'कमेटी के गठन और CJI की सिफारिश में कुछ गलत नहीं, याचिकाकर्ता का आचरण भरोसे लायक...', जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका SC में खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका गुरुवार (7 अगस्त, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी और कहा कि याचिकाकर्ता का आचरण विश्वसनीय नहीं है. जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहते अपने घर से जला हुआ कैश मिलने के मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करार देने की मांग की थी. जस्टिस यशवंत वर्मा ने याचिका में इन हाउस कमेटी के गठन, रिपोर्ट और पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की ओर से उन्हें पद से हटाए जाने की सिफारिश का विरोध किया था, जिसे लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा से कड़े सवाल किए थे. कोर्ट ने पूछा था कि अगर वह जांच करने वाली इन हाउस कमेटी को अवैध मानते थे, तो उसके पेश क्यों हुए और वह ये सब दलीलें तब दे रहे हैं जब कमेटी की रिपोर्ट उनके खिलाफ आई है. अपने खिलाफ रिपोर्ट आने के बाद कमेटी को अवैध कहना क्यों शुरू किया? सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि जांच कमेटी के गठन में कोई कानूनी कमी नहीं थी. हालांकि, कोर्ट ने माना कि उनके घर पर मिले जले हुए कैश का वीडियो अपलोड करना गलत हो सकता है, लेकिन याचिकाकर्ता ने तब उसका विरोध नहीं किया. न ही अपनी याचिका में इसे उठाया. उनके वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान जस्टिस वर्मा के घर पर जला हुआ कैश मिलने का वीडियो सार्वजनिक किए जाने का विरोध किया था. उन्होंने कहा था, 'माहौल पहले ही उनके खिलाफ बना दिया गया. ऐसा खुद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने किया. उन्होंने सिर्फ इतना ही नहीं किया, कमेटी की रिपोर्ट के बाद जज को पद से हटाने की सिफारिश भी राष्ट्रपति को भेज दी.' पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना की ओर से पद से हटाने और कमेटी गठित करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजे जाने पर जस्टिस वर्मा की आपत्ति को लेकरसुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है. कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और जस्टिस यशवंत वर्मा पर एफआईआर की मांग वाली वकील मैथ्यूज नेदुंपरा की याचिका भी खारिज दी है. (निपुण सहगल के इनपुट के साथ)

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका गुरुवार (7 अगस्त, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी और कहा कि याचिकाकर्ता का आचरण विश्वसनीय नहीं है. जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहते अपने घर से जला हुआ कैश मिलने के मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करार देने की मांग की थी.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने याचिका में इन हाउस कमेटी के गठन, रिपोर्ट और पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की ओर से उन्हें पद से हटाए जाने की सिफारिश का विरोध किया था, जिसे लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा से कड़े सवाल किए थे. कोर्ट ने पूछा था कि अगर वह जांच करने वाली इन हाउस कमेटी को अवैध मानते थे, तो उसके पेश क्यों हुए और वह ये सब दलीलें तब दे रहे हैं जब कमेटी की रिपोर्ट उनके खिलाफ आई है. अपने खिलाफ रिपोर्ट आने के बाद कमेटी को अवैध कहना क्यों शुरू किया?
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि जांच कमेटी के गठन में कोई कानूनी कमी नहीं थी. हालांकि, कोर्ट ने माना कि उनके घर पर मिले जले हुए कैश का वीडियो अपलोड करना गलत हो सकता है, लेकिन याचिकाकर्ता ने तब उसका विरोध नहीं किया. न ही अपनी याचिका में इसे उठाया. उनके वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान जस्टिस वर्मा के घर पर जला हुआ कैश मिलने का वीडियो सार्वजनिक किए जाने का विरोध किया था. उन्होंने कहा था, 'माहौल पहले ही उनके खिलाफ बना दिया गया. ऐसा खुद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने किया. उन्होंने सिर्फ इतना ही नहीं किया, कमेटी की रिपोर्ट के बाद जज को पद से हटाने की सिफारिश भी राष्ट्रपति को भेज दी.'
पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना की ओर से पद से हटाने और कमेटी गठित करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजे जाने पर जस्टिस वर्मा की आपत्ति को लेकरसुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है. कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और जस्टिस यशवंत वर्मा पर एफआईआर की मांग वाली वकील मैथ्यूज नेदुंपरा की याचिका भी खारिज दी है.
(निपुण सहगल के इनपुट के साथ)
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