Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी पर शालिग्राम जी की पूजा कैसे करें, जानें नियम

Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां 4 माह के लिए निवास करते हैं. इन चार माहों को चातुर्मास कहा गया है जो देवउठनी एकादशी पर समाप्त होता है. देवशयनी एकादशी 6 जुलाई 2025 को है. चूंकि एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है ऐसे में इस दिन श्रीकृष्ण के अलावा शालिग्राम रूप में भी विष्णु जी की पूजा का महत्व होता है, क्योंकि देवशउठनी एकादशी के दिन जब भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं तो माता तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह संपन्न कराया जाता है. विधि विधान से उनका पूजन होता है. आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी पर शालिग्राम जी की पूजा कैसे करें, क्या है नियम. कैसे करें देवशयनी एकादशी पर शालिग्राम जी की पूजा देवशयनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. सूर्य देव को जल चढ़ाएं फिर  भगवान विष्णु के समक्ष व्रत और पूजा संकल्प लें. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कर उसे साफ करें, पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं.शालिग्राम जी को उसपर स्थापित करें. शालिग्राम जी का पंचामृत से अभिषेक करें. फिर शुद्ध जल और गंगाजल अर्पित करें. शालिग्राम जी को पीले वस्त्र पहनाकर उनका चंदन और आभूषणों से शृंगार करें. रोली, मौली, हल्दी, गुलाल, अबीर, फूल, फल, धूप, दीप, कपूर, और नैवेद्य आदि पूजन में शामिल करें. केला, पंचमेवा, पंजीरी, पंचामृत में से किसी भी व्यंजन का भोग जरूर लगाएं, इसमें तुलसी दल जरुर डालें. ओम नमो नारायणाए मंत्र का जाप करें. देवशयनी एकादशी की कथा पढ़ें और आरती के बाद पूजा में हुई गलतियों के क्षमायाचना करें. देवशयनी एकादशी की पूजा के बाद सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम। विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम। इस मंत्र को बोलते हुए उन्हें शयन कराएं. इस दिन ब्राह्मण और जरुरतमंदों को दान जरुर दें. अगले दिन व्रत का पारण करें. इन नियमों का ध्यान रखें शालिग्राम महाराज पर कभी भी अक्षत नहीं चढ़ाने चाहिए. शास्त्रों में इसकी मनाही है, लेकिन अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो चावल को हल्दी से पीला रंग से रंगने के बाद ही अर्पित करें. तुलसी के बिना शालिग्राम जी का पूजन अधूरा है. जिन घरों में शालिग्राम जी की पूजा होती है वहां तामिसक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए, इससे दोष लगता है. घर में सिर्फ़ एक ही शालीग्राम की शिला होनी चाहिए. एकादशी पर शालिग्राम जी की पूजा लाभ मनुष्य के सारे रोग और संताप नष्ट हो जाते हैं और वो सुख समृद्धि प्राप्त करता है. घर परिवार में अशांति और कलह दूर होती है. कहते हैं जहां भगवान शालिग्राम की पूजा होती है, वहां श्री हरि विष्णु जी के साथ-साथ महालक्ष्मी भी निवास करती हैं. Sawan 2025: सावन में शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं ? खड़े या बैठकर Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Jun 25, 2025 - 14:30
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Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी पर शालिग्राम जी की पूजा कैसे करें, जानें नियम

Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां 4 माह के लिए निवास करते हैं. इन चार माहों को चातुर्मास कहा गया है जो देवउठनी एकादशी पर समाप्त होता है. देवशयनी एकादशी 6 जुलाई 2025 को है.

चूंकि एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है ऐसे में इस दिन श्रीकृष्ण के अलावा शालिग्राम रूप में भी विष्णु जी की पूजा का महत्व होता है, क्योंकि देवशउठनी एकादशी के दिन जब भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं तो माता तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह संपन्न कराया जाता है. विधि विधान से उनका पूजन होता है. आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी पर शालिग्राम जी की पूजा कैसे करें, क्या है नियम.

कैसे करें देवशयनी एकादशी पर शालिग्राम जी की पूजा

  • देवशयनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. सूर्य देव को जल चढ़ाएं फिर  भगवान विष्णु के समक्ष व्रत और पूजा संकल्प लें.
  • पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कर उसे साफ करें, पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं.शालिग्राम जी को उसपर स्थापित करें.
  • शालिग्राम जी का पंचामृत से अभिषेक करें. फिर शुद्ध जल और गंगाजल अर्पित करें. शालिग्राम जी को पीले वस्त्र पहनाकर उनका चंदन और आभूषणों से शृंगार करें. रोली, मौली, हल्दी, गुलाल, अबीर, फूल, फल, धूप, दीप, कपूर, और नैवेद्य आदि पूजन में शामिल करें.
  • केला, पंचमेवा, पंजीरी, पंचामृत में से किसी भी व्यंजन का भोग जरूर लगाएं, इसमें तुलसी दल जरुर डालें.
  • ओम नमो नारायणाए मंत्र का जाप करें. देवशयनी एकादशी की कथा पढ़ें और आरती के बाद पूजा में हुई गलतियों के क्षमायाचना करें.
  • देवशयनी एकादशी की पूजा के बाद सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम। विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम। इस मंत्र को बोलते हुए उन्हें शयन कराएं.
  • इस दिन ब्राह्मण और जरुरतमंदों को दान जरुर दें. अगले दिन व्रत का पारण करें.

इन नियमों का ध्यान रखें

  • शालिग्राम महाराज पर कभी भी अक्षत नहीं चढ़ाने चाहिए. शास्त्रों में इसकी मनाही है, लेकिन अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो चावल को हल्दी से पीला रंग से रंगने के बाद ही अर्पित करें.
  • तुलसी के बिना शालिग्राम जी का पूजन अधूरा है.
  • जिन घरों में शालिग्राम जी की पूजा होती है वहां तामिसक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए, इससे दोष लगता है.
  • घर में सिर्फ़ एक ही शालीग्राम की शिला होनी चाहिए.

एकादशी पर शालिग्राम जी की पूजा लाभ

  • मनुष्य के सारे रोग और संताप नष्ट हो जाते हैं और वो सुख समृद्धि प्राप्त करता है.
  • घर परिवार में अशांति और कलह दूर होती है.
  • कहते हैं जहां भगवान शालिग्राम की पूजा होती है, वहां श्री हरि विष्णु जी के साथ-साथ महालक्ष्मी भी निवास करती हैं.

Sawan 2025: सावन में शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं ? खड़े या बैठकर

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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