Mangal Mahadasha 2025: मंगल की महादशा में भारत का उदय, शुक्र-केतु के प्रभाव में पाकिस्तान का संभावित विभाजन!
Indo-Pak future relations: मंगल को पाकिस्तान के प्रत्यक्ष शत्रु के रूप में माना जा रहा है क्योंकि मेदिनी ज्योतिष के अनुसार प्रत्यक्ष शत्रु को षष्ठम की जगह सप्तम भाव से देखा जाता है. अतः भारत की कुंडली में सप्तम से अष्टम भाव में स्थित मंगल के माध्यम से पाकिस्तान की दशा का विश्लेषण किया जा रहा है. भारत की कुंडली 15 अगस्त 1947, रात 12:00 बजे स्वतंत्रता मिलने के बाद, दिल्ली के आधार पर वृषभ लग्न की गई है. इस कुंडली में राहु लग्न में, मंगल द्वितीय भाव में (मिथुन) और सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, शनि ये पांचों ग्रह कर्क राशि में तीसरे भाव में स्थित हैं. इस संयोजन की वजह से यह भारत को रणनीति, बुद्धि, संवाद और शक्ति के संतुलन वाला राष्ट्र बनाता है. मंगल की महादशा: भारत के लिए निर्णायक कालभारत में सितंबर 2025 के बाद से मंगल की महादशा का आरंभ हो रहा है. मंगल भारत की कुंडली में द्वितीय भाव पर है, जो सप्तम (प्रत्यक्ष शत्रु) से अष्टम पर आता है और मंगल सप्तम भाव का स्वामी भी है. मेदिनी ज्योतिष के अनुसार यह स्थिति शत्रु पर गुप्त और निर्णायक प्रहार का संकेत देती है. यह दशा भारत को सैन्य दृष्टि से सशक्त, नीतिगत रूप से साहसी और वैश्विक मंच पर प्रभावशाली भूमिका निभाने का भी मौका देगी. पाकिस्तान की कुंडली: असंतुलन और ग्रह दोष का दबावपाकिस्तान की कुंडली 13 अगस्त 1947, रात 11:45 बजे उसके स्वतंत्रता मिलने के बाद लाहौर की है, जो मेष लग्न की बनती है. इसमें राहु द्वितीय भाव में, मंगल व चंद्रमा तृतीय में (मिथुन) और सूर्य, बुध, शुक्र, शनि चतुर्थ भाव (कर्क) में हैं. गुरु सप्तम भाव (तुला) में स्थित है. यह संयोजन आंतरिक स्थिरता, नेतृत्व और नीति निर्माण में लगातार तनाव उत्पन्न कर सकता है. शुक्र-बुध की अंतर्दशा: भ्रम और विफलता का समयपाकिस्तान वर्तमान में शुक्र की महादशा और बुध की अंतर्दशा से गुजर रहा है, जो जनवरी 2027 तक चलेगी. शुक्र और बुध दोनों चतुर्थ भाव में स्थित हैं. यह दशा जनता, नीति, सरकार और आंतरिक शासन के स्तर पर भ्रम, विघटन और अस्थिरता लाने वाली है. पाकिस्तान में केतु की अंतर्दशा जनवरी 2027 से प्रारंभ होगी. केतु वर्तमान में पाकिस्तान की कुंडली के पंचम भाव से चल रहा है. पंचम भाव में केतु का प्रभाव युवाओं में विद्रोह, शिक्षा में विफलता और सैन्य सोच में वैचारिक भटकाव लाता है. केतु की यह अंतर्दशा पाकिस्तान के लिए एक गहरे भीतर घात का कारण बनेगी. यह भीतरघात सेना, सत्ता, या कूटनीतिक व्यवस्था के भीतर से उत्पन्न हो सकता है, जो देश की एकता और पहचान को चुनौती देगा. यह समय विशेषकर बलूचिस्तान और अन्य सीमांत प्रांतों में अलगाववादी शक्तियों को बल दे सकता है. शास्त्रीय पुष्टिबृहत्संहिता (वराहमिहिर) के अनुसार "यदि मंगलो द्वितीयस्थो भवति सप्तमदृष्ट: तदा रिपूनां नाशः स्यात्" भावार्थ- यदि मंगल द्वितीय भाव में हो और सप्तम से अष्टम स्थिति में हो, तो वह शत्रु के विनाश का कारक बनता है. नारद संहिता के अनुसार "शुक्र-बुध यदि चतुर्थे पापदृष्ट या अस्तस्थ हो, तदा प्रजा भ्रमं प्राप्नोति, राष्ट्रं च अस्थिरं भवति." भावार्थ- जब शुक्र और बुध चतुर्थ भाव में स्थित होकर अस्त या पापदृष्ट हों, तो राष्ट्र में जनता असंतोष, नीतिगत भ्रम और राजनीतिक अस्थिरता देखता है. शक्ति और संकट का समवर्ती कालभारत के लिए मंगल की महादशा शक्ति, दृढ़ता और निर्णायक रणनीति का काल लेकर आ रही है. वहीं पाकिस्तान में शुक्र-बुध और आगामी केतु की अंतर्दशा, उसे अंदरूनी अशांति, प्रादेशिक टकराव और वैश्विक अलगाव की ओर धकेल रही है. यह समय भारत को अपनी सैन्य, राजनीतिक और वैचारिक स्पष्टता के साथ आगे बढ़ने का अवसर देगा, जबकि पाकिस्तान के लिए यह सत्ता, समाज और भू-राजनीतिक अस्तित्व की परीक्षा का युग बन सकता है, पाकिस्तान शायद अपना अस्तित्व विश्व में स्थिर नहीं पायेगा. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Indo-Pak future relations: मंगल को पाकिस्तान के प्रत्यक्ष शत्रु के रूप में माना जा रहा है क्योंकि मेदिनी ज्योतिष के अनुसार प्रत्यक्ष शत्रु को षष्ठम की जगह सप्तम भाव से देखा जाता है. अतः भारत की कुंडली में सप्तम से अष्टम भाव में स्थित मंगल के माध्यम से पाकिस्तान की दशा का विश्लेषण किया जा रहा है.
