Shani Dev Aarti: शनिवार को शनि आरती न करने से अधूरी रह सकती है पूजा

Shani Dev Aarti: शनिवार का दिन विशेष रूप से भगवान शनि देव की पूजा के लिए माना जाता है. शनि देव को कर्मों का न्यायाधीश कहा जाता है, जो हर व्यक्ति को उसके अच्छे या बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं. जो लोग शनिवार को श्रद्धा और नियम से व्रत रखते हैं और शनि देव की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन की मुश्किलों से राहत, कार्यों में सफलता और दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का आशीर्वाद मिलता है.साथ ही शनि की दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे प्रभाव भी शांत हो जाते हैं और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. इस दिन की पूजा की एक खास विधि होती है.सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें, साफ-सुथरे नीले या काले कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें.शनिदेव की मूर्ति या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं.पूजा में काले तिल, काले चने, लोहे का टुकड़ा, नीले फूल और सरसों का तेल अर्पित करें.शनिदेव के प्रिय जीव जैसे काले कुत्ते या कौवे को भोजन कराना भी बहुत पुण्यदायक माना जाता है. पूजा करते समय मन,वाणी और कर्म से पवित्र रहकर शनि देव से अपने दुःख दूर करने और सौभाग्य देने की प्रार्थना करें.इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए,जिसमें प्याज,लहसुन और नमक का प्रयोग न करें. अधिकतर लोग उपवास रखते हैं और शाम को पूजा के बाद ही भोजन करते हैं. पूजा के बाद "श्री शनि देव व्रत कथा" सुनना बहुत जरूरी होता है.इससे व्रत पूर्ण होता है और विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. शनि देव की कृपा से जीवन की रुकावटें दूर होती हैं और भाग्य में बदलाव आता है. इस तरह अगर शनिवार का व्रत पूरी श्रद्धा और सही विधि से किया जाए तो शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं और जीवन में स्थिरता, सफलता और सुख-संमृद्धि का वरदान देते हैं. श्री शनिदेव आरती  जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥जय जय श्री शनिदेव… श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।नीलांबर धार नाथ गज की असवारी॥जय जय श्री शनिदेव… क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥जय जय श्री शनिदेव… मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥जय जय श्री शनिदेव… देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥जय जय श्री शनिदेव… यह भी पढ़ें:  हनुमान चालीसा पढ़ते या सुनते हैं तो जान लें इससे जुड़े नियम, नहीं तो बजरंगवली हो जाते हैं नाराजDisclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

May 10, 2025 - 11:30
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Shani Dev Aarti: शनिवार को शनि आरती न करने से अधूरी रह सकती है पूजा

Shani Dev Aarti: शनिवार का दिन विशेष रूप से भगवान शनि देव की पूजा के लिए माना जाता है. शनि देव को कर्मों का न्यायाधीश कहा जाता है, जो हर व्यक्ति को उसके अच्छे या बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं. जो लोग शनिवार को श्रद्धा और नियम से व्रत रखते हैं और शनि देव की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन की मुश्किलों से राहत, कार्यों में सफलता और दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का आशीर्वाद मिलता है.साथ ही शनि की दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे प्रभाव भी शांत हो जाते हैं और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.

इस दिन की पूजा की एक खास विधि होती है.सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें, साफ-सुथरे नीले या काले कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें.शनिदेव की मूर्ति या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं.पूजा में काले तिल, काले चने, लोहे का टुकड़ा, नीले फूल और सरसों का तेल अर्पित करें.शनिदेव के प्रिय जीव जैसे काले कुत्ते या कौवे को भोजन कराना भी बहुत पुण्यदायक माना जाता है.

पूजा करते समय मन,वाणी और कर्म से पवित्र रहकर शनि देव से अपने दुःख दूर करने और सौभाग्य देने की प्रार्थना करें.इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए,जिसमें प्याज,लहसुन और नमक का प्रयोग न करें. अधिकतर लोग उपवास रखते हैं और शाम को पूजा के बाद ही भोजन करते हैं.

पूजा के बाद "श्री शनि देव व्रत कथा" सुनना बहुत जरूरी होता है.इससे व्रत पूर्ण होता है और विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. शनि देव की कृपा से जीवन की रुकावटें दूर होती हैं और भाग्य में बदलाव आता है.

इस तरह अगर शनिवार का व्रत पूरी श्रद्धा और सही विधि से किया जाए तो शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं और जीवन में स्थिरता, सफलता और सुख-संमृद्धि का वरदान देते हैं.

श्री शनिदेव आरती 

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव…

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलांबर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव…

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव…

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव…

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
जय जय श्री शनिदेव…

यह भी पढ़ें:  हनुमान चालीसा पढ़ते या सुनते हैं तो जान लें इससे जुड़े नियम, नहीं तो बजरंगवली हो जाते हैं नाराज
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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