एथेनॉल मिले पेट्रोल की बिक्री के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, माइलेज पर असर की दी गई थी दलील
पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिला कर बेचने के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. याचिका में कहा गया था कि ज्यादातर गाड़ियां एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP-20) के लायक नहीं है, लेकिन उपभोक्ताओं को इसे खरीदने के लिए विवश किया जा रहा है. याचिकाकर्ता अक्षय मल्होत्रा की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील शादान फरासत ने कहा कि भारत में 2023 से पहले बने वाहन एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लायक नहीं हैं. इस पेट्रोल से न सिर्फ उनकी गाड़ी का माइलेज कम हो रहा है, बल्कि इंजन पर भी बुरा असर पड़ने की आशंका है. पेट्रोल पंप में एथेनॉल मुक्त पेट्रोल की भी बिक्री होनी चाहिए ताकि लोग अपनी गाड़ी के हिसाब से ईंधन खरीद सकें. केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने याचिका का कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह नीति व्यापक हित में बनाई गई है. इससे गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ हो रहा है. कोर्ट इस याचिका को सिर्फ एक व्यक्ति की याचिका न समझे. एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को रोकने की मांग के लिए एक बड़ी लॉबी सक्रिय है. दोनों पक्षों को थोड़ी देर सुनने के बाद चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने याचिका खारिज कर दी. क्या होता है E20 फ्यूल?एथिल एल्कोहल या इथेनॉल (C₂H₅OH) या E20 एक जैव ईंधन (Bio Fuel) है, जो शुगर को फर्मेंट करके बनाया जाता है. इसमें 80 प्रतिशत पेट्रोल और 20 प्रतिशत इथेनॉल को मिलाया जाता है. E20 फ्यूल के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन कम होगा और गन्ने की खेती करने वाले किसानों को भी इससे लाभ मिलेगा क्योंकि इसे बनाने में शुगर का उपयोग होता है. सरकार ने साल 2023 से बायो फ्यूल को धीरे-धीरे लागू करना शुरू किया है. तब E5 और E10 जैसे बायो फ्यूल भी लाए गए थे, जिन्हें पुरानी गाड़ियों के लिए ज्यादा उपयुक्त माना गया था, लेकिन अब देश के सभी 90 हजार फ्यूल स्टेशनों से इन्हें हटा दिया गया है. सरकार ने जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) की खपत को कम करने के लिए E20 फ्यूल को पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम शुरू किया है. हालांकि, E20 फ्यूल सिर्फ उन टू-व्हीलर्स या कारों के लिए ही उपयुक्त है, जो 2023 के बाद की हैं. इससे पुरानी गाड़ियों में दिक्कत हो सकती है.

पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिला कर बेचने के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. याचिका में कहा गया था कि ज्यादातर गाड़ियां एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP-20) के लायक नहीं है, लेकिन उपभोक्ताओं को इसे खरीदने के लिए विवश किया जा रहा है.
याचिकाकर्ता अक्षय मल्होत्रा की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील शादान फरासत ने कहा कि भारत में 2023 से पहले बने वाहन एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लायक नहीं हैं. इस पेट्रोल से न सिर्फ उनकी गाड़ी का माइलेज कम हो रहा है, बल्कि इंजन पर भी बुरा असर पड़ने की आशंका है. पेट्रोल पंप में एथेनॉल मुक्त पेट्रोल की भी बिक्री होनी चाहिए ताकि लोग अपनी गाड़ी के हिसाब से ईंधन खरीद सकें.
केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने याचिका का कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह नीति व्यापक हित में बनाई गई है. इससे गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ हो रहा है. कोर्ट इस याचिका को सिर्फ एक व्यक्ति की याचिका न समझे. एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को रोकने की मांग के लिए एक बड़ी लॉबी सक्रिय है. दोनों पक्षों को थोड़ी देर सुनने के बाद चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने याचिका खारिज कर दी.
क्या होता है E20 फ्यूल?
एथिल एल्कोहल या इथेनॉल (C₂H₅OH) या E20 एक जैव ईंधन (Bio Fuel) है, जो शुगर को फर्मेंट करके बनाया जाता है. इसमें 80 प्रतिशत पेट्रोल और 20 प्रतिशत इथेनॉल को मिलाया जाता है. E20 फ्यूल के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन कम होगा और गन्ने की खेती करने वाले किसानों को भी इससे लाभ मिलेगा क्योंकि इसे बनाने में शुगर का उपयोग होता है. सरकार ने साल 2023 से बायो फ्यूल को धीरे-धीरे लागू करना शुरू किया है. तब E5 और E10 जैसे बायो फ्यूल भी लाए गए थे, जिन्हें पुरानी गाड़ियों के लिए ज्यादा उपयुक्त माना गया था, लेकिन अब देश के सभी 90 हजार फ्यूल स्टेशनों से इन्हें हटा दिया गया है.
सरकार ने जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) की खपत को कम करने के लिए E20 फ्यूल को पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम शुरू किया है. हालांकि, E20 फ्यूल सिर्फ उन टू-व्हीलर्स या कारों के लिए ही उपयुक्त है, जो 2023 के बाद की हैं. इससे पुरानी गाड़ियों में दिक्कत हो सकती है.
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