'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर फैसला लेने के लिए केंद्र ने बनाई कमिटी, सुप्रीम कोर्ट ने निर्माता को पहले वहां बात रखने को कहा

कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कोई आदेश देने से मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सभी पक्ष पहले केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय की तरफ से गठित कमिटी के सामने अपनी बात रखें. सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 21 जुलाई को मामला सुनेगा. क्या है कन्हैयालाल हत्याकांड? जून 2022 में उदयपुर में दर्जी का काम करने वाले कन्हैयालाल की गला काट कर निर्मम हत्या हुई थी. उस दिनों पैगम्बर मोहम्मद के बारे में बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के एक बयान को लेकर काफी विवाद चल रहा था. कन्हैयालाल ने नूपुर का समर्थन करने वाला पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किया था. इसलिए मोहम्मद रियाज़ और मोहम्मद गौस ने उन्हें मार डाला. आरोप है कि कई और लोगों ने हत्या में सहयोग किया. हाई कोर्ट ने केंद्र को भेजा मामला 10 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका को सुनते हुए फ़िल्म की रिलीज रोक दी थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार सिनेमेटोग्राफी एक्ट की धारा 6 के तहत मामले पर विचार कर फैसला ले. हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ निर्माता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. इसके अलावा कन्हैयालाल हत्याकांड के एक आरोपी जावेद ने भी याचिका दायर कर फ़िल्म की रिलीज रोकने की मांग की है. कौन-कौन वकील हुए पेश? सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जोयमाल्या बागची की बेंच के सामने फिल्म निर्माता की तरफ से वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया और वकील सैयद रिज़वान अहमद ने बहस की. जमीयत की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मोहम्मद जावेद की तरफ से मेनका गुरुस्वामी ने जिरह की. नुकसान की दलील निर्माता के वकील गौरव भाटिया ने कहा कि सिनेमा हॉल में फिल्म के प्रदर्शन को आखिरी मौके पर रोक दिया गया. इससे निर्माताओं को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस पर जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि दूसरा पक्ष फिल्म से सामाजिक सौहार्द के नुकसान की दलील दे रहा है. आर्थिक नुकसान की भरपाई हो सकती है, लेकिन सामाजिक नुकसान की भरपाई मुश्किल है. 'हम कोई विचार नहीं व्यक्त कर रहे' सुनवाई के दौरान जजों ने साफ किया कि वह फ़िल्म पर अपनी तरफ से कोई विचार नहीं रख रहे हैं, न ही हाई कोर्ट ने भी ऐसा किया. हाई कोर्ट ने वैधानिक प्रावधानों के मुताबिक मामला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया. सूचना-प्रसारण मंत्रालय की कमिटी बुधवार, 16 जुलाई को दोपहर ढाई बजे मामले पर विचार करेगी. फिल्म निर्माता, जमीयत उलेमा ए हिंद और हत्या केस के आरोपी मोहम्मद जावेद के प्रतिनिधि वहां जाकर अपनी बात रखें. 'फिल्म इस्लाम के खिलाफ नहीं' फिल्म निर्माता ने अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट कमिटी से 24 घंटे में फैसला लेने को कहे. लेकिन कोर्ट ने सिर्फ यही कहा कि कमिटी जल्द फैसला लेने का प्रयास करे. सुनवाई के दौरान जमीयत के वकील कपिल सिब्बल ने फिल्म में मुसलमानों को गलत तरीके से दिखाए जाने की दलील दी. इस पर निर्माता के वकील रिज़वान अहमद ने कहा कि फिल्म में इस्लाम के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया है. मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों को गलत दिखाना इस्लाम का विरोध नहीं कहा जा सकता. सुरक्षा की मांग निर्माता के वकीलों ने निर्माता-निर्देशक और दिवंगत कन्हैयालाल के बेटे को मिल रही हत्या की धमकी का भी हवाला दिया. इस पर कोर्ट ने कहा कि सभी लोग अपने क्षेत्र की पुलिस को सुरक्षा का आवेदन दें. पुलिस स्थिति के मुताबिक निर्णय ले. ये भी पढ़ें- 'बाबर क्रूर विजेता, अकबर सहिष्णु, औरंगजेब मंदिर-गुरुद्वारे तोड़ने वाला', NCERT ने कक्षा 8 की किताब में कर डाले बड़े बदलाव

Jul 16, 2025 - 13:30
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'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर फैसला लेने के लिए केंद्र ने बनाई कमिटी, सुप्रीम कोर्ट ने निर्माता को पहले वहां बात रखने को कहा

कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कोई आदेश देने से मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सभी पक्ष पहले केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय की तरफ से गठित कमिटी के सामने अपनी बात रखें. सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 21 जुलाई को मामला सुनेगा.

