इस साल अब तक कच्चे तेल की कीमतों में 20% की बड़ी गिरावट, जल्द पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की बढ़ी उम्मीद
Crude Oil Price Drop: वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. ऐसे में ये उम्मीद अब बढ़ती जा रही है कि देश में भी जल्द सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती कर सकती है. इसकी वजह ये है कि हाल में तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक ने तेल की आपूर्ति को और ज्यादा बढ़ाने का फैसला किया है. ओपेक के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिर गई हैं. अमेरिकी कच्चे देल के दाम में 2.49 डॉलर यानी 4.27 प्रतिशत की गिरावट हुई है और ये 55.80 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. जबकि, ब्रेंट क्रूड तेल के दाम में 2.39 डॉलर यानी 3.9 प्रतिशत की गिरावट हुई है और ये 58.90 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. इस साल कच्चे तेल की कीमतों में अब तक करीब 20 बड़ी फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. गौरतलब है कि कच्चे तेल के आठ उत्पादक देशों का नेतृत्व करने वाले सऊदी अरब ने शनिवार को इस बात पर हामी भरी की कि वे जून में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाकर 4,11,000 बैरल प्रति दिन करेंगे. उसका ये फैसले ऐसे वक्त पर आया है जब ओपेक+ देशों ने मई में अपने कच्चे तेल के प्रोडक्शन के बढ़ाने के फैसले से बाजार को हैरान किया है. बढ़ी डीजल की मांग देश में डीजल की मांग में अप्रैल में करीब चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है. कई महीने की नकारात्मक या कम वृद्धि के बाद अप्रैल में गर्मियों की शुरुआत के साथ डीजल की खपत बढ़ी है. डीजल देश में सबसे ज्यादा उपभोग किया जाने वाला ईंधन है. यह देश के परिवहन क्षेत्र और ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था की ‘जीवनरेखा’ है. 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में डीजल की मांग में सिर्फ दो प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी और इससे पिछले वित्त वर्ष में डीजल की खपत में कोई वृद्धि नहीं हुई थी. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस विंग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में डीजल की खपत बढ़कर 82.3 लाख टन हो गई, जो एक साल पहले की समान अवधि से लगभग चार प्रतिशत अधिक है. अप्रैल, 2023 की तुलना में खपत 5.3 प्रतिशत और कोविड-पूर्व की अवधि यानी 2019 की तुलना में इसमें 10.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. गर्मियों की शुरुआत से ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में एयर-कंडीशनिंग की मांग बढ़ जाती है. अप्रैल, 2025 में डीजल की मांग में 4% की वृद्धि इस महीने के लिए दर्ज की गई सबसे ऊंची मात्रा और किसी भी महीने में अबतक की दूसरी सबसे अधिक मात्रा है. उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में डीजल की मांग में सुस्ती रही है, जिससे इसके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं. यात्री वाहनों में अब पेट्रोल, सीएनजी और बिजली का इस्तेमाल बढ़ रहा है. इसके बावजूद देश में कुल पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में डीजल का हिस्सा करीब 38 प्रतिशत है. ये भी पढ़ें: क्या सच में बंद होने वाले हैं 500 के नोट, RBI के निर्देशों को लेकर वायरल हो रही है खबर, जानिए सच्चाई!

Crude Oil Price Drop: वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. ऐसे में ये उम्मीद अब बढ़ती जा रही है कि देश में भी जल्द सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती कर सकती है. इसकी वजह ये है कि हाल में तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक ने तेल की आपूर्ति को और ज्यादा बढ़ाने का फैसला किया है. ओपेक के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिर गई हैं.
अमेरिकी कच्चे देल के दाम में 2.49 डॉलर यानी 4.27 प्रतिशत की गिरावट हुई है और ये 55.80 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. जबकि, ब्रेंट क्रूड तेल के दाम में 2.39 डॉलर यानी 3.9 प्रतिशत की गिरावट हुई है और ये 58.90 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. इस साल कच्चे तेल की कीमतों में अब तक करीब 20 बड़ी फीसदी की गिरावट देखने को मिली है.
गौरतलब है कि कच्चे तेल के आठ उत्पादक देशों का नेतृत्व करने वाले सऊदी अरब ने शनिवार को इस बात पर हामी भरी की कि वे जून में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाकर 4,11,000 बैरल प्रति दिन करेंगे. उसका ये फैसले ऐसे वक्त पर आया है जब ओपेक+ देशों ने मई में अपने कच्चे तेल के प्रोडक्शन के बढ़ाने के फैसले से बाजार को हैरान किया है.
बढ़ी डीजल की मांग
देश में डीजल की मांग में अप्रैल में करीब चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है. कई महीने की नकारात्मक या कम वृद्धि के बाद अप्रैल में गर्मियों की शुरुआत के साथ डीजल की खपत बढ़ी है. डीजल देश में सबसे ज्यादा उपभोग किया जाने वाला ईंधन है. यह देश के परिवहन क्षेत्र और ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था की ‘जीवनरेखा’ है. 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में डीजल की मांग में सिर्फ दो प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी और इससे पिछले वित्त वर्ष में डीजल की खपत में कोई वृद्धि नहीं हुई थी.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस विंग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में डीजल की खपत बढ़कर 82.3 लाख टन हो गई, जो एक साल पहले की समान अवधि से लगभग चार प्रतिशत अधिक है. अप्रैल, 2023 की तुलना में खपत 5.3 प्रतिशत और कोविड-पूर्व की अवधि यानी 2019 की तुलना में इसमें 10.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
गर्मियों की शुरुआत से ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में एयर-कंडीशनिंग की मांग बढ़ जाती है. अप्रैल, 2025 में डीजल की मांग में 4% की वृद्धि इस महीने के लिए दर्ज की गई सबसे ऊंची मात्रा और किसी भी महीने में अबतक की दूसरी सबसे अधिक मात्रा है. उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में डीजल की मांग में सुस्ती रही है, जिससे इसके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं. यात्री वाहनों में अब पेट्रोल, सीएनजी और बिजली का इस्तेमाल बढ़ रहा है. इसके बावजूद देश में कुल पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में डीजल का हिस्सा करीब 38 प्रतिशत है.
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