Explained: तांबा पर 50% और फार्मास्युटिक्स पर 200% ट्रंप के टैरिफ का भारत पर क्या होगा असर?
Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्युमिनियम पर भारी भरकम टैरिफ लगाने के बाद अब तांबा पर 50 फीसदी नए टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. उन्होंने ये भी चेतावनी दी है कि एक साल के बाद फार्मास्युटिकल्स पर टैरिफ की दरें बढ़ाकर 200 प्रतिशत तक की जा सकती है. इसके साथ ही ये भी साफ कर दिया है कि टैरिफ की समय-सीमा 1 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. उनके इस फैसले का दुनियाभर की इकोनॉमी पर सीधा असर होगा. ट्रंप का ये कदम नई दिल्ली के लिए भी खास मायने रखता है क्योंकि फार्मास्युटिकल्स के क्षेत्र में अमेरिका के लिए भारत एक बड़ा एक्सपोर्टर देश है. इसके साथ ही भारत तांबा का भी अमेरिका में एक बड़ा सप्लायर देश है. ट्रंप की वॉर्निंग अमेरिकी राष्ट्रपति ने ब्रिक्स देशों के समूह पर 10 प्रतिशत का एडिशनल टैरिफ लगाने का भी ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि ये कोई गंभीर समूह नहीं है. हालांकि, वे मानते हैं कि ब्रिक्स अमेरिकी डॉलर के सामने एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा भी कि अगर आप डॉलर को चुनौती देना चाहते हैं तो उसकी आपको टैरिफ के तौर पर कीमत चुकानी होगी. दरअसल, रिपब्लिकन के अमेरिकी सत्ता में वापसी के बाद से ही मेटल्स पर लगातार टैरिफ की दरें बढ़ाई जा रही हैं. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री होवाल्ड ल्यूटनिक ने सीएनबीसी के साथ बातचीत में कहा था कि जुलाई के आखिर में या फिर 1 अगस्त से नई दरें लागू हो सकती हैं. ट्रंप ने चेतावनी दी है कि वाशिंगटन जल्द ही फार्मास्युटिकल्स पर टैरिफ का ऐलान करेगा, दवा निर्माताओं को समय दिया जा सकेगा, ताकि वे अपने ऑपरेशंस को अमेरिका में लाकर शुरू कर सकें. भारत पर क्या असर अमेरिकी टैरिफ के भारत पर असर की बात करें तो फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के दौरान भारत ने दुनियाभर में 2 बिलियन डॉलर का तांबा और तांबे से बने प्रोडक्ट्स का निर्यात किया है. भारत ने 360 मिलियन डॉलर यानी कुल निर्यात का 17 फीसदी अमेरिका को भेजा है. व्यापारिक आंकड़ों के मुताबिक, सऊदी अरब में भारत कुल तांबे का 26 प्रतिशत और उसके बाद चीन में 18 प्रतिशत तांबा एक्सपोर्ट करता है, जबकि तीसरे नंबर पर अमेरिका है, जहां पर कुल निर्यात का 17 फीसदी एक्सपोर्ट किया जाता है. तांबे का इस्तेमाल एनर्जी और मैन्युफैक्चरिंग से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर तक में इस्तेमाल किया जाता है. जहां टैरिफ बढ़ने से भारत के लिए चुनौती है वहीं, अमेरिका के लिए भी मुश्किलें हैं. अगर नए टैरिफ की वजह से अमेरिका में तांबे की मांग कम हुई तो इसका सीधा असर वहां के घरेलू उद्योगों पर भी पड़ेगा. अमेरिकी टैरिफ से सबसे ज्यादा चोट भारत के फार्मास्युटिकल्स सेक्टर को पड़ेगी. अमेरिका फार्मा के लिए भारत का बड़ा बाजार है, जहां पर वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 9.8 बिलियन डॉलर की सप्लाई की गई थी. ये एक साल पहले की तुलना में 0.7 बिलियन डॉलर ज्यादा है. यानी पिछले साल भारत के कुल फार्मा का करीब 40 प्रतिशत अमेरिका में एक्सपोर्ट किया गया. ऐसे में अमेरिका की तरफ से फार्मा सेक्टर पर 200 प्रतिशत टैरिफ लगने से वहां सप्लाई की जा रही उन दवाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है, जो वहां पर सस्ती मिल रही हैं. ये भी पढ़ें: भारत के मुकाबले दुबई में कितना सस्ता मिल रहा सोना, जानें वहां से लाने का क्या है नियम

Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्युमिनियम पर भारी भरकम टैरिफ लगाने के बाद अब तांबा पर 50 फीसदी नए टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. उन्होंने ये भी चेतावनी दी है कि एक साल के बाद फार्मास्युटिकल्स पर टैरिफ की दरें बढ़ाकर 200 प्रतिशत तक की जा सकती है. इसके साथ ही ये भी साफ कर दिया है कि टैरिफ की समय-सीमा 1 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. उनके इस फैसले का दुनियाभर की इकोनॉमी पर सीधा असर होगा.
