'इस तरह का तमाशा टीवी स्टूडियो में अच्छा लगता है', जब SC में योगेंद्र यादव ने बिहार SIR पर रखी बात तो क्यों भड़क गए EC के वकील?

बिहार के विशेष सघन परीक्षण (SIR) की ड्राफ्ट लिस्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. कोर्ट ने मंगलवार (12 अगस्त 2025) याचिकाकर्ता पक्ष को लगभग ढाई घंटा सुना. कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि SIR की प्रक्रिया सितंबर में पूरी होगी. अगर याचिकाकर्ता सितंबर तक भी इसे अवैध साबित कर सके तो प्रक्रिया बंद करवा दी जाएगी. दिन की सुनवाई के अंत में कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव को भी बोलने का मौका दिया. क्यों गुस्सा हो गए चुनाव आयोग के वकील? योगेंद्र यादव ने 2 ऐसे लोगों को कोर्ट में पेश किया, जिन्हें ड्राफ्ट लिस्ट में मृत दिखाया गया है. चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने इसका कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा, "इस तरह का तमाशा टीवी स्टूडियो में अच्छा लगता है." इस पर सहमति जताते हुए जस्टिस कांत ने कहा, "अगर कोई ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है तो उसके लिए मौका उपलब्ध है. वह दस्तावेज पेश कर अंतिम लिस्ट में आ सकता है. यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं है." कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा? याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी इसी तरह के दावे से बहस की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा था कि कई जगह जीवित लोगों को मृत दिखाया गया है. इसके जवाब में द्विवेदी ने कहा था कि इतनी विस्तृत प्रक्रिया में छोटी गलतियां संभव हैं. अंतिम लिस्ट में उसे सुधार लिया जाएगा. सुनवाई के दौरान जजों ने सिब्बल की इस दलील पर एतराज जताया कि जो 11 दस्तावेज आयोग मांग रहा है, वह बिहार लोगों के पास नहीं हैं. क्या बिहार के लोगों के पास एक भी कागज नहीं? - जज ने पूछा जस्टिस कांत ने कहा, "उन्हें सभी 11 दस्तावेज नहीं लाने हैं. आप यह कैसे कह सकते हैं कि बिहार के लोगों के पास एक भी कागज नहीं है. खुद को निवासी साबित करने के लिए परिवार रजिस्टर, पेंशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र जैसे कागज दे सकते हैं." ये भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्लीवालों को दी बड़ी राहत, 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को लेकर दिया ये आदेश

Aug 12, 2025 - 20:30
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'इस तरह का तमाशा टीवी स्टूडियो में अच्छा लगता है', जब SC में योगेंद्र यादव ने बिहार SIR पर रखी बात तो क्यों भड़क गए EC के वकील?

बिहार के विशेष सघन परीक्षण (SIR) की ड्राफ्ट लिस्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. कोर्ट ने मंगलवार (12 अगस्त 2025) याचिकाकर्ता पक्ष को लगभग ढाई घंटा सुना. कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि SIR की प्रक्रिया सितंबर में पूरी होगी. अगर याचिकाकर्ता सितंबर तक भी इसे अवैध साबित कर सके तो प्रक्रिया बंद करवा दी जाएगी. दिन की सुनवाई के अंत में कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव को भी बोलने का मौका दिया.

क्यों गुस्सा हो गए चुनाव आयोग के वकील?

योगेंद्र यादव ने 2 ऐसे लोगों को कोर्ट में पेश किया, जिन्हें ड्राफ्ट लिस्ट में मृत दिखाया गया है. चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने इसका कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा, "इस तरह का तमाशा टीवी स्टूडियो में अच्छा लगता है." इस पर सहमति जताते हुए जस्टिस कांत ने कहा, "अगर कोई ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है तो उसके लिए मौका उपलब्ध है. वह दस्तावेज पेश कर अंतिम लिस्ट में आ सकता है. यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं है."

कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?

याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी इसी तरह के दावे से बहस की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा था कि कई जगह जीवित लोगों को मृत दिखाया गया है. इसके जवाब में द्विवेदी ने कहा था कि इतनी विस्तृत प्रक्रिया में छोटी गलतियां संभव हैं. अंतिम लिस्ट में उसे सुधार लिया जाएगा. सुनवाई के दौरान जजों ने सिब्बल की इस दलील पर एतराज जताया कि जो 11 दस्तावेज आयोग मांग रहा है, वह बिहार लोगों के पास नहीं हैं.

क्या बिहार के लोगों के पास एक भी कागज नहीं? - जज ने पूछा

जस्टिस कांत ने कहा, "उन्हें सभी 11 दस्तावेज नहीं लाने हैं. आप यह कैसे कह सकते हैं कि बिहार के लोगों के पास एक भी कागज नहीं है. खुद को निवासी साबित करने के लिए परिवार रजिस्टर, पेंशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र जैसे कागज दे सकते हैं."

ये भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्लीवालों को दी बड़ी राहत, 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को लेकर दिया ये आदेश

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