किस मुगल सम्राट ने अपने बेटे की शादी हिंदू ज्योतिषियों से पूछ कर की थी?

क्या कोई मुस्लिम सम्राट हिंदू पंडितों से शादी का मुहूर्त पूछ सकता है? सुनने में ये अजीब लग सकता है लेकिन सच यही है कि एक मुगल शासक इतिहास में ऐसा भी हुआ, जिसे भारतीय ज्योतिष पर अटूट विश्वास था और वह सम्राट था 'अकबर द ग्रेट'. अकबर ने न केवल अपने पुत्र सलीम (जहांगीर) की कुंडली सात ज्योतिषियों से बनवाई थी, बल्कि विवाह की तिथि भी हिंदू पंचांग देखकर तय की थी. कैसे अकबर ने धर्म की दीवारों को पार कर ‘ग्रहों’ की चाल से राजनीति को दिशा दी, और यह प्रसंग आज की दुनिया में क्यों प्रासंगिक है. जानते हैं- जब मुगल सम्राट ने ज्योतिषियों से पूछ कर तय किया विवाह का शुभ मुहूर्तआज के मॉर्डन युग में कुछ लोगों को ये कल्पना लग सकता है, पर नहीं. यह इतिहास का आश्चर्यजनक सत्य है, जब मुगल सम्राट अकबर ने अपने पुत्र सलीम की शादी के लिए हिंदू ज्योतिषियों से परामर्श लिया. एक मुगल शासक द्वारा हिंदू पद्धति से मुहूर्त निकलवाना सिर्फ धार्मिक सहिष्णुता नहीं, बल्कि ज्ञान के प्रति श्रद्धा का प्रमाण था. अकबर का ‘इबादतखाना’ उसकी किस सोच को दर्शाती है?इतिहासकार Vincent Smith अपनी किताब 'Akbar: The Great Mogul' में लिखते हैं कि अकबर (1542–1605) एक विजेता से कहीं बढ़कर, धर्मनिरपेक्ष सोच वाले सम्राट था. अकबर ने फतेहपुर सीकरी में ‘इबादतखाना’ की स्थापना की, जहां वो हिंदू, जैन, मुस्लिम और ईसाई विद्वानों से गूढ़ विषयों पर चर्चा करता था. एक जगह वो लिखते हैं 'It was common for Akbar to ask Hindu astrologers and Jain scholars to interpret celestial events.' यानि एस्ट्रोलॉजर और विद्वानों से चर्चा, ग्रह गोचर को लेकर विश्लेषण कराना अकबर के लिए दैनिक जीवन का हिस्सा था. जहांगीर की कुंडली सात ज्योतिषियों ने मिलकर बनाईWheeler M. Thackston जिन्होंने कई किताबों का अनुवाद किया, Jahangirnama का अनुवाद करते हुए वे लिखते हैं कि जब सलीम का जन्म हुआ, तब अकबर ने उसकी जन्मपत्रिका यानि कुंडली बनाने के लिए सात ज्योतिषियों को आमंत्रित किया गया था. इनमें से कुछ हिंदू पंचांग और कुछ यूनानी खगोलशास्त्र के विशेषज्ञ थे. तुजुक-ए-जहांगीरी (जहांगीरनामा) मुगल सम्राट जहांगीर की आत्मकथा है. यह फारसी में लिखी गई है. यह आत्मकथा साहित्य का एक अनूठा नमूना भी मानी जाती है. इसका अंग्रेजी में अनुवाद करते हुए Wheeler M. Thackston लिखते हैं- 'When I was born, astrologers, both Hindu and Muslim cast my horoscope...' जहांगीर लिखता है कि जब मेरा जन्म हुआ तो हिन्दू और मुस्लिम दोनों ज्योतिषियों ने मेरी कुंडली बनाई. हिंदू पंचांग से निकाला गया था विवाह का मुहूर्तजहांगीर की शादी का शुभ दिन भी इन्हीं हिंदू ज्योतिषियों की गणना के आधार पर तय हुआ था. यह अकबर के उस विश्वास का उदाहरण है कि राजकीय कार्यों में समय का चुनाव ग्रहों के अनुसार होना चाहिए. भारतीय इतिहासकार Satish Chandra अपनी किताब Medieval India: From Sultanat to the Mughals में लिखते हैं कि 'He considered planetary positions and consulted Brahmin astrologers before royal weddings.' यानि मुगल सम्राट शाही शादियों से पहले ग्रहों की स्थिति पर विचार करते थे और ब्राह्मण ज्योतिषियों से परामर्श करते थे.' अकबर का ज्योतिष पर विश्वास क्या केवल परंपरा थी या विज्ञान पर भरोसा?इस बात को भी समझना होगा कि मुगल सम्राट अकबर आखिर क्यों ज्योतिष पर इतना विश्वास करता था. ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं कि अकबर खगोलीय घटनाओं जैसे सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, नक्षत्र परिवर्तन को नजरअंदाज नहीं करता था. विज्ञान भी इन बातों को मानता है. अकबर के दरबार में पंडित जगन्नाथ, बीरबल जैसे विद्वानों को ज्योतिष और शास्त्रों पर अधिकार था. H. Blochmann जिन्होने आईने अकबरी (Ain-i-Akbari) का अनुवाद किया, वे लिखते हैं 'Akbar respected the learning of the Brahmins and often consulted them in astrological matters.' यानि 'अकबर ब्राह्मणों की शिक्षा का सम्मान करता था और अक्सर ज्योतिष संबंधी मामलों में उनसे सलाह लेता था।' अकबर क्या भारतीय ज्योतिष ग्रंथों की हिदायतों पर अमल करता था?वैदिक शास्त्रों में मुहूर्त के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है. मुहूर्त देखने की परंपरा महज विवाह जैसे कार्य तक ही सीमित नहीं है. वराहमिहिर द्वारा रचित बृहज्जातकम् या वृहत जातक में साफ लिखा है- नक्षत्राणां च सर्वेषां मुहूर्तं पश्यतां शुभम्.राज्ये विवाहे यज्ञे च ग्रहस्थानं विचारयेत्॥ (अर्थात- राज्य, विवाह और यज्ञ के लिए ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर शुभ मुहूर्त निकालना आवश्यक है.) आज भी ये सनातन परंपरा फॉलो की जा रही है. जो अकबर के समय में भी प्रासंगिक थी.  ज्ञान का रिश्ता धर्म से ऊपर है?ये भारत की धार्मिक विविधता और सहिष्णुता का प्रतीक है. यह दिखाता है कि सत्ता और ज्ञान का रिश्ता धर्म से ऊपर होता है. आज के इंटरफेथ संवाद और मिश्रित विवाहों में यह प्रमाण अद्भूत प्रतीत होते हैं. अकबर का ये कदम इस बात का प्रमाण है कि एक सच्चा शासक वही होता है जो ज्ञान, समय और ग्रहों की चाल को समझता है. जहां धर्म की सीमाएं खत्म होती हैं, वहीं से राजधर्म और विवेक की शुरुआत होती है, यही अकबर ने साबित किया.