क्या है कन्हैयालाल हत्याकांड?

जून 2022 में उदयपुर में दर्जी का काम करने वाले कन्हैयालाल की गला काट कर निर्मम हत्या हुई थी. उस दिनों पैगम्बर मोहम्मद के बारे में बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के एक बयान को लेकर काफी विवाद चल रहा था. कन्हैयालाल ने नूपुर का समर्थन करने वाला पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किया था. इसलिए मोहम्मद रियाज़ और मोहम्मद गौस ने उन्हें मार डाला. आरोप है कि कई और लोगों ने हत्या में सहयोग किया.

हाई कोर्ट ने केंद्र को भेजा मामला

10 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका को सुनते हुए फ़िल्म की रिलीज रोक दी थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार सिनेमेटोग्राफी एक्ट की धारा 6 के तहत मामले पर विचार कर फैसला ले. हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ निर्माता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. इसके अलावा कन्हैयालाल हत्याकांड के एक आरोपी जावेद ने भी याचिका दायर कर फ़िल्म की रिलीज रोकने की मांग की है.

कौन-कौन वकील हुए पेश?

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जोयमाल्या बागची की बेंच के सामने फिल्म निर्माता की तरफ से वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया और वकील सैयद रिज़वान अहमद ने बहस की. जमीयत की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मोहम्मद जावेद की तरफ से मेनका गुरुस्वामी ने जिरह की.

नुकसान की दलील

निर्माता के वकील गौरव भाटिया ने कहा कि सिनेमा हॉल में फिल्म के प्रदर्शन को आखिरी मौके पर रोक दिया गया. इससे निर्माताओं को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस पर जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि दूसरा पक्ष फिल्म से सामाजिक सौहार्द के नुकसान की दलील दे रहा है. आर्थिक नुकसान की भरपाई हो सकती है, लेकिन सामाजिक नुकसान की भरपाई मुश्किल है.

'हम कोई विचार नहीं व्यक्त कर रहे'

सुनवाई के दौरान जजों ने साफ किया कि वह फ़िल्म पर अपनी तरफ से कोई विचार नहीं रख रहे हैं, न ही हाई कोर्ट ने भी ऐसा किया. हाई कोर्ट ने वैधानिक प्रावधानों के मुताबिक मामला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया. सूचना-प्रसारण मंत्रालय की कमिटी बुधवार, 16 जुलाई को दोपहर ढाई बजे मामले पर विचार करेगी. फिल्म निर्माता, जमीयत उलेमा ए हिंद और हत्या केस के आरोपी मोहम्मद जावेद के प्रतिनिधि वहां जाकर अपनी बात रखें.

'फिल्म इस्लाम के खिलाफ नहीं'

फिल्म निर्माता ने अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट कमिटी से 24 घंटे में फैसला लेने को कहे. लेकिन कोर्ट ने सिर्फ यही कहा कि कमिटी जल्द फैसला लेने का प्रयास करे. सुनवाई के दौरान जमीयत के वकील कपिल सिब्बल ने फिल्म में मुसलमानों को गलत तरीके से दिखाए जाने की दलील दी. इस पर निर्माता के वकील रिज़वान अहमद ने कहा कि फिल्म में इस्लाम के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया है. मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों को गलत दिखाना इस्लाम का विरोध नहीं कहा जा सकता.

सुरक्षा की मांग

निर्माता के वकीलों ने निर्माता-निर्देशक और दिवंगत कन्हैयालाल के बेटे को मिल रही हत्या की धमकी का भी हवाला दिया. इस पर कोर्ट ने कहा कि सभी लोग अपने क्षेत्र की पुलिस को सुरक्षा का आवेदन दें. पुलिस स्थिति के मुताबिक निर्णय ले.

ये भी पढ़ें-

'बाबर क्रूर विजेता, अकबर सहिष्णु, औरंगजेब मंदिर-गुरुद्वारे तोड़ने वाला', NCERT ने कक्षा 8 की किताब में कर डाले बड़े बदलाव

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