Kendra Trikona Rajyog: सावन में 30 साल बाद शनि का शक्तिशाली केंद्र त्रिकोण राजयोग, इन राशियों को लाभ

ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) में शनि को न्याय का प्रतीक और कर्म फलदाता कहा जाता है, क्योंकि शनि कर्मों के अनुसार ही लोगों को फल देते हैं. साथ ही शनि ग्रह की चाल भी अन्य ग्रहों की तुलना में धीमी होती है. शनि (Shani Dev) को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग ढाई वर्ष का समय लग जाता है. इसी के साथ शनि के मार्गी और वक्री होने का प्रभाव भी राशियों पर पड़ता है. मंद गति से चलने के कारण शनि को किसी एक राशि में दोबारा आने में लगभग 30 वर्ष का समय लग जाता है. फिलहाल शनि मीन राशि में संरक्षण कर रहे हैं और इसी राशि में 13 जुलाई को वक्री भी हो जाएंगे और 138 दिनों तक वक्री रहेंगे. वक्री अवस्था में शनि का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग तरह से पड़ेगा. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, जब शनि मीन राशि में वक्री (Shani Vakri) होंगे तब एक शक्तिशाली और दुर्लभ योग का निर्माण होगा, जिसे केंद्र त्रिकोण राजयोग (Kendra Trikona Rajyog) कहा जाता है. इस योग का प्रभाव कुछ राशियों पर बेहद शुभ पड़ेगा. इससे अचानक धन का लाभ, भाग्य वृद्धि, मान सम्मान में वृद्धि और करियर-व्यापार में सफलता की योग बनने लगेंगे. खासकर जिन लोगों की कुंडली में शनि की स्थिति शुभ होती है, उन्हें इस योग का विशेष लाभ मिलेगा. आइए जानते हैं कैसे बनता है केंद्र त्रिकोण राजयोग और किन राशियों को मिलेगा इसका लाभ. कैसे बनता है केंद्र त्रिकोण राजयोग ज्योतिष की माने तो जब कुंडली में केंद्र भाव (पहला, चौथा, सातवां और दसवां) और त्रिकोण भाव (पहला, पांचवा और नवम) भाव के स्वामी आपस में मिलते हैं तो उसे केंद्र त्रिकोण राजयोग कहा जाता है. वैसे तो यह योग अपने आप में ही शुभ होता है. लेकिन सावन महीने में इस योग का बनना और भी प्रभावशाली और शुभ फलदायी हो जाता है. यह योग जीवन में धन, सफलता, प्रतिष्ठा और समृद्धि दिलाता है. किन राशियों को मिलेगा केंद्र त्रिकोण राजयोग का लाभ वृश्चिक राशि (Scorpio): 13 जुलाई को शनि मीन राशि में वक्री होकर आपकी राशि के पंचम भाव में रहेंगे. यह भाव शिक्षा, संतान, प्रेम और कलात्मकता से जुड़ा होता है. वहीं शनि तीसरे और चौथे भाव के स्वामी होकर आपकी राशि में केंद्र त्रिकोण राजयोग भी बना रहे हैं. इस योग के प्रभाव से शिक्षा क्षेत्र में सफलता मिलने के चांस है. व्यापार में भी लाभ की स्थिति रहेगी. आपके द्वारा किए गए प्रयासों का लाभ मिलेगा और रुके हुए कार्यों में गति आएगी. धनु राशि (Sagittarius): शनि वक्री होकर आपकी राशि के चौथे भाव में रहेंगे. यह भाव सुख-संपत्ति, वाहन, मकान और पारिवारिक जीवन से जुड़ा होता है. शनि के केंद्र त्रिकोण राजयोग से आपके जीवन में शांति बनी रहेगी और शनि ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों में भी कमी आएगी. साथ ही इस अवधि में घर-मकान, फ्लैट या प्रॉपर्टी आदि लेने की योजना भी सफल हो सकती है. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Jul 11, 2025 - 21:30
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Kendra Trikona Rajyog: सावन में 30 साल बाद शनि का शक्तिशाली केंद्र त्रिकोण राजयोग, इन राशियों को लाभ

ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) में शनि को न्याय का प्रतीक और कर्म फलदाता कहा जाता है, क्योंकि शनि कर्मों के अनुसार ही लोगों को फल देते हैं. साथ ही शनि ग्रह की चाल भी अन्य ग्रहों की तुलना में धीमी होती है. शनि (Shani Dev) को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग ढाई वर्ष का समय लग जाता है. इसी के साथ शनि के मार्गी और वक्री होने का प्रभाव भी राशियों पर पड़ता है.

मंद गति से चलने के कारण शनि को किसी एक राशि में दोबारा आने में लगभग 30 वर्ष का समय लग जाता है. फिलहाल शनि मीन राशि में संरक्षण कर रहे हैं और इसी राशि में 13 जुलाई को वक्री भी हो जाएंगे और 138 दिनों तक वक्री रहेंगे. वक्री अवस्था में शनि का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग तरह से पड़ेगा.

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, जब शनि मीन राशि में वक्री (Shani Vakri) होंगे तब एक शक्तिशाली और दुर्लभ योग का निर्माण होगा, जिसे केंद्र त्रिकोण राजयोग (Kendra Trikona Rajyog) कहा जाता है. इस योग का प्रभाव कुछ राशियों पर बेहद शुभ पड़ेगा. इससे अचानक धन का लाभ, भाग्य वृद्धि, मान सम्मान में वृद्धि और करियर-व्यापार में सफलता की योग बनने लगेंगे. खासकर जिन लोगों की कुंडली में शनि की स्थिति शुभ होती है, उन्हें इस योग का विशेष लाभ मिलेगा. आइए जानते हैं कैसे बनता है केंद्र त्रिकोण राजयोग और किन राशियों को मिलेगा इसका लाभ.

कैसे बनता है केंद्र त्रिकोण राजयोग

ज्योतिष की माने तो जब कुंडली में केंद्र भाव (पहला, चौथा, सातवां और दसवां) और त्रिकोण भाव (पहला, पांचवा और नवम) भाव के स्वामी आपस में मिलते हैं तो उसे केंद्र त्रिकोण राजयोग कहा जाता है. वैसे तो यह योग अपने आप में ही शुभ होता है. लेकिन सावन महीने में इस योग का बनना और भी प्रभावशाली और शुभ फलदायी हो जाता है. यह योग जीवन में धन, सफलता, प्रतिष्ठा और समृद्धि दिलाता है.

किन राशियों को मिलेगा केंद्र त्रिकोण राजयोग का लाभ

वृश्चिक राशि (Scorpio): 13 जुलाई को शनि मीन राशि में वक्री होकर आपकी राशि के पंचम भाव में रहेंगे. यह भाव शिक्षा, संतान, प्रेम और कलात्मकता से जुड़ा होता है. वहीं शनि तीसरे और चौथे भाव के स्वामी होकर आपकी राशि में केंद्र त्रिकोण राजयोग भी बना रहे हैं. इस योग के प्रभाव से शिक्षा क्षेत्र में सफलता मिलने के चांस है. व्यापार में भी लाभ की स्थिति रहेगी. आपके द्वारा किए गए प्रयासों का लाभ मिलेगा और रुके हुए कार्यों में गति आएगी.

धनु राशि (Sagittarius): शनि वक्री होकर आपकी राशि के चौथे भाव में रहेंगे. यह भाव सुख-संपत्ति, वाहन, मकान और पारिवारिक जीवन से जुड़ा होता है. शनि के केंद्र त्रिकोण राजयोग से आपके जीवन में शांति बनी रहेगी और शनि ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों में भी कमी आएगी. साथ ही इस अवधि में घर-मकान, फ्लैट या प्रॉपर्टी आदि लेने की योजना भी सफल हो सकती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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