Jun 4, 2025 - 11:30
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किस मुगल सम्राट ने अपने बेटे की शादी हिंदू ज्योतिषियों से पूछ कर की थी?

क्या कोई मुस्लिम सम्राट हिंदू पंडितों से शादी का मुहूर्त पूछ सकता है? सुनने में ये अजीब लग सकता है लेकिन सच यही है कि एक मुगल शासक इतिहास में ऐसा भी हुआ, जिसे भारतीय ज्योतिष पर अटूट विश्वास था और वह सम्राट था 'अकबर द ग्रेट'.

अकबर ने न केवल अपने पुत्र सलीम (जहांगीर) की कुंडली सात ज्योतिषियों से बनवाई थी, बल्कि विवाह की तिथि भी हिंदू पंचांग देखकर तय की थी. कैसे अकबर ने धर्म की दीवारों को पार कर ‘ग्रहों’ की चाल से राजनीति को दिशा दी, और यह प्रसंग आज की दुनिया में क्यों प्रासंगिक है. जानते हैं-

जब मुगल सम्राट ने ज्योतिषियों से पूछ कर तय किया विवाह का शुभ मुहूर्त
आज के मॉर्डन युग में कुछ लोगों को ये कल्पना लग सकता है, पर नहीं. यह इतिहास का आश्चर्यजनक सत्य है, जब मुगल सम्राट अकबर ने अपने पुत्र सलीम की शादी के लिए हिंदू ज्योतिषियों से परामर्श लिया. एक मुगल शासक द्वारा हिंदू पद्धति से मुहूर्त निकलवाना सिर्फ धार्मिक सहिष्णुता नहीं, बल्कि ज्ञान के प्रति श्रद्धा का प्रमाण था.

अकबर का ‘इबादतखाना’ उसकी किस सोच को दर्शाती है?
इतिहासकार Vincent Smith अपनी किताब 'Akbar: The Great Mogul' में लिखते हैं कि अकबर (1542–1605) एक विजेता से कहीं बढ़कर, धर्मनिरपेक्ष सोच वाले सम्राट था.

अकबर ने फतेहपुर सीकरी में ‘इबादतखाना’ की स्थापना की, जहां वो हिंदू, जैन, मुस्लिम और ईसाई विद्वानों से गूढ़ विषयों पर चर्चा करता था. एक जगह वो लिखते हैं 'It was common for Akbar to ask Hindu astrologers and Jain scholars to interpret celestial events.' यानि एस्ट्रोलॉजर और विद्वानों से चर्चा, ग्रह गोचर को लेकर विश्लेषण कराना अकबर के लिए दैनिक जीवन का हिस्सा था.

