इन चीजों की कमी से गाढ़ा होने लगता है खून, बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा

हमारे बॉडी में ब्लड का फ्लो नॉर्मल रहना बहुत जरूरी है. अगर ब्लड ज्यादा थिक (Thick Blood) होने लगे तो यह हेल्थ के लिए सीरियस खतरा बन सकता है. थिक ब्लड आर्टरीज़ और वेन्स में आसानी से फ्लो नहीं कर पाता, जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और ब्लड क्लॉट जैसी डिजीज का रिस्क बढ़ जाता है. कई बार लोग सोचते हैं कि ब्लड थिक होना सिर्फ एक मेडिकल कंडीशन है, लेकिन सच यह है कि यह प्रॉब्लम न्यूट्रिशन की कमी और अनहेल्दी लाइफस्टाइल से भी जुड़ी होती है. ब्लड थिक क्यों होता है? ब्लड में प्लेटलेट्स, रेड ब्लड सेल्स और प्लाज्मा का बैलेंस बिगड़ने पर यह स्टिकी और थिक हो सकता है. इसकी बड़ी वजह कुछ स्पेसिफिक न्यूट्रिएंट्स की कमी होती है, जिनका समय पर ध्यान न दिया जाए तो सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं. इन चीजों की कमी से थिक होता है ब्लड पानी की कमी  अगर बॉडी में पानी की कमी हो जाए तो ब्लड वॉल्यूम कम हो जाता है और वह गाढ़ा होने लगता है. इससे ब्लड फ्लो स्लो हो जाता है. आयरन की कमी  आयरन हीमोग्लोबिन बनाने में हेल्प करता है. इसकी कमी से ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल गिर जाता है और ब्लड थिक होने लगता है. विटामिन B12 और फोलेट की कमी ये दोनों न्यूट्रिएंट्स रेड ब्लड सेल्स बनाने में जरूरी हैं. जब इनकी कमी होती है तो ब्लड की क्वालिटी प्रभावित होती है और क्लॉटिंग का रिस्क बढ़ जाता है. ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी ओमेगा-3 फैटी एसिड ब्लड को पतला रखने और फ्लो को स्मूथ बनाने में हेल्प करता है. इसकी कमी होने पर ब्लड थिकनेस बढ़ जाती है. विटामिन E की कमी विटामिन E एक नैचुरल ब्लड थिनर है. अगर बॉडी में इसकी कमी हो जाए तो ब्लड जल्दी क्लॉट होने लगता है और थ्रॉम्बोसिस का खतरा बढ़ता है. किन डिजीज का रिस्क बढ़ता है? हार्ट अटैक: थिक ब्लड आर्टरीज में ब्लॉकेज पैदा कर सकता है. ब्रेन स्ट्रोक: ब्लड क्लॉट बनने पर ब्रेन तक ब्लड फ्लो रुक जाता है. डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT): लेग्स की वेन्स में ब्लड क्लॉट जम सकता है. हाई ब्लड प्रेशर: ब्लड थिक होने से आर्टरीज़ पर प्रेशर बढ़ जाता है. बचाव के तरीके डेली पर्याप्त मात्रा में वॉटर पिएं. डाइट में ग्रीन वेजिटेबल्स, फ्रूट्स, फिश और नट्स शामिल करें. आयरन, B12 और फोलेट से भरपूर फूड खाएं. स्मोकिंग और अल्कोहल से दूरी बनाएं. रेगुलर एक्सरसाइज करें और वेट कंट्रोल में रखें. क्या कहते हैं डॉक्टर? सफदरजंग अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दीक्षांत जैन के मुताबिक, "ब्लड थिक होना हल्की समस्या नहीं है. अगर शरीर में पानी या जरूरी न्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाए तो ब्लड क्लॉट बनने का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है. ऐसे में लोगों को चाहिए कि वे डिहाइड्रेशन से बचें, बैलेंस्ड डाइट लें और रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते रहें. शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी है." अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो खून गाढ़ाना होना एक डेंजरस सिचुएशन है, जो कई सीरियस डिजीज को जन्म दे सकती है. वॉटर, विटामिन्स और जरूरी न्यूट्रिएंट्स की कमी इसका बड़ा कारण है. टाइम रहते बैलेंस्ड डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इस रिस्क को कम किया जा सकता है. इसे भी पढ़ें- बुजुर्गों नहीं बच्चों को भी हो जाती है मोतियाबिंद की बीमारी, ये हैं पांच बड़े कारण Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Sep 3, 2025 - 15:32
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इन चीजों की कमी से गाढ़ा होने लगता है खून, बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा

