Surya Namaskar: तन-मन दोनों के लिए वरदान है 8 आसन और 12 चरण वाला सूर्य नमस्कार, ऐसे करें अभ्यास

Benefits of Surya Namaskar: शरीर को चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त रखना है तो योग से बेहतर क्या हो सकता है. यह न केवल तन बल्कि मन के लिए भी लाभदायक है. ऐसा ही एक बहु प्रचलित आसन है सूर्य नमस्कार. एक सरल योग जो मानसिक तनाव और शारीरिक कष्ट से दूर रहने में मदद करता है. सूर्य नमस्कार, योग का एक प्राचीन अभ्यास, 8 आसनों का संयोजन है, जिसे 12 चरणों में किया जाता है. यह मन, शरीर और आत्मा के समन्वय को बढ़ावा देता है. आयुष मंत्रालय ने सूर्य नमस्कार के लाभ और इसे करने की सही विधि भी शेयर की है ताकि लोग इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकें. यह अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक शांति और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है. सूर्य नमस्कार के एक नहीं हैं अनेक लाभ आयुष मंत्रालय के मुताबिक, सूर्य नमस्कार के एक नहीं अनेक लाभ हैं. यह शरीर की ताकत को बढ़ाता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है, लचीलापन बढ़ाता है और रक्त संचार को सुधारता है. तनाव और चिंता को कम करने में मदद करने के साथ ही यह मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है. नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र मजबूत होता है, बेहतर नींद आती है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह वजन नियंत्रण और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है. सूर्य नमस्कार शरीर के सभी प्रमुख अंगों को सक्रिय करता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है. सूर्य नमस्कार को सुबह खाली पेट, सूर्योदय के समय करना सबसे उत्तम माना जाता है. इसे 8 चरणों में किया जाता है. इसमें प्रणामासन है, जिसमें दोनों हाथ जोड़कर शांत मन से सूर्य को नमस्कार करना चाहिए. हस्तउत्तानासन में सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाना चाहिए और कमर को पीछे की ओर झुकाना चाहिए. हस्तपादासन में सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुककर हाथों से जमीन को छुना चाहिए. कैसे करते हैं सूर्य नमस्कार? इसके बाद अश्व संचालनासन करना चाहिए, जिसमें दायां पैर पीछे की ओर और बाएं वाले घुटने को मोड़ना चाहिए. दंडासन में दोनों पैर पीछे ले जाकर, शरीर को प्लैंक की स्थिति में रखें. अष्टांग नमस्कार के दौरान घुटने, छाती और ठुड्डी जमीन पर टिकाना चाहिए. भुजंगासन के दौरान सांस लेते हुए छाती को ऊपर की ओर करते हुए कोबरा मुद्रा बनानी चाहिए. सूर्य नमस्कार के दौरान अधोमुख श्वानासन यानी सांस छोड़ते हुए कूल्हों को ऊपर उठाते हुए उल्टा ‘वी’ शेप बनाना चाहिए. प्रत्येक चरण में सांस लेने-छोड़ने का ध्यान रखना चाहिए. शुरुआत में 3 बार से ज्यादा इसे नहीं करना चाहिए. यह अभ्यास सभी आयु वर्ग के लिए लाभकारी है, लेकिन चोट या स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को चिकित्सीय सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए.

Jun 20, 2025 - 18:30
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Surya Namaskar: तन-मन दोनों के लिए वरदान है 8 आसन और 12 चरण वाला सूर्य नमस्कार, ऐसे करें अभ्यास

Benefits of Surya Namaskar: शरीर को चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त रखना है तो योग से बेहतर क्या हो सकता है. यह न केवल तन बल्कि मन के लिए भी लाभदायक है. ऐसा ही एक बहु प्रचलित आसन है सूर्य नमस्कार. एक सरल योग जो मानसिक तनाव और शारीरिक कष्ट से दूर रहने में मदद करता है.

सूर्य नमस्कार, योग का एक प्राचीन अभ्यास, 8 आसनों का संयोजन है, जिसे 12 चरणों में किया जाता है. यह मन, शरीर और आत्मा के समन्वय को बढ़ावा देता है. आयुष मंत्रालय ने सूर्य नमस्कार के लाभ और इसे करने की सही विधि भी शेयर की है ताकि लोग इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकें. यह अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक शांति और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है.

सूर्य नमस्कार के एक नहीं हैं अनेक लाभ

आयुष मंत्रालय के मुताबिक, सूर्य नमस्कार के एक नहीं अनेक लाभ हैं. यह शरीर की ताकत को बढ़ाता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है, लचीलापन बढ़ाता है और रक्त संचार को सुधारता है. तनाव और चिंता को कम करने में मदद करने के साथ ही यह मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है. नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र मजबूत होता है, बेहतर नींद आती है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह वजन नियंत्रण और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है. सूर्य नमस्कार शरीर के सभी प्रमुख अंगों को सक्रिय करता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है.

सूर्य नमस्कार को सुबह खाली पेट, सूर्योदय के समय करना सबसे उत्तम माना जाता है. इसे 8 चरणों में किया जाता है. इसमें प्रणामासन है, जिसमें दोनों हाथ जोड़कर शांत मन से सूर्य को नमस्कार करना चाहिए. हस्तउत्तानासन में सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाना चाहिए और कमर को पीछे की ओर झुकाना चाहिए. हस्तपादासन में सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुककर हाथों से जमीन को छुना चाहिए.

कैसे करते हैं सूर्य नमस्कार?

इसके बाद अश्व संचालनासन करना चाहिए, जिसमें दायां पैर पीछे की ओर और बाएं वाले घुटने को मोड़ना चाहिए. दंडासन में दोनों पैर पीछे ले जाकर, शरीर को प्लैंक की स्थिति में रखें. अष्टांग नमस्कार के दौरान घुटने, छाती और ठुड्डी जमीन पर टिकाना चाहिए. भुजंगासन के दौरान सांस लेते हुए छाती को ऊपर की ओर करते हुए कोबरा मुद्रा बनानी चाहिए. सूर्य नमस्कार के दौरान अधोमुख श्वानासन यानी सांस छोड़ते हुए कूल्हों को ऊपर उठाते हुए उल्टा ‘वी’ शेप बनाना चाहिए.

प्रत्येक चरण में सांस लेने-छोड़ने का ध्यान रखना चाहिए. शुरुआत में 3 बार से ज्यादा इसे नहीं करना चाहिए. यह अभ्यास सभी आयु वर्ग के लिए लाभकारी है, लेकिन चोट या स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को चिकित्सीय सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए.

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