जहांगीर की कुंडली सात ज्योतिषियों ने मिलकर बनाई
Wheeler M. Thackston जिन्होंने कई किताबों का अनुवाद किया, Jahangirnama का अनुवाद करते हुए वे लिखते हैं कि जब सलीम का जन्म हुआ, तब अकबर ने उसकी जन्मपत्रिका यानि कुंडली बनाने के लिए सात ज्योतिषियों को आमंत्रित किया गया था. इनमें से कुछ हिंदू पंचांग और कुछ यूनानी खगोलशास्त्र के विशेषज्ञ थे.

तुजुक-ए-जहांगीरी (जहांगीरनामा) मुगल सम्राट जहांगीर की आत्मकथा है. यह फारसी में लिखी गई है. यह आत्मकथा साहित्य का एक अनूठा नमूना भी मानी जाती है. इसका अंग्रेजी में अनुवाद करते हुए Wheeler M. Thackston लिखते हैं- 'When I was born, astrologers, both Hindu and Muslim cast my horoscope...' जहांगीर लिखता है कि जब मेरा जन्म हुआ तो हिन्दू और मुस्लिम दोनों ज्योतिषियों ने मेरी कुंडली बनाई.

हिंदू पंचांग से निकाला गया था विवाह का मुहूर्त
जहांगीर की शादी का शुभ दिन भी इन्हीं हिंदू ज्योतिषियों की गणना के आधार पर तय हुआ था. यह अकबर के उस विश्वास का उदाहरण है कि राजकीय कार्यों में समय का चुनाव ग्रहों के अनुसार होना चाहिए.

भारतीय इतिहासकार Satish Chandra अपनी किताब Medieval India: From Sultanat to the Mughals में लिखते हैं कि 'He considered planetary positions and consulted Brahmin astrologers before royal weddings.' यानि मुगल सम्राट शाही शादियों से पहले ग्रहों की स्थिति पर विचार करते थे और ब्राह्मण ज्योतिषियों से परामर्श करते थे.'

अकबर का ज्योतिष पर विश्वास क्या केवल परंपरा थी या विज्ञान पर भरोसा?
इस बात को भी समझना होगा कि मुगल सम्राट अकबर आखिर क्यों ज्योतिष पर इतना विश्वास करता था. ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं कि अकबर खगोलीय घटनाओं जैसे सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, नक्षत्र परिवर्तन को नजरअंदाज नहीं करता था.

विज्ञान भी इन बातों को मानता है. अकबर के दरबार में पंडित जगन्नाथ, बीरबल जैसे विद्वानों को ज्योतिष और शास्त्रों पर अधिकार था. H. Blochmann जिन्होने आईने अकबरी (Ain-i-Akbari) का अनुवाद किया, वे लिखते हैं 'Akbar respected the learning of the Brahmins and often consulted them in astrological matters.' यानि 'अकबर ब्राह्मणों की शिक्षा का सम्मान करता था और अक्सर ज्योतिष संबंधी मामलों में उनसे सलाह लेता था।'

अकबर क्या भारतीय ज्योतिष ग्रंथों की हिदायतों पर अमल करता था?
वैदिक शास्त्रों में मुहूर्त के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है. मुहूर्त देखने की परंपरा महज विवाह जैसे कार्य तक ही सीमित नहीं है. वराहमिहिर द्वारा रचित बृहज्जातकम् या वृहत जातक में साफ लिखा है-

नक्षत्राणां च सर्वेषां मुहूर्तं पश्यतां शुभम्.
राज्ये विवाहे यज्ञे च ग्रहस्थानं विचारयेत्॥

(अर्थात- राज्य, विवाह और यज्ञ के लिए ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर शुभ मुहूर्त निकालना आवश्यक है.) आज भी ये सनातन परंपरा फॉलो की जा रही है. जो अकबर के समय में भी प्रासंगिक थी. 

ज्ञान का रिश्ता धर्म से ऊपर है?
ये भारत की धार्मिक विविधता और सहिष्णुता का प्रतीक है. यह दिखाता है कि सत्ता और ज्ञान का रिश्ता धर्म से ऊपर होता है. आज के इंटरफेथ संवाद और मिश्रित विवाहों में यह प्रमाण अद्भूत प्रतीत होते हैं.

अकबर का ये कदम इस बात का प्रमाण है कि एक सच्चा शासक वही होता है जो ज्ञान, समय और ग्रहों की चाल को समझता है. जहां धर्म की सीमाएं खत्म होती हैं, वहीं से राजधर्म और विवेक की शुरुआत होती है, यही अकबर ने साबित किया.

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