Vishwakarma Puja 2025: विश्वकर्मा जयंती सितंबर में कब है, जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा का समय

विश्वकर्मा जयंती हिंदू धर्म का खास त्योहार है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. हर साल कन्या संक्रांति (Kanya Sankrati) के दिन विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. भगवान विश्वकर्मा शिल्प के देवता कहलाते हैं.  भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला वास्तुकार ही माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार स्वर्गलोक, पुष्पक विमान, श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी, यमनपुरी, कुबेरपुरी, भगवान विष्णु का सूदर्शन चक्र आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है. इसलिए हर साल विश्वकर्मा जयंती के दिन औजार, निर्माण कार्य, मशीन, कल-कारखाने, मोटर, गैराज, वर्कशॉप, फैक्ट्री आदि से जुड़े व्यापारी भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल विश्वकर्मा जयंती कब है. 2025 मे विश्वकर्मा जयंती कब है (Vishwakarma Jayanti 2025 Date) आमतौर पर अन्य पर्व-त्योहारों की तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक बदलती रहती है. लेकिन विश्वकर्मा जयंती हर साल 17 सितंबर को ही मनाई जाती है. वहीं पंचांग के मुताबिक जब सूर्य का प्रवेश कन्या राशि में होता है, तब विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. इस साल यानी 2025 में भी विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को ही मनाई जाएगी. साथ ही इस तिथि पर भाद्रपद महीने का समापन भी होगा. विश्वकर्मा जयंती 2025 मुहूर्त (Vishwakarma Jayanti 2025 Muhurat) तिथि: बुधवार, 17 सितंबर 2025 पंचांग तिथि: भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि संक्रांति: कन्या संक्रांति नक्षत्र: पूर्वा भाद्रपद पूजा मुहूर्त: सुबह 7:15 बजे से शाम 4:15 बजे तक  विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि (Vishwakarma Jayanti Puja Vidhi) विश्वकर्मा जयंती के दिन को आम बोलचाल की भाषा में विश्वकर्मा पूजा भी कहा जाता है. इस दिन लोग कामकाज में उपयोग होने वाली चीजों खासकर मशीन, औजार और लोहे के सामान आदि साफ-सफाई कर उसे शुद्द कर लेते हैं. फिर स्नान के बाद एक चौकी में भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित की जाती है. भगवान को मौसमी फल, मिष्ठान, पंचमेवा, पंचामृत आदि का भोग लगाकर पूजन किया जाता है. फिर धूप दीप जलाकर आरती की जाती है. साथ ही लोग अपने काम में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं पर का भी तिलक करते हैं और फूल आदि चढ़ाकर पूजा करते हैं. इस तरह से पूजा-पाठ करने पर भगवान विश्वकर्मा की कृपा से आपको अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और उन्नति होती है. ये भी पढ़ें: Parivartini Ekadashi 2025: चार माह की योगनिद्रा में इस दिन करवट बदलते हैं भगवान विष्णु, जानें कथा Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

Aug 19, 2025 - 18:30
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Vishwakarma Puja 2025: विश्वकर्मा जयंती सितंबर में कब है, जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा का समय

विश्वकर्मा जयंती हिंदू धर्म का खास त्योहार है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. हर साल कन्या संक्रांति (Kanya Sankrati) के दिन विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. भगवान विश्वकर्मा शिल्प के देवता कहलाते हैं. 

भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला वास्तुकार ही माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार स्वर्गलोक, पुष्पक विमान, श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी, यमनपुरी, कुबेरपुरी, भगवान विष्णु का सूदर्शन चक्र आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है. इसलिए हर साल विश्वकर्मा जयंती के दिन औजार, निर्माण कार्य, मशीन, कल-कारखाने, मोटर, गैराज, वर्कशॉप, फैक्ट्री आदि से जुड़े व्यापारी भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल विश्वकर्मा जयंती कब है.

2025 मे विश्वकर्मा जयंती कब है (Vishwakarma Jayanti 2025 Date)

आमतौर पर अन्य पर्व-त्योहारों की तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक बदलती रहती है. लेकिन विश्वकर्मा जयंती हर साल 17 सितंबर को ही मनाई जाती है. वहीं पंचांग के मुताबिक जब सूर्य का प्रवेश कन्या राशि में होता है, तब विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. इस साल यानी 2025 में भी विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को ही मनाई जाएगी. साथ ही इस तिथि पर भाद्रपद महीने का समापन भी होगा.

विश्वकर्मा जयंती 2025 मुहूर्त (Vishwakarma Jayanti 2025 Muhurat)

  • तिथि: बुधवार, 17 सितंबर 2025
  • पंचांग तिथि: भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि
  • संक्रांति: कन्या संक्रांति
  • नक्षत्र: पूर्वा भाद्रपद
    पूजा मुहूर्त: सुबह 7:15 बजे से शाम 4:15 बजे तक 

विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि (Vishwakarma Jayanti Puja Vidhi)

विश्वकर्मा जयंती के दिन को आम बोलचाल की भाषा में विश्वकर्मा पूजा भी कहा जाता है. इस दिन लोग कामकाज में उपयोग होने वाली चीजों खासकर मशीन, औजार और लोहे के सामान आदि साफ-सफाई कर उसे शुद्द कर लेते हैं. फिर स्नान के बाद एक चौकी में भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित की जाती है. भगवान को मौसमी फल, मिष्ठान, पंचमेवा, पंचामृत आदि का भोग लगाकर पूजन किया जाता है.

फिर धूप दीप जलाकर आरती की जाती है. साथ ही लोग अपने काम में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं पर का भी तिलक करते हैं और फूल आदि चढ़ाकर पूजा करते हैं. इस तरह से पूजा-पाठ करने पर भगवान विश्वकर्मा की कृपा से आपको अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और उन्नति होती है.

ये भी पढ़ें: Parivartini Ekadashi 2025: चार माह की योगनिद्रा में इस दिन करवट बदलते हैं भगवान विष्णु, जानें कथा

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

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