कुछ नहीं खाने के बाद भी बढ़ रहा है आपका वजन? इस बीमारी के हैं ये लक्षण

कुछ लोगों की डाइट बेहद कम होती है, फिर भी उनका वजन लगातार बढ़ता रहता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे भी कोई गंभीर बीमारी है? आइए आपको उन बीमारियों के बारे में बताते हैं, जिनमें बिना ज्यादा खाए भी वजन बढ़ने लगता है.  अचानक क्यों बढ़ने लगता है वजन? हार्वर्ड हेल्थ (2023) के मुताबिक, अनजाने में वजन बढ़ना अक्सर उम्र से संबंधित शारीरिक परिवर्तनों, अंतर्निहित बीमारियों, दवाओं के दुष्प्रभाव, या आंत के बैक्टीरिया (माइक्रोबायोम) में बदलाव के कारण हो सकता है. वजन बढ़ने की वजह हमेशा ज्यादा खाना या कम एक्सरसाइज नहीं होता है. दिल्ली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. संजय गुप्ता के मुताबिक, वजन बढ़ना सिर्फ कैलोरी की मात्रा पर निर्भर नहीं करता है. हार्मोनल डिसबैलेंस, नींद की कमी और टेंशन आदि के कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है, जिससे वजन बढ़ सकता है.  इन बीमारियों की वजह से बढ़ता है वजन हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism): हाइपोथायरायडिज्म तब होता है, जब थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायरॉयड हार्मोन नहीं बनाती है. यह कंडीशन मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है, जिससे वजन बढ़ने लगता है. इस वजह से थकान और कमजोरी महसूस होती है. साथ ही, वजन अचानक बढ़ने लगता है. इसके अलावा स्किन में सूखापन, बालों का झड़ना, ठंड सहन न कर पाना, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में अकड़न आदि दिक्कतें भी होती हैं.  मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में थायरॉयड एक्सपर्ट डॉ. रीता शर्मा का कहना है कि हाइपोथायरायडिज्म की समय पर जांच और इलाज जरूरी है. थायरॉयड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से वजन कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना दवा नहीं लेनी चाहिए. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS): पीसीओएस एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो महिलाओं के अंडाशय में अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) के प्रॉडक्शन के कारण होता है. PCOS इंसुलिन रेसिस्टेंस को बढ़ाता है, जिससे वजन बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है. कुशिंग सिंड्रोम (Cushing’s Syndrome): कुशिंग सिंड्रोम तब होता है, जब शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन (तनाव हार्मोन) का लेवल असामान्य रूप से बढ़ जाता है. यह कंडीशन स्टेरॉयड दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल या अधिवृक्क ग्रंथि (adrenal gland) में ट्यूमर के कारण हो सकती है.  डिप्रेशन और चिंता (Depression and Anxiety): मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम जैसे डिप्रेशन और चिंता की वजह से भूख और खानपान की आदतों पर असर पड़ सकता है. डिप्रेशन से पीड़ित लोग अक्सर 'कम्फर्ट फूड्स' की ओर आकर्षित होते हैं, जो हाई कैलोरी और कम पोषक तत्व वाले होते हैं. नींद की कमी और तनाव (Sleep Deprivation and Stress): नींद की कमी और टेंशन की वजह से कॉर्टिसोल का लेवल बढ़ जाता है, जिससे भूख ज्यादा लगती है और मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है. जो लोग रात में 6 घंटे से कम सोते हैं, उन्हें यह दिक्कत ज्यादा होती है. ये भी पढ़ें: साफ पानी के लिए RO करते हैं इस्तेमाल, जानें कितनी बीमारियों को लगाते हैं गले? Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Jul 3, 2025 - 18:30
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कुछ नहीं खाने के बाद भी बढ़ रहा है आपका वजन? इस बीमारी के हैं ये लक्षण

कुछ लोगों की डाइट बेहद कम होती है, फिर भी उनका वजन लगातार बढ़ता रहता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे भी कोई गंभीर बीमारी है? आइए आपको उन बीमारियों के बारे में बताते हैं, जिनमें बिना ज्यादा खाए भी वजन बढ़ने लगता है. 

अचानक क्यों बढ़ने लगता है वजन?

हार्वर्ड हेल्थ (2023) के मुताबिक, अनजाने में वजन बढ़ना अक्सर उम्र से संबंधित शारीरिक परिवर्तनों, अंतर्निहित बीमारियों, दवाओं के दुष्प्रभाव, या आंत के बैक्टीरिया (माइक्रोबायोम) में बदलाव के कारण हो सकता है. वजन बढ़ने की वजह हमेशा ज्यादा खाना या कम एक्सरसाइज नहीं होता है. दिल्ली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. संजय गुप्ता के मुताबिक, वजन बढ़ना सिर्फ कैलोरी की मात्रा पर निर्भर नहीं करता है. हार्मोनल डिसबैलेंस, नींद की कमी और टेंशन आदि के कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है, जिससे वजन बढ़ सकता है. 

इन बीमारियों की वजह से बढ़ता है वजन

हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism): हाइपोथायरायडिज्म तब होता है, जब थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायरॉयड हार्मोन नहीं बनाती है. यह कंडीशन मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है, जिससे वजन बढ़ने लगता है. इस वजह से थकान और कमजोरी महसूस होती है. साथ ही, वजन अचानक बढ़ने लगता है. इसके अलावा स्किन में सूखापन, बालों का झड़ना, ठंड सहन न कर पाना, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में अकड़न आदि दिक्कतें भी होती हैं. 

मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में थायरॉयड एक्सपर्ट डॉ. रीता शर्मा का कहना है कि हाइपोथायरायडिज्म की समय पर जांच और इलाज जरूरी है. थायरॉयड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से वजन कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना दवा नहीं लेनी चाहिए.

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS): पीसीओएस एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो महिलाओं के अंडाशय में अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) के प्रॉडक्शन के कारण होता है. PCOS इंसुलिन रेसिस्टेंस को बढ़ाता है, जिससे वजन बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है.

कुशिंग सिंड्रोम (Cushing’s Syndrome): कुशिंग सिंड्रोम तब होता है, जब शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन (तनाव हार्मोन) का लेवल असामान्य रूप से बढ़ जाता है. यह कंडीशन स्टेरॉयड दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल या अधिवृक्क ग्रंथि (adrenal gland) में ट्यूमर के कारण हो सकती है. 

डिप्रेशन और चिंता (Depression and Anxiety): मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम जैसे डिप्रेशन और चिंता की वजह से भूख और खानपान की आदतों पर असर पड़ सकता है. डिप्रेशन से पीड़ित लोग अक्सर 'कम्फर्ट फूड्स' की ओर आकर्षित होते हैं, जो हाई कैलोरी और कम पोषक तत्व वाले होते हैं.

नींद की कमी और तनाव (Sleep Deprivation and Stress): नींद की कमी और टेंशन की वजह से कॉर्टिसोल का लेवल बढ़ जाता है, जिससे भूख ज्यादा लगती है और मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है. जो लोग रात में 6 घंटे से कम सोते हैं, उन्हें यह दिक्कत ज्यादा होती है.

ये भी पढ़ें: साफ पानी के लिए RO करते हैं इस्तेमाल, जानें कितनी बीमारियों को लगाते हैं गले?

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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