काम करते-करते हाथों में होने लगती है झनझनाहट, कहीं इस गंभीर बीमारी से तो नहीं जूझ रहे आप?
अक्सर जब हमारे हाथ में दर्द, झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होता है तो हम इसे बस थकावट या एक आम परेशानी मानकर इग्नोर कर देते हैं. खासकर यंग लोग, जो ऑफिस का काम करते हैं या मोबाइल-लैपटॉप पर ज्यादा समय बिताते हैं, वो इसे सामान्य दर्द मानते हैं. क्या आप जानते हैं कि ये संकेत किसी गंभीर समस्या का हिस्सा भी हो सकते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हाथों में झनझनाहट या दर्द, बार-बार सुन्न होना या जलन जैसी फीलिंग ये एक मेडिकल कंडीशन की ओर इशारा कर सकते हैं, जिसे मेडिकल भाषा में ब्रैकियलजिया कहा जाता है. यह शरीर में चल रही कई और दिक्कतों का संकेत हो सकता है. तो आइए जानते हैं कि हाथों में दर्द या झनझनाहट क्यों होती है, इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है. हाथ में झनझनाहट और दर्द के पीछे की असली वजहें? 1. सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस - इस दिक्कत के कारण भी हाथ में झनझनाहट और दर्द होता है, इस मेडिकल कंडीशन में बढ़ती उम्र में रीढ़ की हड्डी में घिसाव आना लगता है साथ ही गर्दन और कंधे से लेकर हाथों तक दर्द रहता है. 2. पेरिफेरल न्यूरोपैथी - इसमें हाथ-पैर की नसें कमजोर हो जाती हैं. ये डायबिटीज, शराब पीने वालों या विटामिन की कमी वालों को होता है. इसके कारण हाथों में जलन, झनझनाहट और सुन्नपन होती है. 3. ब्रैकियल प्लेक्सस इंजरी - बाइक से गिरना, एक्सीडेंट या ज्यादा स्ट्रेच करने से ये इंजरी होती है, जिसके कारण हाथ में तेज दर्द, कमजोरी या सुन्नपन होने लगता है. 4. सर्वाइकल डिस्क हर्नियेशन - इस कंडीशन में रीढ़ की हड्डी की नसें गर्दन के पास दब जाती हैं. खासतौर जो लोग ज्यादा समय कंप्यूटर पर बिताते हैं या खराब पॉश्चर में बैठते हैं. इसके कारण भी हाथों में दर्द, झनझनाहट और कमजोरी आती है. 5. थोरसिक आउटलेट सिंड्रोम - इसमें गर्दन से कंधे की ओर जाने वाली नसें दब जाती हैं. ये समस्या भारी बैग उठाना, गलत तरीके से बैठना या लंबे समय तक झुक कर काम करने के कारण होती है. इसकी वजह से भी हाथ में झनझनाहट और दर्द होता है. 6. फ्रोजन शोल्डर - इसमें कंधा धीरे-धीरे अकड़ने लगता है. ये दिक्कत डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा आम है. इसके कारण कंधे से हाथ तक दर्द और हिलाने में परेशानी होती है. 7. दिल से जुड़ा दर्द - कई बार दिल की समस्या का दर्द भी हाथ या शरीर के ऊपरी हिस्से में महसूस हो सकता है. खासकर बाएं हाथ में दर्द, भारीपन या जलन जो नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए. इन दिक्कतों से कैसे बचा जा सकता है? 1. अगर ये लक्षण लगातार बने हुए हैं, तो इसे हल्के में न लें , साथ ही पेन किलर से खुद इलाज न करें. इससे दर्द दब जाएगा लेकिन समस्या खत्म नहीं होगी.2. ऐसे में जरूरी है कि आप न्यूरोलॉजिस्ट या ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से मिलें.3. नर्व्स का टेस्ट और MRI कराएं क्योंकि ये कराना फायदेमंद हो सकता है.4. इन समस्याओं में फिजियोथेरेपी से काफी राहत मिलती है इसलिए फिजियोथेरेपी करा लें.5. इसके साथ ही अपना पोस्चर सही करें, काम करते वक्त सही बैठें, मोबाइल या लैपटॉप ठीक एंगल पर रखें.इसके अलावा एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग करें क्योंकि गर्दन और कंधे की एक्सरसाइज से नसों पर दबाव नहीं पड़ता है. यह भी पढ़े : पेट के कीड़े कर रहे हैं आपकी सेहत खराब? घर पर मौजूद इन चीजों से करें आसान और असरदार इलाज

अक्सर जब हमारे हाथ में दर्द, झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होता है तो हम इसे बस थकावट या एक आम परेशानी मानकर इग्नोर कर देते हैं. खासकर यंग लोग, जो ऑफिस का काम करते हैं या मोबाइल-लैपटॉप पर ज्यादा समय बिताते हैं, वो इसे सामान्य दर्द मानते हैं. क्या आप जानते हैं कि ये संकेत किसी गंभीर समस्या का हिस्सा भी हो सकते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हाथों में झनझनाहट या दर्द, बार-बार सुन्न होना या जलन जैसी फीलिंग ये एक मेडिकल कंडीशन की ओर इशारा कर सकते हैं, जिसे मेडिकल भाषा में ब्रैकियलजिया कहा जाता है. यह शरीर में चल रही कई और दिक्कतों का संकेत हो सकता है. तो आइए जानते हैं कि हाथों में दर्द या झनझनाहट क्यों होती है, इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है.
