Next Gen GST रिफॉर्म ने बढ़ाई राज्यों की चिंता, हर साल 7000 से 9000 करोड़ का हो सकता है भारी नुकसान
Next Gen GST: गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST) में प्रस्तावित रिफॉर्म चालू वित्त वर्ष के मध्य में लागू किया जा सकता है. लेकिन इसके चलते कई बड़े राज्यों ने चिंता जताई है कि नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म प्रभावी होने पर उनके राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. राज्यों के सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, प्रस्तावित सुधारों से उन्हें हर साल 7000 से 9000 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह कमी राज्यों के सामाजिक विकास और प्रशासनिक कामकाज पर सीधा असर डाल सकती है. राजस्व वृद्धि पर असरराज्यों का कहना है कि आंतरिक आकलन के अनुसार रेवेन्यू ग्रोथ की रफ्तार घटकर 8% पर आ सकती है. पिछले कुछ वर्षों में यह दर 11.6% रही है, जबकि 2017 में जीएसटी लागू होने से पहले यह लगभग 14% थी. यूबीएस का अनुमानअंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज हाउस यूबीएस के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 में जीएसटी से होने वाला राजस्व घाटा भरपाई योग्य है. इसके अनुमान के अनुसार, सालाना तौर पर 1.1 ट्रिलियन रुपये यानी जीडीपी का 0.3% घाटा हो सकता है. वहीं, 2025-26 में यह नुकसान लगभग 430 बिलियन रुपये (जीडीपी का 0.14%) तक रह सकता है. इस कमी की भरपाई आरबीआई के डिविडेंड और अतिरिक्त सरप्लस सेस ट्रांसफर के जरिए की जा सकती है. समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोग को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत आयकर या कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के मुकाबले जीएसटी में कटौती कहीं अधिक असरदार है, क्योंकि इसका सीधा असर खरीदारी पर पड़ता है. गौरतलब है कि पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए भाषण में दिवाली से पहले नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म लागू करने का ऐलान किया था. सरकार का कहना है कि इस रिफॉर्म का सीधा लाभ उपभोक्ताओं, छोटे उद्योगों और एमएसएमई को मिलेगा. ये भी पढ़ें: GST रिफॉर्म के ऐलान भर से नहीं रुक रही रुपये की तेजी, आज फिर डॉलर को करेंसी के रिंग में दी पटखनी

Next Gen GST: गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST) में प्रस्तावित रिफॉर्म चालू वित्त वर्ष के मध्य में लागू किया जा सकता है. लेकिन इसके चलते कई बड़े राज्यों ने चिंता जताई है कि नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म प्रभावी होने पर उनके राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. राज्यों के सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, प्रस्तावित सुधारों से उन्हें हर साल 7000 से 9000 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह कमी राज्यों के सामाजिक विकास और प्रशासनिक कामकाज पर सीधा असर डाल सकती है.
राजस्व वृद्धि पर असर
राज्यों का कहना है कि आंतरिक आकलन के अनुसार रेवेन्यू ग्रोथ की रफ्तार घटकर 8% पर आ सकती है. पिछले कुछ वर्षों में यह दर 11.6% रही है, जबकि 2017 में जीएसटी लागू होने से पहले यह लगभग 14% थी.
यूबीएस का अनुमान
अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज हाउस यूबीएस के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 में जीएसटी से होने वाला राजस्व घाटा भरपाई योग्य है. इसके अनुमान के अनुसार, सालाना तौर पर 1.1 ट्रिलियन रुपये यानी जीडीपी का 0.3% घाटा हो सकता है. वहीं, 2025-26 में यह नुकसान लगभग 430 बिलियन रुपये (जीडीपी का 0.14%) तक रह सकता है. इस कमी की भरपाई आरबीआई के डिविडेंड और अतिरिक्त सरप्लस सेस ट्रांसफर के जरिए की जा सकती है.
समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोग को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत आयकर या कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के मुकाबले जीएसटी में कटौती कहीं अधिक असरदार है, क्योंकि इसका सीधा असर खरीदारी पर पड़ता है.
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए भाषण में दिवाली से पहले नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म लागू करने का ऐलान किया था. सरकार का कहना है कि इस रिफॉर्म का सीधा लाभ उपभोक्ताओं, छोटे उद्योगों और एमएसएमई को मिलेगा.
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