Indian Air Force: राफेल, F-15 या फिर Su-35... भारत अगले 2 महीने में 114 फाइटर जेट खरीदने का बनाएगा प्लान, किस पर लगाएगा दांव?
भारतीय एयरफोर्स अपने मिग-21 की विदाई करने जा रही है और ऐसे में फाइटर जेट की भारी कमी हो जाएगी, इसलिए IAF अगले 2 महीनों में सरकार से 114 मल्टी रोल फाइटर जेट (MRFA) खरीदने की मंजूरी चाहती है. बड़ा सवाल ये है कि आखिर इंडियन एयरफोर्स फ्रांस के राफेल पर ही दांव लगाएगी या फिर अमेरिका के F-15 और रूस के Su-35 पर भी दांव लगा सकती है. हम आपको दुनिया के 4.5वीं पीढ़ी के इन सबसे खतरनाक फाइटर जेट की खासियत बताते हैं. भारतीय वायुसेना (IAF) ने अपने 114 मल्टी रोल फाइटर जेट (MRFA) खरीद कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए प्रारंभिक सरकारी स्वीकृति (AoN) प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस डील की अनुमानित लागत 15 से 20 अरब डॉलर है. इसे मेक इन इंडिया ढांचे के तहत लागू किया जाएगा. फिलहाल IAF के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं जबकि सरकार ने दो मोर्चों पर संभावित संघर्ष को देखते हुए 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता बताई है. MiG-21 जैसे पुराने फाइटर जेट्स की रिटायरमेंट ने इस अंतर को और बढ़ा दिया है. डिफेंस सेक्टर में कैसे आत्मनिर्भर बनेगा भारत? MRFA कार्यक्रम केवल विमानों की खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मेक इन इंडिया पहल का अहम हिस्सा भी है. इसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ आधुनिक जेट लाना नहीं है, बल्कि तकनीकी हस्तांतरण, स्वदेशी निर्माण और भारत के रक्षा-औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना भी है.भारतीय कंपनियों को निर्माण और असेंबली प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा. इससे न केवल नए रोजगार सृजित होंगे बल्कि भारत लंबे समय तक फाइटर जेटों की मेंटेनेंस और अपग्रेडिंग में भी आत्मनिर्भर बन पाएगा. राफेल, F-15 या Su-35 कौन सा फाइटर जेट खरीदेगा भारत? इंडियन एयरफोर्स जो मल्टी रोल फाइटर जेट्स चाहती है, वो फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन, अमेरिका की बोइंग और लॉकहीड मार्टिन, स्वीडन की SAAB, यूरोप की यूरोफाइटर कंसोर्टियम और रूस के मिग और सुखोई बनाती हैं. डसॉल्ट एविएशन (फ्रांस) – राफेल (IAF के पास पहले से ही 36 राफेल फाइटर जेट हैं, जिससे इसका बड़ा फायदा है) बोइंग (अमेरिका) – F/A-18 सुपर हॉर्नेट और F-15EX ईगल II लॉकहीड मार्टिन (अमेरिका) – F-21 (विशेष रूप से भारत के लिए डिजाइन किया गया F-16 का एडवांस वर्जन) साब (स्वीडन) – ग्रिपेन E यूरोफाइटर कंसोर्टियम (यूके, जर्मनी, इटली, स्पेन) – टाइफून. रूस – मिग-35 और सु-35. IAF के पास भविष्य में कौन-कौन से होंगे फाइटर जेट्स? MRFA विमान भारतीय वायुसेना के मौजूदा सुखोई-30MKI, मिराज 2000, LCA तेजस और राफेल के साथ मिलकर एक बहु-भूमिका सक्षम एयर फ्लीट तैयार करेंगे. ये विमान न केवल हवाई श्रेष्ठता सुनिश्चित करेंगे बल्कि ज़मीनी हमलों, टोही मिशनों और आधुनिक युद्धक रणनीतियों में भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे. अनुमान है कि 2028 तक इस डील पर हस्ताक्षर हो जाएंगे और इसके तीन से चार साल बाद विमानों की डिलीवरी शुरू होगी. आने वाले समय में इन विमानों की तैनाती से भारत की युद्धक क्षमता और भी मजबूत होगी. ये भी पढ़ें: 1300 KM, 16 दिन और 25 जिले... राहुल गांधी बिहार में आज से निकालेंगे 'वोटर अधिकार यात्रा', सासाराम से शुरुआत; तेजस्वी भी होंगे साथ

भारतीय एयरफोर्स अपने मिग-21 की विदाई करने जा रही है और ऐसे में फाइटर जेट की भारी कमी हो जाएगी, इसलिए IAF अगले 2 महीनों में सरकार से 114 मल्टी रोल फाइटर जेट (MRFA) खरीदने की मंजूरी चाहती है. बड़ा सवाल ये है कि आखिर इंडियन एयरफोर्स फ्रांस के राफेल पर ही दांव लगाएगी या फिर अमेरिका के F-15 और रूस के Su-35 पर भी दांव लगा सकती है. हम आपको दुनिया के 4.5वीं पीढ़ी के इन सबसे खतरनाक फाइटर जेट की खासियत बताते हैं.
भारतीय वायुसेना (IAF) ने अपने 114 मल्टी रोल फाइटर जेट (MRFA) खरीद कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए प्रारंभिक सरकारी स्वीकृति (AoN) प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस डील की अनुमानित लागत 15 से 20 अरब डॉलर है. इसे मेक इन इंडिया ढांचे के तहत लागू किया जाएगा. फिलहाल IAF के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं जबकि सरकार ने दो मोर्चों पर संभावित संघर्ष को देखते हुए 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता बताई है. MiG-21 जैसे पुराने फाइटर जेट्स की रिटायरमेंट ने इस अंतर को और बढ़ा दिया है.
डिफेंस सेक्टर में कैसे आत्मनिर्भर बनेगा भारत?
MRFA कार्यक्रम केवल विमानों की खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मेक इन इंडिया पहल का अहम हिस्सा भी है. इसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ आधुनिक जेट लाना नहीं है, बल्कि तकनीकी हस्तांतरण, स्वदेशी निर्माण और भारत के रक्षा-औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना भी है.भारतीय कंपनियों को निर्माण और असेंबली प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा. इससे न केवल नए रोजगार सृजित होंगे बल्कि भारत लंबे समय तक फाइटर जेटों की मेंटेनेंस और अपग्रेडिंग में भी आत्मनिर्भर बन पाएगा.
राफेल, F-15 या Su-35 कौन सा फाइटर जेट खरीदेगा भारत?
इंडियन एयरफोर्स जो मल्टी रोल फाइटर जेट्स चाहती है, वो फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन, अमेरिका की बोइंग और लॉकहीड मार्टिन, स्वीडन की SAAB, यूरोप की यूरोफाइटर कंसोर्टियम और रूस के मिग और सुखोई बनाती हैं.
- डसॉल्ट एविएशन (फ्रांस) – राफेल (IAF के पास पहले से ही 36 राफेल फाइटर जेट हैं, जिससे इसका बड़ा फायदा है)
- बोइंग (अमेरिका) – F/A-18 सुपर हॉर्नेट और F-15EX ईगल II
- लॉकहीड मार्टिन (अमेरिका) – F-21 (विशेष रूप से भारत के लिए डिजाइन किया गया F-16 का एडवांस वर्जन)
- साब (स्वीडन) – ग्रिपेन E
- यूरोफाइटर कंसोर्टियम (यूके, जर्मनी, इटली, स्पेन) – टाइफून.
- रूस – मिग-35 और सु-35.
IAF के पास भविष्य में कौन-कौन से होंगे फाइटर जेट्स?
MRFA विमान भारतीय वायुसेना के मौजूदा सुखोई-30MKI, मिराज 2000, LCA तेजस और राफेल के साथ मिलकर एक बहु-भूमिका सक्षम एयर फ्लीट तैयार करेंगे. ये विमान न केवल हवाई श्रेष्ठता सुनिश्चित करेंगे बल्कि ज़मीनी हमलों, टोही मिशनों और आधुनिक युद्धक रणनीतियों में भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे. अनुमान है कि 2028 तक इस डील पर हस्ताक्षर हो जाएंगे और इसके तीन से चार साल बाद विमानों की डिलीवरी शुरू होगी. आने वाले समय में इन विमानों की तैनाती से भारत की युद्धक क्षमता और भी मजबूत होगी.
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