Grahan 2025: चंद्र और सूर्य ग्रहण में क्या अंतर है, धार्मिक दृष्टिकोण से समझें अंतर
हर साल ग्रहण लगते हैं, जिसमें चंद्र और सूर्य ग्रहण होते हैं. इस साल का अगला ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगने वाला है, जोकि सूर्य ग्रहण होगा. ग्रहण लगने को एक खगोलीय घटना माना जाता है. वहीं धार्मिक लिहाज से इसे अशुभ माना जाता है. सूर्य और चंद्र ग्रहण के बारे में सभी ने जरूर सुना होगा, लेकिन बहुत कम ही लोग दोनों ग्रहण के बीच के अंतर को भी जानते हैं. आइये जानते हैं आखिर सूर्य और चंद्र ग्रहण के बीच क्या अंतर है. सूर्य और चंद्र ग्रहण में अंतर (difference between solar and lunar eclipse) विज्ञान की नजर से सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) तब लगता है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता. वहीं चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) तब लगता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. चंद्र और सूर्य ग्रहण दोनों ही खगोलीय घटनाएं हैं, लेकिन हिंदू धर्म में ग्रहण का विशेष धार्मिक महत्व भी होता है. आइए धार्मिक दृष्टि से जानते हैं सूर्य और चंद्र ग्रहण के बीच क्या अंतर है सूर्य और चंद्र ग्रहण के बीच अंतर सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है. सूर्य ग्रहण में सूर्य चंद्रमा के कारण ढक जाता है तो वहीं चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है. सूर्य ग्रहण दिन में दिखाई देता है तो वहीं चंद्र ग्रहण की दृश्यता रात में होती है. सूर्य ग्रहण लगने से 12 पहले सूतक अवधि शुरू हो जाती है. वहीं चंद्र ग्रहण में सूतक 9 घंटे पहले लग जाता है. सूर्य और चंद्र ग्रहण में अंतर होने के साथ ही दोनों ग्रहण के नियम में कुछ समानताएं भी हैं. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ग्रहण के दौरान आज भी इन नियमों का पालन किया जाता है. जैसे- सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक लगते ही पूजा-पाठ निषेध मानी जाती है और मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. सूर्य और चंद्र ग्रहण की अवधि में शुभ कार्य करना वर्जित होता है. सूर्य और चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद घर पर गंगाजल छिड़का जाता है, स्नानादि के बाद पूजा-पाठ किया जाता है और दान करना आवश्यक माना जाता है. सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन खाना या पकाना वर्जित होता है. साथ ही गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. सूर्य और चंद्र ग्रहण को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि राहु-केतु ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्र को ग्रसते हैं. FAQs Q. क्या ग्रहण मे शुभ काम कर सकते हैं? A. नहीं, ग्रहण के समय शुभ काम करने से बचना चाहिए. Q. क्या ग्रहण के बाद स्नान करना जरूरी है? A. हां, ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए और घर पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. Q.क्या सूर्य और चंद्र के अलावा भी कोई गहण लगता है? A.नहीं, ग्रहण मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं सूर्य और चंद्र ग्रहण. ये भी पढ़ें: सूर्य और चंद्र ग्रहण: प्राचीन संस्कृतियों की हैरान कर देने वाली मान्यताएं! Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

हर साल ग्रहण लगते हैं, जिसमें चंद्र और सूर्य ग्रहण होते हैं. इस साल का अगला ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगने वाला है, जोकि सूर्य ग्रहण होगा. ग्रहण लगने को एक खगोलीय घटना माना जाता है. वहीं धार्मिक लिहाज से इसे अशुभ माना जाता है. सूर्य और चंद्र ग्रहण के बारे में सभी ने जरूर सुना होगा, लेकिन बहुत कम ही लोग दोनों ग्रहण के बीच के अंतर को भी जानते हैं. आइये जानते हैं आखिर सूर्य और चंद्र ग्रहण के बीच क्या अंतर है.
सूर्य और चंद्र ग्रहण में अंतर (difference between solar and lunar eclipse)
विज्ञान की नजर से सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) तब लगता है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता. वहीं चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) तब लगता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है. चंद्र और सूर्य ग्रहण दोनों ही खगोलीय घटनाएं हैं, लेकिन हिंदू धर्म में ग्रहण का विशेष धार्मिक महत्व भी होता है. आइए धार्मिक दृष्टि से जानते हैं सूर्य और चंद्र ग्रहण के बीच क्या अंतर है
सूर्य और चंद्र ग्रहण के बीच अंतर
- सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है.
- सूर्य ग्रहण में सूर्य चंद्रमा के कारण ढक जाता है तो वहीं चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है.
- सूर्य ग्रहण दिन में दिखाई देता है तो वहीं चंद्र ग्रहण की दृश्यता रात में होती है.
- सूर्य ग्रहण लगने से 12 पहले सूतक अवधि शुरू हो जाती है. वहीं चंद्र ग्रहण में सूतक 9 घंटे पहले लग जाता है.
सूर्य और चंद्र ग्रहण में अंतर होने के साथ ही दोनों ग्रहण के नियम में कुछ समानताएं भी हैं. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ग्रहण के दौरान आज भी इन नियमों का पालन किया जाता है. जैसे-
- सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक लगते ही पूजा-पाठ निषेध मानी जाती है और मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं.
- सूर्य और चंद्र ग्रहण की अवधि में शुभ कार्य करना वर्जित होता है.
- सूर्य और चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद घर पर गंगाजल छिड़का जाता है, स्नानादि के बाद पूजा-पाठ किया जाता है और दान करना आवश्यक माना जाता है.
- सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन खाना या पकाना वर्जित होता है. साथ ही गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.
- सूर्य और चंद्र ग्रहण को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि राहु-केतु ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्र को ग्रसते हैं.
FAQs
Q. क्या ग्रहण मे शुभ काम कर सकते हैं?
A. नहीं, ग्रहण के समय शुभ काम करने से बचना चाहिए.
Q. क्या ग्रहण के बाद स्नान करना जरूरी है?
A. हां, ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए और घर पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए.
Q.क्या सूर्य और चंद्र के अलावा भी कोई गहण लगता है?
A.नहीं, ग्रहण मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं सूर्य और चंद्र ग्रहण.
ये भी पढ़ें: सूर्य और चंद्र ग्रहण: प्राचीन संस्कृतियों की हैरान कर देने वाली मान्यताएं!
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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