ट्रंप का ये कदम नई दिल्ली के लिए भी खास मायने रखता है क्योंकि फार्मास्युटिकल्स के क्षेत्र में अमेरिका के लिए भारत एक बड़ा एक्सपोर्टर देश है. इसके साथ ही भारत तांबा का भी अमेरिका में एक बड़ा सप्लायर देश है.
ट्रंप की वॉर्निंग
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ब्रिक्स देशों के समूह पर 10 प्रतिशत का एडिशनल टैरिफ लगाने का भी ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि ये कोई गंभीर समूह नहीं है. हालांकि, वे मानते हैं कि ब्रिक्स अमेरिकी डॉलर के सामने एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा भी कि अगर आप डॉलर को चुनौती देना चाहते हैं तो उसकी आपको टैरिफ के तौर पर कीमत चुकानी होगी.
दरअसल, रिपब्लिकन के अमेरिकी सत्ता में वापसी के बाद से ही मेटल्स पर लगातार टैरिफ की दरें बढ़ाई जा रही हैं. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री होवाल्ड ल्यूटनिक ने सीएनबीसी के साथ बातचीत में कहा था कि जुलाई के आखिर में या फिर 1 अगस्त से नई दरें लागू हो सकती हैं. ट्रंप ने चेतावनी दी है कि वाशिंगटन जल्द ही फार्मास्युटिकल्स पर टैरिफ का ऐलान करेगा, दवा निर्माताओं को समय दिया जा सकेगा, ताकि वे अपने ऑपरेशंस को अमेरिका में लाकर शुरू कर सकें.
भारत पर क्या असर
अमेरिकी टैरिफ के भारत पर असर की बात करें तो फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के दौरान भारत ने दुनियाभर में 2 बिलियन डॉलर का तांबा और तांबे से बने प्रोडक्ट्स का निर्यात किया है. भारत ने 360 मिलियन डॉलर यानी कुल निर्यात का 17 फीसदी अमेरिका को भेजा है.
व्यापारिक आंकड़ों के मुताबिक, सऊदी अरब में भारत कुल तांबे का 26 प्रतिशत और उसके बाद चीन में 18 प्रतिशत तांबा एक्सपोर्ट करता है, जबकि तीसरे नंबर पर अमेरिका है, जहां पर कुल निर्यात का 17 फीसदी एक्सपोर्ट किया जाता है. तांबे का इस्तेमाल एनर्जी और मैन्युफैक्चरिंग से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर तक में इस्तेमाल किया जाता है. जहां टैरिफ बढ़ने से भारत के लिए चुनौती है वहीं, अमेरिका के लिए भी मुश्किलें हैं. अगर नए टैरिफ की वजह से अमेरिका में तांबे की मांग कम हुई तो इसका सीधा असर वहां के घरेलू उद्योगों पर भी पड़ेगा.
अमेरिकी टैरिफ से सबसे ज्यादा चोट भारत के फार्मास्युटिकल्स सेक्टर को पड़ेगी. अमेरिका फार्मा के लिए भारत का बड़ा बाजार है, जहां पर वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 9.8 बिलियन डॉलर की सप्लाई की गई थी. ये एक साल पहले की तुलना में 0.7 बिलियन डॉलर ज्यादा है. यानी पिछले साल भारत के कुल फार्मा का करीब 40 प्रतिशत अमेरिका में एक्सपोर्ट किया गया. ऐसे में अमेरिका की तरफ से फार्मा सेक्टर पर 200 प्रतिशत टैरिफ लगने से वहां सप्लाई की जा रही उन दवाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है, जो वहां पर सस्ती मिल रही हैं.
ये भी पढ़ें: भारत के मुकाबले दुबई में कितना सस्ता मिल रहा सोना, जानें वहां से लाने का क्या है नियम
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