हमारे बॉडी में ब्लड का फ्लो नॉर्मल रहना बहुत जरूरी है. अगर ब्लड ज्यादा थिक (Thick Blood) होने लगे तो यह हेल्थ के लिए सीरियस खतरा बन सकता है. थिक ब्लड आर्टरीज़ और वेन्स में आसानी से फ्लो नहीं कर पाता, जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और ब्लड क्लॉट जैसी डिजीज का रिस्क बढ़ जाता है. कई बार लोग सोचते हैं कि ब्लड थिक होना सिर्फ एक मेडिकल कंडीशन है, लेकिन सच यह है कि यह प्रॉब्लम न्यूट्रिशन की कमी और अनहेल्दी लाइफस्टाइल से भी जुड़ी होती है.

ब्लड थिक क्यों होता है?

ब्लड में प्लेटलेट्स, रेड ब्लड सेल्स और प्लाज्मा का बैलेंस बिगड़ने पर यह स्टिकी और थिक हो सकता है. इसकी बड़ी वजह कुछ स्पेसिफिक न्यूट्रिएंट्स की कमी होती है, जिनका समय पर ध्यान न दिया जाए तो सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं.

इन चीजों की कमी से थिक होता है ब्लड

पानी की कमी 

अगर बॉडी में पानी की कमी हो जाए तो ब्लड वॉल्यूम कम हो जाता है और वह गाढ़ा होने लगता है. इससे ब्लड फ्लो स्लो हो जाता है.

आयरन की कमी 

आयरन हीमोग्लोबिन बनाने में हेल्प करता है. इसकी कमी से ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल गिर जाता है और ब्लड थिक होने लगता है.

विटामिन B12 और फोलेट की कमी

ये दोनों न्यूट्रिएंट्स रेड ब्लड सेल्स बनाने में जरूरी हैं. जब इनकी कमी होती है तो ब्लड की क्वालिटी प्रभावित होती है और क्लॉटिंग का रिस्क बढ़ जाता है.

ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी

ओमेगा-3 फैटी एसिड ब्लड को पतला रखने और फ्लो को स्मूथ बनाने में हेल्प करता है. इसकी कमी होने पर ब्लड थिकनेस बढ़ जाती है.

विटामिन E की कमी

विटामिन E एक नैचुरल ब्लड थिनर है. अगर बॉडी में इसकी कमी हो जाए तो ब्लड जल्दी क्लॉट होने लगता है और थ्रॉम्बोसिस का खतरा बढ़ता है.

किन डिजीज का रिस्क बढ़ता है?

  • हार्ट अटैक: थिक ब्लड आर्टरीज में ब्लॉकेज पैदा कर सकता है.
  • ब्रेन स्ट्रोक: ब्लड क्लॉट बनने पर ब्रेन तक ब्लड फ्लो रुक जाता है.
  • डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT): लेग्स की वेन्स में ब्लड क्लॉट जम सकता है.
  • हाई ब्लड प्रेशर: ब्लड थिक होने से आर्टरीज़ पर प्रेशर बढ़ जाता है.

बचाव के तरीके

  • डेली पर्याप्त मात्रा में वॉटर पिएं.
  • डाइट में ग्रीन वेजिटेबल्स, फ्रूट्स, फिश और नट्स शामिल करें.
  • आयरन, B12 और फोलेट से भरपूर फूड खाएं.
  • स्मोकिंग और अल्कोहल से दूरी बनाएं.
  • रेगुलर एक्सरसाइज करें और वेट कंट्रोल में रखें.

क्या कहते हैं डॉक्टर?

सफदरजंग अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दीक्षांत जैन के मुताबिक, "ब्लड थिक होना हल्की समस्या नहीं है. अगर शरीर में पानी या जरूरी न्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाए तो ब्लड क्लॉट बनने का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है. ऐसे में लोगों को चाहिए कि वे डिहाइड्रेशन से बचें, बैलेंस्ड डाइट लें और रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते रहें. शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी है."

अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो खून गाढ़ाना होना एक डेंजरस सिचुएशन है, जो कई सीरियस डिजीज को जन्म दे सकती है. वॉटर, विटामिन्स और जरूरी न्यूट्रिएंट्स की कमी इसका बड़ा कारण है. टाइम रहते बैलेंस्ड डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इस रिस्क को कम किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें- बुजुर्गों नहीं बच्चों को भी हो जाती है मोतियाबिंद की बीमारी, ये हैं पांच बड़े कारण

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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