Sankashti Chaturthi 2025: आज संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा पूजा का समय जान लें, इसके बिना अधूरा है व्रत

Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी यानी संकट से मुक्ति दिलाने वाला व्रत. आज ज्येष्ठ माह की एकदंत संकष्टी चतुर्थी है चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन को बहुत ही शुभ माना जाता है. चन्द्रोदय के बाद ही व्रत पूर्ण होता है. मान्यता यह है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी संतान संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं. चंद्र दोष खत्म होता है अपयश और बदनामी के योग कट जाते हैं. आइए जानते हैं एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय समय क्या है और कैसे करें चंद्रमा की पूजा. एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2025 मुहूर्त एकदंत संकष्टी चतुर्थी का 17 मई को सुबह 5.13 तक रहेगी. ऐसे में आज 16 मई को गणेश जी की पूजा शाम 5 बजकर 24 मिनट से रात 07 बजकर 06 मिनट तक करना शुभ होगा. इसके बाद लाभ का चौघड़िया भी बन रहा है जो रात 9.41 मिनट से रात 10.59 तक रहेगा. एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2025 चंद्रोदय समय एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय रात 10.39 मिनट पर होगा. ध्यान रहे व्रती चंद्रमा की पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करें तभी ये व्रत फलित होता है. गणेश जी ने चंद्रमा को कांतिहीन होने का श्राप दिया था लेकिन बाद में चंद्रदेव के प्रायश्चित के बाद उन्होंने कहा कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर जो भी व्रत रखकर उनकी पूजा करेगा, उसे रात में चंद्रमा की भी पूजा करनी होगी. इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं होगा. संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा पूजा विधि संकष्टी चतुर्थी पर चांदी या पीतल के लोटे में जल भर लें. फिर उसमें गाय का कच्चा दूध, अक्षत् और सफेद फूल डाल लें. उसके बाद चंद्र देव का स्मरण करके उनको अर्घ्य दें. अपने संकटों को दूर करने और संतान के सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करें. चंद्रमा पूजा मंत्र गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥ गणेश जी को क्यों कहा जाता है एकदंत ? इस संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश के एकदन्त रूप की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान एकदन्त को गणेश जी के अष्टविनायक रूपों में से एक माना जाता है. एकदन्त गणेश का शाब्दिक अर्थ है - एक दांत वाले गणेश जी. हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार गणेश जी द्वारा भगवान शिव से मिलने के लिए रोकने पर भगवान परशुराम ने अपने परशु से गणेश जी पर प्रहार किया था जिससे उनका एक दांत टूट गया और वे एकदन्त के रूप में प्रसिद्ध हुए. इनकी पूजा से रोग, दोष, भय दूर होता है. Shani Pradosh Vrat 2025: मई में क्या शनि जयंती पर ही है शनि प्रदोष व्रत ? जान लें सही तारीख Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

May 16, 2025 - 20:30
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Sankashti Chaturthi 2025: आज संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा पूजा का समय जान लें, इसके बिना अधूरा है व्रत

Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी यानी संकट से मुक्ति दिलाने वाला व्रत. आज ज्येष्ठ माह की एकदंत संकष्टी चतुर्थी है चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन को बहुत ही शुभ माना जाता है. चन्द्रोदय के बाद ही व्रत पूर्ण होता है.

मान्यता यह है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी संतान संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं. चंद्र दोष खत्म होता है अपयश और बदनामी के योग कट जाते हैं. आइए जानते हैं एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय समय क्या है और कैसे करें चंद्रमा की पूजा.

एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2025 मुहूर्त

एकदंत संकष्टी चतुर्थी का 17 मई को सुबह 5.13 तक रहेगी. ऐसे में आज 16 मई को गणेश जी की पूजा शाम 5 बजकर 24 मिनट से रात 07 बजकर 06 मिनट तक करना शुभ होगा.

इसके बाद लाभ का चौघड़िया भी बन रहा है जो रात 9.41 मिनट से रात 10.59 तक रहेगा.

एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2025 चंद्रोदय समय

एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय रात 10.39 मिनट पर होगा. ध्यान रहे व्रती चंद्रमा की पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करें तभी ये व्रत फलित होता है. गणेश जी ने चंद्रमा को कांतिहीन होने का श्राप दिया था लेकिन बाद में चंद्रदेव के प्रायश्चित के बाद उन्होंने कहा कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर जो भी व्रत रखकर उनकी पूजा करेगा, उसे रात में चंद्रमा की भी पूजा करनी होगी. इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं होगा.

संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी पर चांदी या पीतल के लोटे में जल भर लें. फिर उसमें गाय का कच्चा दूध, अक्षत् और सफेद फूल डाल लें. उसके बाद चंद्र देव का स्मरण करके उनको अर्घ्य दें. अपने संकटों को दूर करने और संतान के सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करें.

चंद्रमा पूजा मंत्र

गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।

गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥

गणेश जी को क्यों कहा जाता है एकदंत ?

इस संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश के एकदन्त रूप की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान एकदन्त को गणेश जी के अष्टविनायक रूपों में से एक माना जाता है. एकदन्त गणेश का शाब्दिक अर्थ है - एक दांत वाले गणेश जी. हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार गणेश जी द्वारा भगवान शिव से मिलने के लिए रोकने पर भगवान परशुराम ने अपने परशु से गणेश जी पर प्रहार किया था जिससे उनका एक दांत टूट गया और वे एकदन्त के रूप में प्रसिद्ध हुए. इनकी पूजा से रोग, दोष, भय दूर होता है.

Shani Pradosh Vrat 2025: मई में क्या शनि जयंती पर ही है शनि प्रदोष व्रत ? जान लें सही तारीख

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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