर्ष थी. इस घटना के बाद भी सदानंदन सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय रहे. वो पहले भी केरल में चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें कन्नूर का कुथुपरम्बा निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल है. सदानंदन केरल में राजनीतिक हिंसा से जुड़े मुद्दों पर मुखर रहे हैं. वो राजनीतिक झड़पों के इतिहास वाले क्षेत्रों में शांति बनाए रखने की अपील करते आए हैं. ये भी पढ़ें: डीयू की पूर्व प्रोफेसर, पद्मश्री से सम्मानित... कौन हैं मीनाक्षी जैन, जिन्हें रोमिला थापर और सतीश चंद्र के इतिहास से छुटकारा दिलाने का मिला इनाम

C Sadanandan Master Nominated For Rajya Sabha: केरल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव, जहां कांग्रेस के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं तो वहीं बीजेपी भी इस बार अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी है. कम्युनिस्ट विचारधारा का गढ़ कहे जाने वाले केरल में भगवा पार्टी के लिए बरसों से राजनीतिक जमीन तलाशने का काम कर रहे हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ कार्यकर्ता सदानंदन मास्टर.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकसर अपनी चुनावी रैलियों में उनका जिक्र करते रहे हैं. सदानंदन संघ के उन तमाम कार्यकर्ताओं में से हैं, जो केरल में वामपंथी हिंसा का शिकार हुए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 80 (1) A के तहत चार व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है, जिनमें से एक हैं सदानंदन मास्टर. वह केरल में सरकारी टीचर हैं, 1990 के दशक में जिनके दोनों पैर काट दिए गए थे.
कौन हैं सी सदानंदन मास्टर ?
केरल के त्रिशूर जिले में हाई स्कूल के शिक्षक सदानंदन का शिक्षा जगत में लंबा अनुभव रहा है. वे 1999 से पेरमंगलम के श्री दुर्गा विलासम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सामाजिक विज्ञान पढ़ाते आ रहे हैं. उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से बी.कॉम और कालीकट विश्वविद्यालय से बी.एड. की डिग्री प्राप्त की है. अध्यापन के अलावा, वे केरल में राष्ट्रीय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष और उसके प्रकाशन, देशीय अध्यापक वार्ता के संपादक भी हैं.
सदानंदन का विवाह वनिता रानी से हुआ है, जो स्वयं एक शिक्षिका हैं. उनकी बेटी यमुना भारती बी.टेक. की छात्रा है. उनका परिवार केरल में शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय रहा है.
1994 में क्या हुआ था?
25 जनवरी, 1994 को, सदानंदन पर कन्नूर में उनके आवास के पास हमला किया गया. कन्नूर ज़िला अकसर राजनीतिक झड़पों के लिए जाना जाता है. इस घटना में उनके दोनों पैर काट दिए गए थे. यह हमला कथित तौर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्यों ने किया था और कथित तौर पर उनके वामपंथी विचारधारा से जुड़ाव का ना होना इसका कारण था. उस समय उनकी आयु महज 30 वर्ष थी.
इस घटना के बाद भी सदानंदन सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय रहे. वो पहले भी केरल में चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें कन्नूर का कुथुपरम्बा निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल है. सदानंदन केरल में राजनीतिक हिंसा से जुड़े मुद्दों पर मुखर रहे हैं. वो राजनीतिक झड़पों के इतिहास वाले क्षेत्रों में शांति बनाए रखने की अपील करते आए हैं.
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