Shani Dev: क्या बच्चों को करनी चाहिए शनि देव की पूजा? जानिए चौंकाने वाले सच!
Shani Dev: क्या शनि देव की पूजा बच्चों से करानी चाहिए? ये सवाल अक्सर माता-पिता के मन में आता है. इस दुविधा के पीछे बड़ा कारण एक ओर शनि देव हैं जो कर्म, न्याय और समय के रक्षक हैं. दूसरी ओर हैं मासूम बालक, जिनका चित्त अभी पुष्प की तरह कोमल है. इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए ब्रह्मवैवर्त पुराण, बृहद्पाराशर होरा और आधुनिक मनोविज्ञान से क्या समझ सकते हैं? आइए जानते हैं- शनि देव केवल दंड देने वाले नहीं, धर्मगुरु भी हैंशनि को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है. शनि अशुभ ही फल देते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, शनि शुभ फल भी देता है. इसे लेकर ग्रंथों में बताया गया है- शनि: शमयति पापानि, संयमं च ददाति हि.धैर्यं क्षमां च सत्यं च, नयत्येव धर्मपथम्॥ यानि शनि देव न्यायप्रिय हैं, तटस्थ हैं, और कर्म के आर-पार देखने वाले देवता हैं. इनका उद्देश्य केवल सजा देना नहीं, बल्कि सुधारना होता है. शास्त्रों में बच्चों की शनि पूजा पर स्पष्ट निर्देश दिए गए जो लोग इस बात को लेकर किसी भी प्रकार का संशय रखते हैं उनके लिए यह जानना जरूरी है, ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार- न बालो न वृद्धो नाति रोगी न च स्त्रियो विना पवित्रता.शनिं न पूजयेन्मात्रा विधिना विनियोगतः॥ शनि की पूजा के लिए चित्त की स्थिरता, मानसिक परिपक्वता और नियमबद्ध जीवन आवश्यक माना गया है. बालकों को प्रत्यक्ष पूजा से विरत रहने की सलाह दी गई है. बृहत्पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार बाल ज्योतिष में शनि का प्रभाव कब शुरू होता है? इसको लेकर बताया गया है- शनि बाल्ये न कष्टकारी यदा चंद्रात सप्तमे न स्यात्.पंचमे चतुर्थे वा, दशायां फलं लघु भवेत्॥ बाल्यकाल (0–12 वर्ष) में शनि की दशा का प्रभाव मंद और अप्रकट होता है. लेकिन यदि शनि पीड़ित अवस्था में हो (शत्रु राशि, दृष्टिदोष, नीच आदि), तो शांति उपाय माता-पिता को करना चाहिए. इसे लाभ होता है. Indian Journal of Child Psychology 2021 के अनुसार Fear-based rituals in early childhood are directly linked to anxiety, guilt complex and social withdrawal tendencies. यानि बचपन में भय पर आधारित अनुष्ठान सीधे तौर पर चिंता, अपराधबोध की भावना और सामाजिक दूरी की प्रवृत्ति से जुड़े होते हैं. ऐसे में यदि शनि पूजा को दंड, भय या शाप से मुक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो बच्चों के मन मस्तिष्क में अंधविश्वास की जड़ें जम सकती है. जिसका ध्यान रखना चाहिए. बच्चों के लिए पूजा की सही उम्र और पूजा की विधि क्या है? आयु पूजा विधि औचित्य 0–7 वर्ष शनि चालीसा,आरती सुनना श्रवण से संस्कार 8–12 वर्ष पीपल पर जल चढ़ाना, रोटी दान सेवा भाव जागरण 13–16 वर्ष शनि स्तोत्र, दशरथ कृत शनि स्तुति अनुशासन कौन से उपाय कर सकते हैं बच्चे?बच्चों के लिए शनि पूजा के लिए पीपल वृक्ष की परिक्रमा वो भी शनिवार के दिन अच्छा माना गया है. शास्त्रों में भी बताया गया है कि "पीपलः शनि निवासः स्यात्, तस्य पूजनं शुभं भवेत्." अर्थात पीपल वृक्ष शनि का निवास स्थान होता है, इसलिए इसका पूजन शुभ फल देने वाला होता है. स्कंद पुराण, पद्म पुराण और व्रतार्क प्रकाश जैसे ग्रंथों में भी वर्णन मिलता है- शन्यै पीपल वृक्षस्य मूलभागे समर्पणम्।तैलदीपं प्रदत्तं च निवारयति तं ग्रहम्॥ यानि शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और इससे जीवन में संयम, शांति और कष्टों से मुक्ति मिलती है. काले तिल, तेल और रोटी का दानयह दान न केवल शनि को शांत करता है, बल्कि सेवा, करुणा और परोपकार की भावना भी विकसित करता है. मंत्र जप (11 बार)ॐ शं शनैश्चराय नमः किन बातों से बचना चाहिए? डर आधारित पूजा: 'शनि रूठे तो सब खराब हो जाएगा', यह भाव बच्चों को मानसिक रूप से असुरक्षित बनाता है. नीलम पहनाना या अनजान उपाय: बच्चों के लिए रत्न या विशेष टोटके ज्योतिषीय परामर्श के बिना न करें. पूजा को सज़ा बना देना: धर्म को प्रायश्चित्त के रूप में नहीं, संस्कार के रूप में प्रस्तुत करें. क्या करें जब शनि पीड़ित हों?यदि कुंडली में शनि अष्टम, द्वादश या अष्टकवर्ग में नीच हो, तो उपाय माता-पिता करें. जैसे, शनिवार को हनुमान चालीसा पढ़ना, सेवा कार्य करना, अन्नदान करना. शनि पूजा नहीं, शनि संस्कार दें शनि देव दंड के देवता नहीं, बल्कि कर्तव्य के शिक्षक हैं. बच्चों को पूजा में सजग, संयमी और संस्कारी बनाना है, भयभीत नहीं. यदि पूजा को सही समय, सही विधि और सही मानसिकता से प्रस्तुत किया जाए तो यही शनि संतान के भविष्य के सबसे सशक्त संरक्षक बन सकते हैं. FAQQ1: क्या शनि की पूजा बच्चों को दुर्भाग्य से बचा सकती है?A: यदि कुंडली में दोष हो, तो उपाय माता-पिता करें. बच्चों को केवल सेवा और संस्कार से जोड़ें. Q2: क्या नीलम रत्न बच्चों को पहनाया जा सकता है?A: बिना योग्य ज्योतिषी की सलाह के बिल्कुल नहीं. यह शनि को और क्रोधित कर सकता है. Q3: क्या शनि के लिए डर जरूरी है?A: नहीं. शनि के प्रति श्रद्धा, नियम और आत्मनिरीक्षण ही सही पूजा है, डर नहीं. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Shani Dev: क्या शनि देव की पूजा बच्चों से करानी चाहिए? ये सवाल अक्सर माता-पिता के मन में आता है. इस दुविधा के पीछे बड़ा कारण एक ओर शनि देव हैं जो कर्म, न्याय और समय के रक्षक हैं. दूसरी ओर हैं मासूम बालक, जिनका चित्त अभी पुष्प की तरह कोमल है.
इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए ब्रह्मवैवर्त पुराण, बृहद्पाराशर होरा और आधुनिक मनोविज्ञान से क्या समझ सकते हैं? आइए जानते हैं-
शनि देव केवल दंड देने वाले नहीं, धर्मगुरु भी हैं
शनि को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है. शनि अशुभ ही फल देते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, शनि शुभ फल भी देता है. इसे लेकर ग्रंथों में बताया गया है-
शनि: शमयति पापानि, संयमं च ददाति हि.
धैर्यं क्षमां च सत्यं च, नयत्येव धर्मपथम्॥
यानि शनि देव न्यायप्रिय हैं, तटस्थ हैं, और कर्म के आर-पार देखने वाले देवता हैं. इनका उद्देश्य केवल सजा देना नहीं, बल्कि सुधारना होता है. शास्त्रों में बच्चों की शनि पूजा पर स्पष्ट निर्देश दिए गए जो लोग इस बात को लेकर किसी भी प्रकार का संशय रखते हैं उनके लिए यह जानना जरूरी है, ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार-
न बालो न वृद्धो नाति रोगी न च स्त्रियो विना पवित्रता.
शनिं न पूजयेन्मात्रा विधिना विनियोगतः॥
शनि की पूजा के लिए चित्त की स्थिरता, मानसिक परिपक्वता और नियमबद्ध जीवन आवश्यक माना गया है. बालकों को प्रत्यक्ष पूजा से विरत रहने की सलाह दी गई है.
बृहत्पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार बाल ज्योतिष में शनि का प्रभाव कब शुरू होता है? इसको लेकर बताया गया है-
शनि बाल्ये न कष्टकारी यदा चंद्रात सप्तमे न स्यात्.
