कहीं आपके ब्रेस्ट में तो नहीं बन रही गांठ? घर में खुद ऐसे कर सकते हैं जांच

ब्रेस्ट में गांठ का पता चलना यकीनन डराने वाला हो सकता है, क्योंकि अक्सर ये पहली बार में ब्रेस्ट कैंसर का सिग्नल लग सकता है. ब्रेस्ट में कोई भी स्वेलिंग चिंता पैदा करती है, चाहे वो कैसी भी दिखे या फील हो. यहां तक कि आधे इंच से बड़े ट्यूमर को भी छूकर फील किया जा सकता है. हालांकि, ये समझना बहुत जरूरी है कि हर ब्रेस्ट लंप कैंसरस  नहीं होता है. खासकर यंग वीमेन में, ब्रेस्ट में गांठें एक बेनाइन कंडीशन का इंडिकेशन हो सकती हैं, जिसका मतलब है कि वो कैंसर नहीं हैं और लाइफ के लिए डेंजरस नहीं होतीं.अगर आपको अपने ब्रेस्ट टिश्यूजमें कोई गांठ फील होती है, तो कैंसर को रूल आउट करना बहुत जरूरी है. अगर आपको कोई नई गांठ दिखे या आपके ब्रेस्ट टिश्यूज का टेक्सचर नॉर्मल से अलग फील हो, तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें..टाइम पर चेकअप और डायग्नोसिस बहुत इंपॉर्टेंट है. क्या है बेस्ट लम्प्स या गांठ? एम्स दिल्ली में कैंसर एक्सपर्ट डॉ. अभिषेक शंकर के मुताबिक, ब्रेस्ट में गांठ पीरियड्स या प्रेग्नेंसी जैसे हार्मोनल बदलावों से भी हो सकती है. ब्रेस्ट टिशू में एक उभार है. अक्सर लोग इसे कैंसर मानकर घबरा जाते हैं, जबकि ज्यादातर गांठें नॉर्मल होती हैं और दवाओं से ठीक हो सकती हैं. हालांकि, हर नई गांठ को डॉक्टर को दिखाना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह ब्रेस्ट कैंसर का भी एक अहम लक्षण हो सकता है. ब्रेस्ट में गांठ के कारण ब्रेस्ट में गांठ कई अलग-अलग वजहों से बन सकती हैं और इनमें से ज्यादातर कैंसर वाली नहीं होतीं. इनमें हमर्टोमा, दूध के सिस्ट, लिपोमा और ब्रेस्ट सिस्ट शामिल हैं. इसके अलावा, फाइब्रोएडीनोमा और इंट्राडक्टल पेपिलोमा भी कारण हो सकते हैं. फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट या ब्रेस्ट में चोट लगने से भी गांठ बन सकती है. यदि कोई महिला स्तनपान करा रही है, तो मास्टिटिस भी गांठ का कारण हो सकता है. यह समझना जरूरी है कि भले ही इनमें से ज्यादातर गांठें सॉफ्ट हों, पर किसी भी नई या असामान्य गांठ का पता लगने पर हमेशा डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए, ताकि सही डायग्नोसिस और जरूरत पड़ने पर ट्रीटमेंट मिल सके. कैसे करें ब्रेस्ट की खुद से जांच? ब्रेस्ट एग्जामिशनेशन करना आपको अपने ब्रेस्ट में होने वाले किसी भी बदलाव को जल्दी पहचानने में हेल्प कर सकता है, ले कन ये सिर्फ एक सेल्फ-चेक है, न कि मेडिकल चेकअप का ऑप्शन. आप लेटकर, अपने दाहिने हाथ को सिर के पीछे रखकर, बाएं हाथ की उंगलियों से ब्रेस्ट को चेक कर सकती हैं. आर्मपिट और निप्पल को भी चेक करें. किसी भी डिस्चार्ज पर ध्यान दें. शीशे के सामने खड़े होकर ब्रेस्ट के साइज़, शेप, कलर और स्किन में बदलाव जैसे डिमलिंग या ऑरेंज पील जैसी स्किन को ऑब्जर्व करें. अगर आपको कोई नई गांठ, दर्द, स्किन में चेंज, निप्पल से डिस्चार्ज या कोई भी अबनॉर्मल बदलाव महसूस होता है, तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें.  ये भी पढ़ें: कैसे खत्म हो जाती है घुटनों की ग्रीस? जानें इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Jul 21, 2025 - 07:30
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कहीं आपके ब्रेस्ट में तो नहीं बन रही गांठ? घर में खुद ऐसे कर सकते हैं जांच

ब्रेस्ट में गांठ का पता चलना यकीनन डराने वाला हो सकता है, क्योंकि अक्सर ये पहली बार में ब्रेस्ट कैंसर का सिग्नल लग सकता है. ब्रेस्ट में कोई भी स्वेलिंग चिंता पैदा करती है, चाहे वो कैसी भी दिखे या फील हो. यहां तक कि आधे इंच से बड़े ट्यूमर को भी छूकर फील किया जा सकता है.

