एलन मस्क के बाद अब जेफ बेजोस की भारत के टेलीकॉम बाजार पर नजर, सैटेलाइट इंटरनेट को लेकर बड़ी जानकारी आई सामने

भारत का टेलीकॉम बाजार इन दिनों दुनिया की बड़ी टेक कंपनियों के लिए हॉटस्पॉट बन गया है. पहले एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने अपने सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट ‘स्टारलिंक’ के ज़रिए भारत में एंट्री की कोशिश की, और अब अमेजन के मालिक जेफ बेजोस भी पीछे नहीं हैं. अमेजन अपने प्रोजेक्ट 'कुइपर' के ज़रिए भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की पूरी तैयारी में है. DoT से मंजूरी की कोशिश में अमेजन अमेजन ने भारत में इस सेवा को शुरू करने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) से संपर्क किया है. कंपनी ये जानना चाहती है कि भारत में प्रोजेक्ट कुइपर शुरू करने के लिए जरूरी मंजूरी यानी 'Letter of Intent' (LoI) मिलने में कितना वक्त लगेगा. दिलचस्प बात ये है कि कुइपर का आवेदन स्टारलिंक से पहले का है, लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली है. देशभर में इंटरनेट पहुंचाने का लक्ष्य प्रोजेक्ट कुइपर के तहत अमेजन भारत के दो बड़े शहरों, मुंबई और चेन्नई में 10 ग्राउंड स्टेशन और दो बड़े हब बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इस सैटेलाइट इंटरनेट सेवा का सबसे बड़ा फोकस उन इलाकों पर है जहां अभी इंटरनेट की पहुंच बेहद कम है या बिल्कुल नहीं है. यानी गांवों और दूर-दराज के इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाना इसका मुख्य मकसद है. 2026 तक आधे सैटेलाइट एक्टिव करने की डेडलाइन प्रोजेक्ट कुइपर की शुरुआत 2019 में हुई थी और इसके तहत कुल 3,236 सैटेलाइट्स को धरती की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में तैनात किया जाना है. अमेजन को अमेरिका की फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन (FCC) से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इसके तहत उसे 2026 के मध्य तक आधे सैटेलाइट्स को सक्रिय करना जरूरी होगा. कंपनी की शुरुआत की रफ्तार थोड़ी धीमी रही है, इसलिए माना जा रहा है कि वो इस डेडलाइन को आगे बढ़ाने का अनुरोध कर सकती है. स्टारलिंक से सीधी टक्कर कहने की जरूरत नहीं कि प्रोजेक्ट कुइपर सीधा मुकाबला स्टारलिंक से करेगा. दोनों का फोकस लो-ऑर्बिट सैटेलाइट्स के जरिए ब्रॉडबैंड इंटरनेट देना है. इतना ही नहीं, अमेजन इस प्रोजेक्ट के जरिए AT\&T और T-Mobile जैसी ग्लोबल टेलीकॉम कंपनियों को भी टक्कर देने की तैयारी में है. भारत में तेज होती स्पर्धा साफ है कि भारत का टेलीकॉम सेक्टर अब सिर्फ मोबाइल कंपनियों तक सीमित नहीं रह गया है. सैटेलाइट इंटरनेट के आने से अब इस सेक्टर में ग्लोबल प्लेयर्स की दिलचस्पी और भी बढ़ गई है. आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी, जिसका फायदा सीधे आम लोगों को मिल सकता है, खासकर उन इलाकों में, जहां आज भी इंटरनेट एक सपना है.

May 16, 2025 - 08:30
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एलन मस्क के बाद अब जेफ बेजोस की भारत के टेलीकॉम बाजार पर नजर, सैटेलाइट इंटरनेट को लेकर बड़ी जानकारी आई सामने

भारत का टेलीकॉम बाजार इन दिनों दुनिया की बड़ी टेक कंपनियों के लिए हॉटस्पॉट बन गया है. पहले एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने अपने सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट ‘स्टारलिंक’ के ज़रिए भारत में एंट्री की कोशिश की, और अब अमेजन के मालिक जेफ बेजोस भी पीछे नहीं हैं. अमेजन अपने प्रोजेक्ट 'कुइपर' के ज़रिए भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की पूरी तैयारी में है.

DoT से मंजूरी की कोशिश में अमेजन

अमेजन ने भारत में इस सेवा को शुरू करने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) से संपर्क किया है. कंपनी ये जानना चाहती है कि भारत में प्रोजेक्ट कुइपर शुरू करने के लिए जरूरी मंजूरी यानी 'Letter of Intent' (LoI) मिलने में कितना वक्त लगेगा. दिलचस्प बात ये है कि कुइपर का आवेदन स्टारलिंक से पहले का है, लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली है.

देशभर में इंटरनेट पहुंचाने का लक्ष्य

प्रोजेक्ट कुइपर के तहत अमेजन भारत के दो बड़े शहरों, मुंबई और चेन्नई में 10 ग्राउंड स्टेशन और दो बड़े हब बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इस सैटेलाइट इंटरनेट सेवा का सबसे बड़ा फोकस उन इलाकों पर है जहां अभी इंटरनेट की पहुंच बेहद कम है या बिल्कुल नहीं है. यानी गांवों और दूर-दराज के इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाना इसका मुख्य मकसद है.

2026 तक आधे सैटेलाइट एक्टिव करने की डेडलाइन

प्रोजेक्ट कुइपर की शुरुआत 2019 में हुई थी और इसके तहत कुल 3,236 सैटेलाइट्स को धरती की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में तैनात किया जाना है. अमेजन को अमेरिका की फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन (FCC) से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इसके तहत उसे 2026 के मध्य तक आधे सैटेलाइट्स को सक्रिय करना जरूरी होगा. कंपनी की शुरुआत की रफ्तार थोड़ी धीमी रही है, इसलिए माना जा रहा है कि वो इस डेडलाइन को आगे बढ़ाने का अनुरोध कर सकती है.

स्टारलिंक से सीधी टक्कर

कहने की जरूरत नहीं कि प्रोजेक्ट कुइपर सीधा मुकाबला स्टारलिंक से करेगा. दोनों का फोकस लो-ऑर्बिट सैटेलाइट्स के जरिए ब्रॉडबैंड इंटरनेट देना है. इतना ही नहीं, अमेजन इस प्रोजेक्ट के जरिए AT\&T और T-Mobile जैसी ग्लोबल टेलीकॉम कंपनियों को भी टक्कर देने की तैयारी में है.

भारत में तेज होती स्पर्धा

साफ है कि भारत का टेलीकॉम सेक्टर अब सिर्फ मोबाइल कंपनियों तक सीमित नहीं रह गया है. सैटेलाइट इंटरनेट के आने से अब इस सेक्टर में ग्लोबल प्लेयर्स की दिलचस्पी और भी बढ़ गई है. आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी, जिसका फायदा सीधे आम लोगों को मिल सकता है, खासकर उन इलाकों में, जहां आज भी इंटरनेट एक सपना है.

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