Military Comparison: तैमूर के दम पर भयंकर झूठ उगल रहा पाकिस्तान! जानें भारत की ब्रह्मोस के आगे कितनी है इसकी औकात?

पाकिस्तान ने साल 2022 में तैमूर मिसाइल का अनावरण किया और इसे एक एयर-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल (ALCM) के रूप में पेश किया. इसे पाकिस्तानी ग्लोबल इंडस्ट्रियल एंड डिफेंस सॉल्यूशन (GIDS) ने विकसित किया है. लंबाई 4.38 मीटर और वजन लगभग 1100 किलो होने के कारण यह एक भारी मिसाइल है, जो सब-सोनिक स्पीड पर उड़ती है. पाकिस्तान का दावा है कि तैमूर मिसाइल 600 किलोमीटर तक मारक क्षमता रखती है. 250 किलोमीटर तक सटीक प्रिसिशन अटैक करने में सक्षम है. इसमें एडवांस इमेजिंग इंफ्रारेड (IIR) सीकर और मल्टी-गाइडेंस सिस्टम शामिल हैं. यह ‘टेर्रेन-हगिंग’ और ‘सी-स्किमिंग’ टेक्नोलॉजी से लैस है, जिससे राडार इसे देर से पकड़ पाते हैं. यानी, पाकिस्तान इसे भारत के एयरबेस, रडार स्टेशन और नेवी के एयरक्राफ्ट कैरियर को टारगेट करने के लिए आदर्श हथियार बता रहा है. SCALP और ब्रह्मोस से तुलनातैमूर मिसाइल की तुलना पाकिस्तान लगातार फ्रांस की SCALP मिसाइल और भारत-रूस की संयुक्त परियोजना ब्रह्मोस से करता है. SCALP मिसाइल की रेंज लगभग 500 किमी और स्पीड सुपरसोनिक के करीब है, जबकि तैमूर सिर्फ सबसोनिक स्पीड पर उड़ती है. ब्रह्मोस मिसाइल अपनी हाइपरसोनिक क्षमता और बेहद कम प्रतिक्रिया समय के लिए जानी जाती है, जबकि तैमूर की स्पीड इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने राफेल फाइटर से SCALP का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को गहरी चोट दी थी. शायद इसी कारण पाकिस्तान ने तैमूर को SCALP के विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश की. असलियत में, टेक्निकल लिहाज से तैमूर मिसाइल SCALP या ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर पाती. JF-17 और तैमूर का इंटीग्रेशनपाकिस्तान का दूसरा बड़ा दावा है कि उसने तैमूर मिसाइल को अपने चीन की मदद से बनाए गए JF-17 फाइटर जेट में इंटीग्रेट कर लिया है. इससे उसे लगता है कि भारतीय राफेल + SCALP कॉम्बिनेशन का संतुलन बदल जाएगा. JF-17 प्लेटफॉर्म पर इसे फिट करने से पाकिस्तान को एक स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक क्षमता मिली है. पाकिस्तानी वेबसाइट्स का दावा है कि इससे भारत के नौसैनिक अड्डों और एयरबेस को खतरा है, लेकिन भारत के पास मौजूद सुपर सु-30MKI, मिराज-2000 और राफेल जैसे प्लेटफॉर्म्स JF-17 और तैमूर से कहीं ज्यादा एडवांस और घातक साबित होते हैं. S-400 और भारत की मल्टी-लेयर्ड डिफेंसपाकिस्तानी प्रोपेगेंडा साइट्स का कहना है कि तैमूर मिसाइल भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को भी भेद सकती है, लेकिन यह दावा सिर्फ झूठा प्रचार है. S-400 को खासतौर पर लो-फ्लाइंग क्रूज मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. भारत ने सिर्फ S-400 पर निर्भरता नहीं रखी है, बल्कि Akash-NG, Barak-8, QRSAM और DRDO की बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस के साथ मल्टी लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम बनाया है. ऐसे में तैमूर भारत के सुरक्षा कवच को भेद नहीं सकती. पाकिस्तान ने जो गेमचेंजर की थ्योरी फैलाई है, वह सिर्फ मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की रणनीति है. ये भी पढ़ें: ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ तो जल गए PAK एक्सपर्ट, बोले- जेसन मिलर को 18 लाख डॉलर देता है भारत इसलिए...

