अमेरिका में दवाओं की कीमत कम करने की तैयारी में ट्रंप, इसका भारत की जेनेरिक दवाइयों पर क्या होगा असर?
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत देश में कारोबार करने वाली फार्मा कंपनियों को दवाओं के दाम कम करने के लिए 30 दिन की मोहलत दी गई है. इस आदेश में कहा गया कि सरकारी फंड का इस्तेमाल कर दवा बनाने वाली फार्मा कंपनियां अमेरिका में लोगों से दूसरे देशों के मुकाबले दवाओं पर अधिक पैसे वसूलती है इसलिए अब अमेरिका में दवाओं की कीमत कम कर दी जाएंगी, जिससे यहां के लोगों को फायदा होगा. ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश का मकसद अमेरिका में दवाओं की कीमत में 30 से 80 परसेंट तक कटौती करना है. ट्रंप ने इस मकसद से दिया ये आदेश फॉर्च्यून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) के सेक्रेट्री जनरल सुदर्शन जैन ने कहा है, अमेरिकी सरकार के कार्यकारी आदेश का मतलब इनोवेशन, एक्सेस और हेल्थकेयर कॉस्ट में बैलेंस लाना है. लाइफ साइंस में डेवलपमेंट और रिसर्च में लंबे वक्त के साथ-साथ अधिक निवेश की भी जरूरत पड़ती है और इसमें रिस्क भी ज्यादा होता है. उन्होंने आगे कहा, ''कार्यकारी आदेश में इस बात पर जोर दिया गया कि इनोवेशन पर हुआ खर्च सभी में समान रूप से बंटा होना चाहिए. ट्रंप के इस आदेश का असर इनोवेट कंपनियों पर ज्यादा पड़ेगा क्योंकि उन्हें अब सरकारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा तय की गई नई कीमतें अपनी दवाओं के लिए अपनानी होंगी. अगर ऐसा नहीं किया तो फार्मा कंपनियों को सरकार की तरफ से मिलने वाले फंड में कटौती की जा सकती है.'' अब सभी चुकाएंगे बराबर कीमत ट्रंप ने अपने एक पोस्ट में लिखा है, ''कई सालों से दुनिया सोचती रही है कि अमेरिका में प्रेस्क्रिप्शन दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स की कीमतें दूसरे देशों के मुकाबले इतनी ज्यादा क्यों है? एक ही लैब या प्लांट में एक ही कंपनी की बनाई गई वही दवा यहां पांच से दस गुना अधिक कीमत पर बिकती है.'' इसे देखते हुए अब सरकार 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' प्राइसिंग मॉडल लागू करेगी. इससे यह सुनिश्चित होने में मदद मिलेगी कि अमेरिका को भी वही कीमत चुकानी होगी जो दुनिया में सबसे कम कीमत चुकाने वाले देश को देनी होगी. इससे निष्पक्षता आएगी और वैश्विक स्तर पर दवाइयों की कीमतों में अंतर भी कम होगा. ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश पर थिंक टैंक जीटीआरआई का कहना है कि अमेरिका में दवाएं सस्ती होंगी तो वहां के मरीजों को फायदा मिलेगा, लेकिन फार्मा कंपनियां दूसरे जगहों से मुनाफा कमाने की कोशिश करेंगे. इससे भारत जैसे देशों में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं. ये भी पढ़ें: अब आधे घंटे से भी कम समय में पहुंच जाएंगे देहरादून से मसूरी, जानें कब बनकर तैयार होगा देश का सबसे लंबा पैसेंजर रोपवे?

Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत देश में कारोबार करने वाली फार्मा कंपनियों को दवाओं के दाम कम करने के लिए 30 दिन की मोहलत दी गई है. इस आदेश में कहा गया कि सरकारी फंड का इस्तेमाल कर दवा बनाने वाली फार्मा कंपनियां अमेरिका में लोगों से दूसरे देशों के मुकाबले दवाओं पर अधिक पैसे वसूलती है इसलिए अब अमेरिका में दवाओं की कीमत कम कर दी जाएंगी, जिससे यहां के लोगों को फायदा होगा. ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश का मकसद अमेरिका में दवाओं की कीमत में 30 से 80 परसेंट तक कटौती करना है.
ट्रंप ने इस मकसद से दिया ये आदेश
फॉर्च्यून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) के सेक्रेट्री जनरल सुदर्शन जैन ने कहा है, अमेरिकी सरकार के कार्यकारी आदेश का मतलब इनोवेशन, एक्सेस और हेल्थकेयर कॉस्ट में बैलेंस लाना है. लाइफ साइंस में डेवलपमेंट और रिसर्च में लंबे वक्त के साथ-साथ अधिक निवेश की भी जरूरत पड़ती है और इसमें रिस्क भी ज्यादा होता है.
उन्होंने आगे कहा, ''कार्यकारी आदेश में इस बात पर जोर दिया गया कि इनोवेशन पर हुआ खर्च सभी में समान रूप से बंटा होना चाहिए. ट्रंप के इस आदेश का असर इनोवेट कंपनियों पर ज्यादा पड़ेगा क्योंकि उन्हें अब सरकारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा तय की गई नई कीमतें अपनी दवाओं के लिए अपनानी होंगी. अगर ऐसा नहीं किया तो फार्मा कंपनियों को सरकार की तरफ से मिलने वाले फंड में कटौती की जा सकती है.''
अब सभी चुकाएंगे बराबर कीमत
ट्रंप ने अपने एक पोस्ट में लिखा है, ''कई सालों से दुनिया सोचती रही है कि अमेरिका में प्रेस्क्रिप्शन दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स की कीमतें दूसरे देशों के मुकाबले इतनी ज्यादा क्यों है? एक ही लैब या प्लांट में एक ही कंपनी की बनाई गई वही दवा यहां पांच से दस गुना अधिक कीमत पर बिकती है.'' इसे देखते हुए अब सरकार 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' प्राइसिंग मॉडल लागू करेगी. इससे यह सुनिश्चित होने में मदद मिलेगी कि अमेरिका को भी वही कीमत चुकानी होगी जो दुनिया में सबसे कम कीमत चुकाने वाले देश को देनी होगी. इससे निष्पक्षता आएगी और वैश्विक स्तर पर दवाइयों की कीमतों में अंतर भी कम होगा.
ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश पर थिंक टैंक जीटीआरआई का कहना है कि अमेरिका में दवाएं सस्ती होंगी तो वहां के मरीजों को फायदा मिलेगा, लेकिन फार्मा कंपनियां दूसरे जगहों से मुनाफा कमाने की कोशिश करेंगे. इससे भारत जैसे देशों में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं.
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