Spinal Cord Injury Day: भारत में बढ़ रहे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मामले, हर साल आ रहे 20 हजार नए केस

WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में लगभग 15 मिलियन से ऊपर लोग स्पाइनल कॉर्ड इंजरी से जूझ रहे हैं. भारत में यह आकड़ा और भी भयावह है. यहां आज तकरीबन 1.5 मिलियन लोगों को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी है. हर साल भारत में इसके 20 हजार नए केस सामने आ रहे हैं. खतरनाक बात यह है कि बीते कई सालों में यह आकड़ा कम होने के बजाय और बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. साल 2030 तक ऐसे मामलों में बढ़ोतरी के अनुमान भी लगाए गए हैं. ऐसे में इस परेशानी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 5 सितंबर को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य स्पाइल कॉर्ड इंजरी पर रोकथाम, पीड़ितों के प्रति भेदभाव कम करना और जागरूकता बढ़ाना है. ऐसे में आइए इसे थोड़ा और गहराई से समझते हैं. कैसे होती है स्पाइनल इंजरी 1. सड़क दुर्घटनाएं : SCI के मामलों में से लगभग 44-45% मामले रोड एक्सिडेंट के होते हैं. इनमें भी ज्यादातर दोपहिया वाहनों से संबंधित हैं. 2. ऊंचाई से गिरना : लगभग 38-39% मामलों के पीछे ऊंचाई से गिरने वाली घटनाएं कारण हैं.  3. शारिरिक हिंसा : हालांकि, इसका प्रतिशत छोटा है, लेकिन SCI के मामलों की बढ़ती संख्या के पीछे यह कारण भी जिम्मेदार है, जिसमें छुरा घोंपना और गोलीबारी शामिल हैं. स्पाइिनल इंजरी (SCI) के कारण से आने वाली चुनौतियां रीढ़ की हड्डी टूटने पर सिर्फ हड्डी नहीं बल्कि मनोबल और विश्वास भी टूटता है. ऐसे में स्पाइनल इंजरी से प्रभावित लोगों को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक सभी दबाव झेलने पड़ते हैं. इनके लिए रोजगार के अवसर भी बंद हो जाते हैं. ऐसे में आम जीवन तो जैसे एक सपने के समान लगने लगता है और व्यक्ति असहाय व व्यर्थ महसूस करने लगता है. SCI का ट्रीटमेंट और रिहैबिलिटेशन स्पाइनल इंजरी से पीड़ित लोगों का रिहैबिलिटेशन जरूरी है. इसके ट्रीटमेंट के लिए शहरों में कई एडवांस सर्जरी उपलब्ध है. इनमें स्टेम सेल थेरेपी, एक्जोस्कैलेटन और रोबोटिक्स बेस्ड रिहैबिलिटेशन शामिल हैं. भारत में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने स्पाइनल इंजरी होने के बावजूद भी हार नहीं मानी. ट्रीटमेंट और रिहैबिलिटेशन की मदद से न सिर्फ उन्होंने खुद को मजबूत बनाया बल्कि कई नई स्किल्स सीखकर उनमें महारत हासिल की. ऐसे में भारत के कई पैराएथलीट जैसे- अवनी लेखरा, प्रनव सूरमा, एकता भयान सभी के सामने बेहतरीन उदाहरण हैं. इसे भी पढ़े : बिहार के शख्स में आंख में निकल आया दांत, डॉक्टरों के उड़े होश, कितना दुर्लभ है ये मामला?

Sep 5, 2025 - 19:30
 0
Spinal Cord Injury Day: भारत में बढ़ रहे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मामले, हर साल आ रहे 20 हजार नए केस

WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में लगभग 15 मिलियन से ऊपर लोग स्पाइनल कॉर्ड इंजरी से जूझ रहे हैं. भारत में यह आकड़ा और भी भयावह है. यहां आज तकरीबन 1.5 मिलियन लोगों को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी है. हर साल भारत में इसके 20 हजार नए केस सामने आ रहे हैं. खतरनाक बात यह है कि बीते कई सालों में यह आकड़ा कम होने के बजाय और बढ़ता हुआ नजर आ रहा है.

साल 2030 तक ऐसे मामलों में बढ़ोतरी के अनुमान भी लगाए गए हैं. ऐसे में इस परेशानी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 5 सितंबर को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य स्पाइल कॉर्ड इंजरी पर रोकथाम, पीड़ितों के प्रति भेदभाव कम करना और जागरूकता बढ़ाना है. ऐसे में आइए इसे थोड़ा और गहराई से समझते हैं.

कैसे होती है स्पाइनल इंजरी

1. सड़क दुर्घटनाएं : SCI के मामलों में से लगभग 44-45% मामले रोड एक्सिडेंट के होते हैं. इनमें भी ज्यादातर दोपहिया वाहनों से संबंधित हैं.

2. ऊंचाई से गिरना : लगभग 38-39% मामलों के पीछे ऊंचाई से गिरने वाली घटनाएं कारण हैं. 

3. शारिरिक हिंसा : हालांकि, इसका प्रतिशत छोटा है, लेकिन SCI के मामलों की बढ़ती संख्या के पीछे यह कारण भी जिम्मेदार है, जिसमें छुरा घोंपना और गोलीबारी शामिल हैं.

स्पाइिनल इंजरी (SCI) के कारण से आने वाली चुनौतियां

रीढ़ की हड्डी टूटने पर सिर्फ हड्डी नहीं बल्कि मनोबल और विश्वास भी टूटता है. ऐसे में स्पाइनल इंजरी से प्रभावित लोगों को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक सभी दबाव झेलने पड़ते हैं. इनके लिए रोजगार के अवसर भी बंद हो जाते हैं. ऐसे में आम जीवन तो जैसे एक सपने के समान लगने लगता है और व्यक्ति असहाय व व्यर्थ महसूस करने लगता है.

SCI का ट्रीटमेंट और रिहैबिलिटेशन

स्पाइनल इंजरी से पीड़ित लोगों का रिहैबिलिटेशन जरूरी है. इसके ट्रीटमेंट के लिए शहरों में कई एडवांस सर्जरी उपलब्ध है. इनमें स्टेम सेल थेरेपी, एक्जोस्कैलेटन और रोबोटिक्स बेस्ड रिहैबिलिटेशन शामिल हैं. भारत में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने स्पाइनल इंजरी होने के बावजूद भी हार नहीं मानी. ट्रीटमेंट और रिहैबिलिटेशन की मदद से न सिर्फ उन्होंने खुद को मजबूत बनाया बल्कि कई नई स्किल्स सीखकर उनमें महारत हासिल की. ऐसे में भारत के कई पैराएथलीट जैसे- अवनी लेखरा, प्रनव सूरमा, एकता भयान सभी के सामने बेहतरीन उदाहरण हैं.

इसे भी पढ़े : बिहार के शख्स में आंख में निकल आया दांत, डॉक्टरों के उड़े होश, कितना दुर्लभ है ये मामला?

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow