Kavach 4.0: इंडियन रेलवे का हाईटेक सिक्योरिटी सिस्टम, कोहरे और लो विजिबिलिटी में रूक जाएगी ट्रेन!, इस रूट पर लग गया 'कवच 4.0'

भारतीय रेलवे ने ट्रेन सुरक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए देश के सबसे व्यस्तम रूट पर कवच 4.0 स्थापित किया है. ये दिल्ली-मुंबई ट्रेन मार्ग के मथुरा-कोटा रेल सेक्शन पर स्थापित किया गया है.  पूरी तरह से स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम ‘कवच 4.0' देश में रेल सुरक्षा प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होने वाला है, साथ ही देश में रेलवे ऑपरेशन के आधुनिकरण का भी उदाहरण है. भारतीय रेलवे का प्लान है कि अगले 6 सालों में पूरे देश के रेलवे रूट पर ‘कवच 4.0’ को लागू कर दिया जाएगा. क्या है 'कवच 4.0'?‘कवच’ दरअसल एक उच्च तकनीकी स्वदेशी ट्रेन का सिक्योरिटी सिस्टम, जो ट्रेनों की स्पीड पर निगरानी रखते हुए संभावित एक्सीडेंट को रोकने में कारगर है. कवच 4.0, सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल-4 (SIL-4) मानकों पर आधारित है, जो किसी भी सिक्योरिटी सिस्टम का सबसे ऊंचा स्तर होता है. कवच सिक्योरिटी सिस्टम का डेवलपमेंट साल 2015 में शुरू हुआ था और तीन सालों के परीक्षण के बाद इसे 2018 में साउथ सेंट्रल रेलवे (SCR) में पहली बार लागू किया गया था और अब इसी का एडवांस्ड मॉडल ‘कवच 4.0’ विकसित किया गया है, जिसे इसी साल मई में 160 किमी/घंटा की गति के लिए मंजूरी प्राप्त हुई थी. क्या है कवच 4. 0 की खासियत?यह लोको पायलटों को ब्रेक लगाने में मदद करेगा खासकर कोहरे जैसी लो विजिबिलिटी वाली स्थिति में. इसके अलावा इसमें सिग्नलिंग से जुड़ी सभी इनफॉर्मेशन डैशबोर्ड पर ही दिख रही होती है, यानी सिग्नल देखने के लिए बाहर देखने की जरूरत नहीं है. कवच 4.0 की बड़ी खासियत ये भी है कि इसमें इमरजेंसी स्थिति में खुद ही ब्रेकिंग की सुविधा भी है और इस सिक्योरिटी सिस्टम में लगे सभी उपकरण पूरी तरह से स्वदेशी हैं. किसी टेलीकॉम कंपनी के नेटवर्क की तरह कवच 4.0 को कमीशन किया गया है और इसका ढांचा तो बहुत जटिल है, लेकिन इसका सिक्योरिटी सिस्टम बहुत सशक्त है. हर 1 किलोमीटर पर और सिग्नल पॉइंट पर RFID टैग्स लगाए गए हैं. ऑप्टिकल फाइबर और पावर सप्लाई के साथ टेलीकॉम टावर्स लगाए गए हैं. इसके अलावा लोको कवच जो ब्रेकिंग सिस्टम से जुड़ा होता है और स्टेशन कवच जो गति और सुरक्षा नियंत्रण दोनों देता है. साथ ही हाई-स्पीड डेटा ट्रांसमिशन के लिए OFC नेटवर्क की सुविधा है और यह पूरी प्रणाली बिना रेल संचालन को रोके यात्रियों और माल गाड़ियों की नियमित आवाजाही के बीच स्थापित की जाती है. आपको बता दें कि इस नए सिक्योरिटी सिस्टम के तहत 5,856 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाई गई है. 619 टेलीकॉम टावर स्थापित किए गए हैं. 708 स्टेशनों और 1,107 लोकोमोटिव पर कवच स्थापित किया जा चुका है. कवच 4.0 पर केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह प्रणाली प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण से प्रेरित होकर पूरी तरह स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित की गई है. रेल मंत्री ने इसे भारतीय इंजीनियरिंग कौशल और तकनीकी नवाचार की एक बड़ी सफलता बताया है.  ये भी पढ़ें Trump Tariff On India: 25 फीसदी टैरिफ के ऐलान के तुरंत बाद बोले ट्रंप- 'अभी भारत से बातचीत कर रहे हैं...'