पंचमे चतुर्थे वा, दशायां फलं लघु भवेत्॥
बाल्यकाल (0–12 वर्ष) में शनि की दशा का प्रभाव मंद और अप्रकट होता है. लेकिन यदि शनि पीड़ित अवस्था में हो (शत्रु राशि, दृष्टिदोष, नीच आदि), तो शांति उपाय माता-पिता को करना चाहिए. इसे लाभ होता है.
Indian Journal of Child Psychology 2021 के अनुसार Fear-based rituals in early childhood are directly linked to anxiety, guilt complex and social withdrawal tendencies. यानि बचपन में भय पर आधारित अनुष्ठान सीधे तौर पर चिंता, अपराधबोध की भावना और सामाजिक दूरी की प्रवृत्ति से जुड़े होते हैं.
ऐसे में यदि शनि पूजा को दंड, भय या शाप से मुक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो बच्चों के मन मस्तिष्क में अंधविश्वास की जड़ें जम सकती है. जिसका ध्यान रखना चाहिए.
बच्चों के लिए पूजा की सही उम्र और पूजा की विधि क्या है?
आयु | पूजा विधि | औचित्य |
0–7 वर्ष | शनि चालीसा,आरती सुनना | श्रवण से संस्कार |
8–12 | वर्ष पीपल पर जल चढ़ाना, रोटी दान | सेवा भाव जागरण |
13–16 वर्ष | शनि स्तोत्र, दशरथ कृत शनि स्तुति | अनुशासन |
कौन से उपाय कर सकते हैं बच्चे?
बच्चों के लिए शनि पूजा के लिए पीपल वृक्ष की परिक्रमा वो भी शनिवार के दिन अच्छा माना गया है. शास्त्रों में भी बताया गया है कि "पीपलः शनि निवासः स्यात्, तस्य पूजनं शुभं भवेत्." अर्थात पीपल वृक्ष शनि का निवास स्थान होता है, इसलिए इसका पूजन शुभ फल देने वाला होता है.
स्कंद पुराण, पद्म पुराण और व्रतार्क प्रकाश जैसे ग्रंथों में भी वर्णन मिलता है-
शन्यै पीपल वृक्षस्य मूलभागे समर्पणम्।
तैलदीपं प्रदत्तं च निवारयति तं ग्रहम्॥
यानि शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और इससे जीवन में संयम, शांति और कष्टों से मुक्ति मिलती है.
काले तिल, तेल और रोटी का दान
यह दान न केवल शनि को शांत करता है, बल्कि सेवा, करुणा और परोपकार की भावना भी विकसित करता है.
मंत्र जप (11 बार)
ॐ शं शनैश्चराय नमः
किन बातों से बचना चाहिए?
- डर आधारित पूजा: 'शनि रूठे तो सब खराब हो जाएगा', यह भाव बच्चों को मानसिक रूप से असुरक्षित बनाता है.
- नीलम पहनाना या अनजान उपाय: बच्चों के लिए रत्न या विशेष टोटके ज्योतिषीय परामर्श के बिना न करें.
- पूजा को सज़ा बना देना: धर्म को प्रायश्चित्त के रूप में नहीं, संस्कार के रूप में प्रस्तुत करें.
क्या करें जब शनि पीड़ित हों?
यदि कुंडली में शनि अष्टम, द्वादश या अष्टकवर्ग में नीच हो, तो उपाय माता-पिता करें. जैसे, शनिवार को हनुमान चालीसा पढ़ना, सेवा कार्य करना, अन्नदान करना.
शनि पूजा नहीं, शनि संस्कार दें
- शनि देव दंड के देवता नहीं, बल्कि कर्तव्य के शिक्षक हैं.
- बच्चों को पूजा में सजग, संयमी और संस्कारी बनाना है, भयभीत नहीं.
यदि पूजा को सही समय, सही विधि और सही मानसिकता से प्रस्तुत किया जाए तो यही शनि संतान के भविष्य के सबसे सशक्त संरक्षक बन सकते हैं.
FAQ
Q1: क्या शनि की पूजा बच्चों को दुर्भाग्य से बचा सकती है?
A: यदि कुंडली में दोष हो, तो उपाय माता-पिता करें. बच्चों को केवल सेवा और संस्कार से जोड़ें.
Q2: क्या नीलम रत्न बच्चों को पहनाया जा सकता है?
A: बिना योग्य ज्योतिषी की सलाह के बिल्कुल नहीं. यह शनि को और क्रोधित कर सकता है.
Q3: क्या शनि के लिए डर जरूरी है?
A: नहीं. शनि के प्रति श्रद्धा, नियम और आत्मनिरीक्षण ही सही पूजा है, डर नहीं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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