Grah: शक की समस्या आखिर क्यों होती है, वहम के लिए कौन से ग्रह होते हैं जिम्मेदार
Grah: शक एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति बिना किसी वास्तविक कारण के डर, शंका या भ्रम का अनुभव करता है.यह समस्या धीरे-धीरे मानसिक तनाव,अवसाद और सामाजिक अलगाव का कारण बन सकती है.आधुनिक मनोविज्ञान के साथ-साथ वैदिक ज्योतिष में भी वहम के कारणों और उपचारों का विश्लेषण किया गया है.आइए जानते हैं कि वहम क्यों होता है,इसके पीछे कौन से ग्रह जिम्मेदार होते हैं, और इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है. शक क्यों होता है मानसिक कारण: असंतुलित जीवनशैली, नशा, अत्यधिक चिंता या अवसाद. नींद की कमी और लगातार नकारात्मक विचार. अनियंत्रित कल्पनाशक्ति और बचपन के मानसिक आघात. आध्यात्मिक ज्योतिषीय कारण: कुंडली में कुछ ग्रहों की अशुभ स्थिति. राहु-केतु और चंद्रमा का विशेष प्रभाव. शनि और बुध का पीड़ित होना. पूर्व जन्म के कर्मों से जुड़े प्रभाव. शक के लिए जिम्मेदार ग्रह चंद्रमा: चंद्रमा को मन और भावनाओं का स्वामी माना जाता है. जब चंद्रमा नीच राशि में हो, शनि या राहु से दृष्ट हो, या द्वादश, अष्टम या षष्ठ भाव में स्थित हो, तो व्यक्ति को अत्यधिक भावनात्मक अस्थिरता, डर और वहम हो सकता है. ऐसे लोग अधिकतर कल्पनाओं में जीते हैं और वास्तविकता से कट जाते हैं. राहु: राहु भ्रम और माया का प्रतिनिधि है. जब यह चंद्रमा या बुध के साथ युति करता है या लग्न पर दृष्टि डालता है, तो व्यक्ति काल्पनिक डर, वहम और मानसिक विकृति से ग्रसित हो सकता है. राहु से प्रभावित लोग अक्सर छोटी-छोटी बातों को बड़ा बना लेते हैं. बुध: बुध बुद्धि और स्मृति का कारक है. जब यह पीड़ित होता है या राहु-केतु से ग्रस्त होता है, तो व्यक्ति की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है. यह स्थिति वहम और चिंता को जन्म देती है. शनि: शनि अगर चंद्रमा या बुध को प्रभावित करता है, तो व्यक्ति को अवसाद, डर और वहम की प्रवृत्तियाँ बढ़ जाती हैं. शनि का प्रभाव धीमा और गहरा होता है, जिससे समस्या लंबी चल सकती है. शक से बचने और मुक्ति के उपाय चंद्रमा को मजबूत करें: सोमवार को व्रत रखें. चंद्र मंत्र “ॐ सोम सोमाय नमः” का जाप करें. चांदी का कड़ा धारण करें. राहु और केतु का शांति उपाय: शनिवार को राहु के बीज मंत्र “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” का जाप करें. नारियल बहते जल में प्रवाहित करें. उड़द की दाल और काले तिल का दान करें. बुध को बलवान करें: बुधवार को हरे वस्त्र धारण करें. पन्ना रत्न ज्योतिषाचार्य की सलाह से पहनें. तुलसी का सेवन करें. नियमित पूजा-पाठ: प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करें. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप मन को शांति देता है. मानसिक स्थिरता के लिए ध्यान और योग अत्यंत लाभकारी हैं. सकारात्मक जीवनशैली अपनाएं: पर्याप्त नींद लें और दिनचर्या नियमित रखें. नकारात्मक संगति और विचारों से दूर रहें. साफ-सफाई और स्वच्छता से मानसिक ऊर्जा बनी रहती है. शक की समस्या मन, बुद्धि और आत्मा से जुड़ी एक जटिल स्थिति है. वैदिक ज्योतिष इस मानसिक विकार के पीछे ग्रहों की भूमिका को स्पष्ट रूप से दर्शाता है. चंद्रमा, राहु, बुध और शनि की विशेष स्थितियां इस समस्या को जन्म देती हैं. उचित उपायों, मंत्र-जाप, ध्यान, और जीवनशैली सुधार के माध्यम से इस पर नियंत्रण किया जा सकता है. ये भी पढ़ें: Shani ki Sade Sati: शनि की साढ़ साती का पहला चरण कैसा होता है, क्या ये सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है? Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Grah: शक एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति बिना किसी वास्तविक कारण के डर, शंका या भ्रम का अनुभव करता है.यह समस्या धीरे-धीरे मानसिक तनाव,अवसाद और सामाजिक अलगाव का कारण बन सकती है.आधुनिक मनोविज्ञान के साथ-साथ वैदिक ज्योतिष में भी वहम के कारणों और उपचारों का विश्लेषण किया गया है.आइए जानते हैं कि वहम क्यों होता है,इसके पीछे कौन से ग्रह जिम्मेदार होते हैं, और इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है.