Jul 31, 2025 - 10:30
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Kavach 4.0: इंडियन रेलवे का हाईटेक सिक्योरिटी सिस्टम, कोहरे और लो विजिबिलिटी में रूक जाएगी ट्रेन!, इस रूट पर लग गया 'कवच 4.0'

भारतीय रेलवे ने ट्रेन सुरक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए देश के सबसे व्यस्तम रूट पर कवच 4.0 स्थापित किया है. ये दिल्ली-मुंबई ट्रेन मार्ग के मथुरा-कोटा रेल सेक्शन पर स्थापित किया गया है. 

पूरी तरह से स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम ‘कवच 4.0' देश में रेल सुरक्षा प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होने वाला है, साथ ही देश में रेलवे ऑपरेशन के आधुनिकरण का भी उदाहरण है. भारतीय रेलवे का प्लान है कि अगले 6 सालों में पूरे देश के रेलवे रूट पर ‘कवच 4.0’ को लागू कर दिया जाएगा.

क्या है 'कवच 4.0'?
‘कवच’ दरअसल एक उच्च तकनीकी स्वदेशी ट्रेन का सिक्योरिटी सिस्टम, जो ट्रेनों की स्पीड पर निगरानी रखते हुए संभावित एक्सीडेंट को रोकने में कारगर है. कवच 4.0, सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल-4 (SIL-4) मानकों पर आधारित है, जो किसी भी सिक्योरिटी सिस्टम का सबसे ऊंचा स्तर होता है.

कवच सिक्योरिटी सिस्टम का डेवलपमेंट साल 2015 में शुरू हुआ था और तीन सालों के परीक्षण के बाद इसे 2018 में साउथ सेंट्रल रेलवे (SCR) में पहली बार लागू किया गया था और अब इसी का एडवांस्ड मॉडल ‘कवच 4.0’ विकसित किया गया है, जिसे इसी साल मई में 160 किमी/घंटा की गति के लिए मंजूरी प्राप्त हुई थी.

क्या है कवच 4. 0 की खासियत?
यह लोको पायलटों को ब्रेक लगाने में मदद करेगा खासकर कोहरे जैसी लो विजिबिलिटी वाली स्थिति में. इसके अलावा इसमें सिग्नलिंग से जुड़ी सभी इनफॉर्मेशन डैशबोर्ड पर ही दिख रही होती है, यानी सिग्नल देखने के लिए बाहर देखने की जरूरत नहीं है. कवच 4.0 की बड़ी खासियत ये भी है कि इसमें इमरजेंसी स्थिति में खुद ही ब्रेकिंग की सुविधा भी है और इस सिक्योरिटी सिस्टम में लगे सभी उपकरण पूरी तरह से स्वदेशी हैं.

किसी टेलीकॉम कंपनी के नेटवर्क की तरह कवच 4.0 को कमीशन किया गया है और इसका ढांचा तो बहुत जटिल है, लेकिन इसका सिक्योरिटी सिस्टम बहुत सशक्त है. हर 1 किलोमीटर पर और सिग्नल पॉइंट पर RFID टैग्स लगाए गए हैं. ऑप्टिकल फाइबर और पावर सप्लाई के साथ टेलीकॉम टावर्स लगाए गए हैं. इसके अलावा लोको कवच जो ब्रेकिंग सिस्टम से जुड़ा होता है और स्टेशन कवच जो गति और सुरक्षा नियंत्रण दोनों देता है. साथ ही हाई-स्पीड डेटा ट्रांसमिशन के लिए OFC नेटवर्क की सुविधा है और यह पूरी प्रणाली बिना रेल संचालन को रोके यात्रियों और माल गाड़ियों की नियमित आवाजाही के बीच स्थापित की जाती है.

आपको बता दें कि इस नए सिक्योरिटी सिस्टम के तहत 5,856 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाई गई है. 619 टेलीकॉम टावर स्थापित किए गए हैं. 708 स्टेशनों और 1,107 लोकोमोटिव पर कवच स्थापित किया जा चुका है.

कवच 4.0 पर केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह प्रणाली प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण से प्रेरित होकर पूरी तरह स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित की गई है. रेल मंत्री ने इसे भारतीय इंजीनियरिंग कौशल और तकनीकी नवाचार की एक बड़ी सफलता बताया है. 

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