Sep 9, 2025 - 15:30
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Military Comparison: तैमूर के दम पर भयंकर झूठ उगल रहा पाकिस्तान! जानें भारत की ब्रह्मोस के आगे कितनी है इसकी औकात?

पाकिस्तान ने साल 2022 में तैमूर मिसाइल का अनावरण किया और इसे एक एयर-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल (ALCM) के रूप में पेश किया. इसे पाकिस्तानी ग्लोबल इंडस्ट्रियल एंड डिफेंस सॉल्यूशन (GIDS) ने विकसित किया है. लंबाई 4.38 मीटर और वजन लगभग 1100 किलो होने के कारण यह एक भारी मिसाइल है, जो सब-सोनिक स्पीड पर उड़ती है.

पाकिस्तान का दावा है कि तैमूर मिसाइल 600 किलोमीटर तक मारक क्षमता रखती है. 250 किलोमीटर तक सटीक प्रिसिशन अटैक करने में सक्षम है. इसमें एडवांस इमेजिंग इंफ्रारेड (IIR) सीकर और मल्टी-गाइडेंस सिस्टम शामिल हैं. यह ‘टेर्रेन-हगिंग’ और ‘सी-स्किमिंग’ टेक्नोलॉजी से लैस है, जिससे राडार इसे देर से पकड़ पाते हैं. यानी, पाकिस्तान इसे भारत के एयरबेस, रडार स्टेशन और नेवी के एयरक्राफ्ट कैरियर को टारगेट करने के लिए आदर्श हथियार बता रहा है.

SCALP और ब्रह्मोस से तुलना
तैमूर मिसाइल की तुलना पाकिस्तान लगातार फ्रांस की SCALP मिसाइल और भारत-रूस की संयुक्त परियोजना ब्रह्मोस से करता है. SCALP मिसाइल की रेंज लगभग 500 किमी और स्पीड सुपरसोनिक के करीब है, जबकि तैमूर सिर्फ सबसोनिक स्पीड पर उड़ती है. ब्रह्मोस मिसाइल अपनी हाइपरसोनिक क्षमता और बेहद कम प्रतिक्रिया समय के लिए जानी जाती है, जबकि तैमूर की स्पीड इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने राफेल फाइटर से SCALP का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को गहरी चोट दी थी. शायद इसी कारण पाकिस्तान ने तैमूर को SCALP के विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश की. असलियत में, टेक्निकल लिहाज से तैमूर मिसाइल SCALP या ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर पाती.

JF-17 और तैमूर का इंटीग्रेशन
पाकिस्तान का दूसरा बड़ा दावा है कि उसने तैमूर मिसाइल को अपने चीन की मदद से बनाए गए JF-17 फाइटर जेट में इंटीग्रेट कर लिया है. इससे उसे लगता है कि भारतीय राफेल + SCALP कॉम्बिनेशन का संतुलन बदल जाएगा. JF-17 प्लेटफॉर्म पर इसे फिट करने से पाकिस्तान को एक स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक क्षमता मिली है. पाकिस्तानी वेबसाइट्स का दावा है कि इससे भारत के नौसैनिक अड्डों और एयरबेस को खतरा है, लेकिन भारत के पास मौजूद सुपर सु-30MKI, मिराज-2000 और राफेल जैसे प्लेटफॉर्म्स JF-17 और तैमूर से कहीं ज्यादा एडवांस और घातक साबित होते हैं.

S-400 और भारत की मल्टी-लेयर्ड डिफेंस
पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा साइट्स का कहना है कि तैमूर मिसाइल भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को भी भेद सकती है, लेकिन यह दावा सिर्फ झूठा प्रचार है. S-400 को खासतौर पर लो-फ्लाइंग क्रूज मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. भारत ने सिर्फ S-400 पर निर्भरता नहीं रखी है, बल्कि Akash-NG, Barak-8, QRSAM और DRDO की बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस के साथ मल्टी लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम बनाया है. ऐसे में तैमूर भारत के सुरक्षा कवच को भेद नहीं सकती. पाकिस्तान ने जो गेमचेंजर की थ्योरी फैलाई है, वह सिर्फ मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की रणनीति है.

ये भी पढ़ें: ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ तो जल गए PAK एक्सपर्ट, बोले- जेसन मिलर को 18 लाख डॉलर देता है भारत इसलिए...

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