हाथ में झनझनाहट और दर्द के पीछे की असली वजहें?
1. सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस - इस दिक्कत के कारण भी हाथ में झनझनाहट और दर्द होता है, इस मेडिकल कंडीशन में बढ़ती उम्र में रीढ़ की हड्डी में घिसाव आना लगता है साथ ही गर्दन और कंधे से लेकर हाथों तक दर्द रहता है.
2. पेरिफेरल न्यूरोपैथी - इसमें हाथ-पैर की नसें कमजोर हो जाती हैं. ये डायबिटीज, शराब पीने वालों या विटामिन की कमी वालों को होता है. इसके कारण हाथों में जलन, झनझनाहट और सुन्नपन होती है.
3. ब्रैकियल प्लेक्सस इंजरी - बाइक से गिरना, एक्सीडेंट या ज्यादा स्ट्रेच करने से ये इंजरी होती है, जिसके कारण हाथ में तेज दर्द, कमजोरी या सुन्नपन होने लगता है.
4. सर्वाइकल डिस्क हर्नियेशन - इस कंडीशन में रीढ़ की हड्डी की नसें गर्दन के पास दब जाती हैं. खासतौर जो लोग ज्यादा समय कंप्यूटर पर बिताते हैं या खराब पॉश्चर में बैठते हैं. इसके कारण भी हाथों में दर्द, झनझनाहट और कमजोरी आती है.
5. थोरसिक आउटलेट सिंड्रोम - इसमें गर्दन से कंधे की ओर जाने वाली नसें दब जाती हैं. ये समस्या भारी बैग उठाना, गलत तरीके से बैठना या लंबे समय तक झुक कर काम करने के कारण होती है. इसकी वजह से भी हाथ में झनझनाहट और दर्द होता है.
6. फ्रोजन शोल्डर - इसमें कंधा धीरे-धीरे अकड़ने लगता है. ये दिक्कत डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा आम है. इसके कारण कंधे से हाथ तक दर्द और हिलाने में परेशानी होती है.
7. दिल से जुड़ा दर्द - कई बार दिल की समस्या का दर्द भी हाथ या शरीर के ऊपरी हिस्से में महसूस हो सकता है. खासकर बाएं हाथ में दर्द, भारीपन या जलन जो नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए.
इन दिक्कतों से कैसे बचा जा सकता है?
1. अगर ये लक्षण लगातार बने हुए हैं, तो इसे हल्के में न लें , साथ ही पेन किलर से खुद इलाज न करें. इससे दर्द दब जाएगा लेकिन समस्या खत्म नहीं होगी.
2. ऐसे में जरूरी है कि आप न्यूरोलॉजिस्ट या ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से मिलें.
3. नर्व्स का टेस्ट और MRI कराएं क्योंकि ये कराना फायदेमंद हो सकता है.
4. इन समस्याओं में फिजियोथेरेपी से काफी राहत मिलती है इसलिए फिजियोथेरेपी करा लें.
5. इसके साथ ही अपना पोस्चर सही करें, काम करते वक्त सही बैठें, मोबाइल या लैपटॉप ठीक एंगल पर रखें.
इसके अलावा एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग करें क्योंकि गर्दन और कंधे की एक्सरसाइज से नसों पर दबाव नहीं पड़ता है.
यह भी पढ़े : पेट के कीड़े कर रहे हैं आपकी सेहत खराब? घर पर मौजूद इन चीजों से करें आसान और असरदार इलाज
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