हालांकि, ये समझना बहुत जरूरी है कि हर ब्रेस्ट लंप कैंसरस  नहीं होता है. खासकर यंग वीमेन में, ब्रेस्ट में गांठें एक बेनाइन कंडीशन का इंडिकेशन हो सकती हैं, जिसका मतलब है कि वो कैंसर नहीं हैं और लाइफ के लिए डेंजरस नहीं होतीं.
अगर आपको अपने ब्रेस्ट टिश्यूजमें कोई गांठ फील होती है, तो कैंसर को रूल आउट करना बहुत जरूरी है. अगर आपको कोई नई गांठ दिखे या आपके ब्रेस्ट टिश्यूज का टेक्सचर नॉर्मल से अलग फील हो, तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें..टाइम पर चेकअप और डायग्नोसिस बहुत इंपॉर्टेंट है.

क्या है बेस्ट लम्प्स या गांठ?

एम्स दिल्ली में कैंसर एक्सपर्ट डॉ. अभिषेक शंकर के मुताबिक, ब्रेस्ट में गांठ पीरियड्स या प्रेग्नेंसी जैसे हार्मोनल बदलावों से भी हो सकती है. ब्रेस्ट टिशू में एक उभार है. अक्सर लोग इसे कैंसर मानकर घबरा जाते हैं, जबकि ज्यादातर गांठें नॉर्मल होती हैं और दवाओं से ठीक हो सकती हैं. हालांकि, हर नई गांठ को डॉक्टर को दिखाना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह ब्रेस्ट कैंसर का भी एक अहम लक्षण हो सकता है.

ब्रेस्ट में गांठ के कारण

ब्रेस्ट में गांठ कई अलग-अलग वजहों से बन सकती हैं और इनमें से ज्यादातर कैंसर वाली नहीं होतीं. इनमें हमर्टोमा, दूध के सिस्ट, लिपोमा और ब्रेस्ट सिस्ट शामिल हैं. इसके अलावा, फाइब्रोएडीनोमा और इंट्राडक्टल पेपिलोमा भी कारण हो सकते हैं. फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट या ब्रेस्ट में चोट लगने से भी गांठ बन सकती है. यदि कोई महिला स्तनपान करा रही है, तो मास्टिटिस भी गांठ का कारण हो सकता है. यह समझना जरूरी है कि भले ही इनमें से ज्यादातर गांठें सॉफ्ट हों, पर किसी भी नई या असामान्य गांठ का पता लगने पर हमेशा डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए, ताकि सही डायग्नोसिस और जरूरत पड़ने पर ट्रीटमेंट मिल सके.

कैसे करें ब्रेस्ट की खुद से जांच?

ब्रेस्ट एग्जामिशनेशन करना आपको अपने ब्रेस्ट में होने वाले किसी भी बदलाव को जल्दी पहचानने में हेल्प कर सकता है, ले कन ये सिर्फ एक सेल्फ-चेक है, न कि मेडिकल चेकअप का ऑप्शन. आप लेटकर, अपने दाहिने हाथ को सिर के पीछे रखकर, बाएं हाथ की उंगलियों से ब्रेस्ट को चेक कर सकती हैं. आर्मपिट और निप्पल को भी चेक करें. किसी भी डिस्चार्ज पर ध्यान दें. शीशे के सामने खड़े होकर ब्रेस्ट के साइज़, शेप, कलर और स्किन में बदलाव जैसे डिमलिंग या ऑरेंज पील जैसी स्किन को ऑब्जर्व करें. अगर आपको कोई नई गांठ, दर्द, स्किन में चेंज, निप्पल से डिस्चार्ज या कोई भी अबनॉर्मल बदलाव महसूस होता है, तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें. 

ये भी पढ़ें: कैसे खत्म हो जाती है घुटनों की ग्रीस? जानें इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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