शक क्यों होता है
- मानसिक कारण: असंतुलित जीवनशैली, नशा, अत्यधिक चिंता या अवसाद. नींद की कमी और लगातार नकारात्मक विचार. अनियंत्रित कल्पनाशक्ति और बचपन के मानसिक आघात.
- आध्यात्मिक ज्योतिषीय कारण: कुंडली में कुछ ग्रहों की अशुभ स्थिति. राहु-केतु और चंद्रमा का विशेष प्रभाव. शनि और बुध का पीड़ित होना. पूर्व जन्म के कर्मों से जुड़े प्रभाव.
शक के लिए जिम्मेदार ग्रह
- चंद्रमा: चंद्रमा को मन और भावनाओं का स्वामी माना जाता है. जब चंद्रमा नीच राशि में हो, शनि या राहु से दृष्ट हो, या द्वादश, अष्टम या षष्ठ भाव में स्थित हो, तो व्यक्ति को अत्यधिक भावनात्मक अस्थिरता, डर और वहम हो सकता है. ऐसे लोग अधिकतर कल्पनाओं में जीते हैं और वास्तविकता से कट जाते हैं.
- राहु: राहु भ्रम और माया का प्रतिनिधि है. जब यह चंद्रमा या बुध के साथ युति करता है या लग्न पर दृष्टि डालता है, तो व्यक्ति काल्पनिक डर, वहम और मानसिक विकृति से ग्रसित हो सकता है. राहु से प्रभावित लोग अक्सर छोटी-छोटी बातों को बड़ा बना लेते हैं.
- बुध: बुध बुद्धि और स्मृति का कारक है. जब यह पीड़ित होता है या राहु-केतु से ग्रस्त होता है, तो व्यक्ति की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है. यह स्थिति वहम और चिंता को जन्म देती है.
- शनि: शनि अगर चंद्रमा या बुध को प्रभावित करता है, तो व्यक्ति को अवसाद, डर और वहम की प्रवृत्तियाँ बढ़ जाती हैं. शनि का प्रभाव धीमा और गहरा होता है, जिससे समस्या लंबी चल सकती है.
शक से बचने और मुक्ति के उपाय
- चंद्रमा को मजबूत करें: सोमवार को व्रत रखें. चंद्र मंत्र “ॐ सोम सोमाय नमः” का जाप करें. चांदी का कड़ा धारण करें.
- राहु और केतु का शांति उपाय: शनिवार को राहु के बीज मंत्र “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” का जाप करें. नारियल बहते जल में प्रवाहित करें. उड़द की दाल और काले तिल का दान करें.
- बुध को बलवान करें: बुधवार को हरे वस्त्र धारण करें. पन्ना रत्न ज्योतिषाचार्य की सलाह से पहनें. तुलसी का सेवन करें.
- नियमित पूजा-पाठ: प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करें. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप मन को शांति देता है. मानसिक स्थिरता के लिए ध्यान और योग अत्यंत लाभकारी हैं.
- सकारात्मक जीवनशैली अपनाएं: पर्याप्त नींद लें और दिनचर्या नियमित रखें. नकारात्मक संगति और विचारों से दूर रहें. साफ-सफाई और स्वच्छता से मानसिक ऊर्जा बनी रहती है.
शक की समस्या मन, बुद्धि और आत्मा से जुड़ी एक जटिल स्थिति है. वैदिक ज्योतिष इस मानसिक विकार के पीछे ग्रहों की भूमिका को स्पष्ट रूप से दर्शाता है. चंद्रमा, राहु, बुध और शनि की विशेष स्थितियां इस समस्या को जन्म देती हैं. उचित उपायों, मंत्र-जाप, ध्यान, और जीवनशैली सुधार के माध्यम से इस पर नियंत्रण किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: Shani ki Sade Sati: शनि की साढ़ साती का पहला चरण कैसा होता है, क्या ये सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है?
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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