भारत की कुंडली 15 अगस्त 1947, रात 12:00 बजे स्वतंत्रता मिलने के बाद, दिल्ली के आधार पर वृषभ लग्न की गई है. इस कुंडली में राहु लग्न में, मंगल द्वितीय भाव में (मिथुन) और सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, शनि ये पांचों ग्रह कर्क राशि में तीसरे भाव में स्थित हैं. इस संयोजन की वजह से यह भारत को रणनीति, बुद्धि, संवाद और शक्ति के संतुलन वाला राष्ट्र बनाता है.
मंगल की महादशा: भारत के लिए निर्णायक काल
भारत में सितंबर 2025 के बाद से मंगल की महादशा का आरंभ हो रहा है. मंगल भारत की कुंडली में द्वितीय भाव पर है, जो सप्तम (प्रत्यक्ष शत्रु) से अष्टम पर आता है और मंगल सप्तम भाव का स्वामी भी है.
मेदिनी ज्योतिष के अनुसार यह स्थिति शत्रु पर गुप्त और निर्णायक प्रहार का संकेत देती है. यह दशा भारत को सैन्य दृष्टि से सशक्त, नीतिगत रूप से साहसी और वैश्विक मंच पर प्रभावशाली भूमिका निभाने का भी मौका देगी.
पाकिस्तान की कुंडली: असंतुलन और ग्रह दोष का दबाव
पाकिस्तान की कुंडली 13 अगस्त 1947, रात 11:45 बजे उसके स्वतंत्रता मिलने के बाद लाहौर की है, जो मेष लग्न की बनती है. इसमें राहु द्वितीय भाव में, मंगल व चंद्रमा तृतीय में (मिथुन) और सूर्य, बुध, शुक्र, शनि चतुर्थ भाव (कर्क) में हैं. गुरु सप्तम भाव (तुला) में स्थित है.
यह संयोजन आंतरिक स्थिरता, नेतृत्व और नीति निर्माण में लगातार तनाव उत्पन्न कर सकता है.
शुक्र-बुध की अंतर्दशा: भ्रम और विफलता का समय
पाकिस्तान वर्तमान में शुक्र की महादशा और बुध की अंतर्दशा से गुजर रहा है, जो जनवरी 2027 तक चलेगी. शुक्र और बुध दोनों चतुर्थ भाव में स्थित हैं. यह दशा जनता, नीति, सरकार और आंतरिक शासन के स्तर पर भ्रम, विघटन और अस्थिरता लाने वाली है.
पाकिस्तान में केतु की अंतर्दशा जनवरी 2027 से प्रारंभ होगी. केतु वर्तमान में पाकिस्तान की कुंडली के पंचम भाव से चल रहा है. पंचम भाव में केतु का प्रभाव युवाओं में विद्रोह, शिक्षा में विफलता और सैन्य सोच में वैचारिक भटकाव लाता है.
केतु की यह अंतर्दशा पाकिस्तान के लिए एक गहरे भीतर घात का कारण बनेगी. यह भीतरघात सेना, सत्ता, या कूटनीतिक व्यवस्था के भीतर से उत्पन्न हो सकता है, जो देश की एकता और पहचान को चुनौती देगा. यह समय विशेषकर बलूचिस्तान और अन्य सीमांत प्रांतों में अलगाववादी शक्तियों को बल दे सकता है.
शास्त्रीय पुष्टि
बृहत्संहिता (वराहमिहिर) के अनुसार "यदि मंगलो द्वितीयस्थो भवति सप्तमदृष्ट: तदा रिपूनां नाशः स्यात्"
- भावार्थ- यदि मंगल द्वितीय भाव में हो और सप्तम से अष्टम स्थिति में हो, तो वह शत्रु के विनाश का कारक बनता है.
नारद संहिता के अनुसार
"शुक्र-बुध यदि चतुर्थे पापदृष्ट या अस्तस्थ हो, तदा प्रजा भ्रमं प्राप्नोति, राष्ट्रं च अस्थिरं भवति."
- भावार्थ- जब शुक्र और बुध चतुर्थ भाव में स्थित होकर अस्त या पापदृष्ट हों, तो राष्ट्र में जनता असंतोष, नीतिगत भ्रम और राजनीतिक अस्थिरता देखता है.
शक्ति और संकट का समवर्ती काल
भारत के लिए मंगल की महादशा शक्ति, दृढ़ता और निर्णायक रणनीति का काल लेकर आ रही है. वहीं पाकिस्तान में शुक्र-बुध और आगामी केतु की अंतर्दशा, उसे अंदरूनी अशांति, प्रादेशिक टकराव और वैश्विक अलगाव की ओर धकेल रही है.
यह समय भारत को अपनी सैन्य, राजनीतिक और वैचारिक स्पष्टता के साथ आगे बढ़ने का अवसर देगा, जबकि पाकिस्तान के लिए यह सत्ता, समाज और भू-राजनीतिक अस्तित्व की परीक्षा का युग बन सकता है, पाकिस्तान शायद अपना अस्तित्व विश्व में स्थिर नहीं पायेगा.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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