Dahi Handi 2025: संगठन, उत्साह और समर्पण से लक्ष्य प्राप्ति का संदेश देता है दही हांडी का उत्सव

हिंदू धर्म में कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं. हर पर्व न सिर्फ धार्मिक उत्साह से जुड़ा होता है बल्कि ये पर्व त्योहार जीवन के लिए महत्वपूर्ण प्रेरणा भी देते हैं. इन्हीं में एक है ‘दही हांडी’ का पर्व, जिसे जन्माष्टमी के दूसरे दिन मनाया जाता है. भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 16 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है और रविवार, 17 अगस्त 2025 दही हांडी का उत्सव भी धूमधाम से मनाया जाएगा. दही हांडी के पर्व में गोविंदा की टोली एकजुट होकर माखन से भरे मटकी को फोड़ती है. दही हांडी का उत्सव कृष्ण की अनेक बाल लीलाओं में एक है, जोकि कान्हा के बाल्यकाल का जीवंत स्मरण भी है. साथ ही यह पर्व संगठन, उत्साह, समर्पण और धैर्य के महत्व को भी दर्शाती है. खासकर महाराष्ट्र में दही हांडी की विशेष धूम देखने को मिलती है. कृष्ण की नटखट लीलाओं की याद दिलाता है ‘दही हांडी’ धार्मिक मान्यता है कि बाल्यकाल में कान्हा अपने सखाओं के साथ मिलाकर ऊंची-ऊंची लटकी हुई हांडिया फोड़कर माखन चुराया करते थे, क्योंकि उन्हें माखन बहुत पंसद था. इसलिए कई नामों में उनका एक नाम ‘माखनचोर’ भी पड़ा. दही हांडी का उत्सव कान्हा की इन्हीं नटखट लीलाओं की याद दिलाता है. इस दिन गोविंदा पथक मानव पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर बंधी हुई हांडी को फोड़ते हैं. इस दौरान चारों तरफ भक्ति, संगीत और उल्लास का माहौल रहता है. दही हांडी- संगठन, उत्साह और समर्पण का प्रतीक संगठन- दही हांडी के दौरान गोपाला एकजुट होकर मानव पिरामिड बनाते हैं और ऊंची लटकी हुई हांडी को फोड़ते हैं. सभी गोपाला नीचे से लेकर ऊपर तक सहयोगी का पूरा सहयोग देते हैं. यह इस बात की सीख देता है कि, एकजुट या संगिठत होकर बड़ी से बड़ी समस्या को पार कर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. संगठिक रहकर किया गया सामूहिक प्रयास ही सफलता की कुंजी है. उत्साह- दही हांडी केवल पर्व या प्रतियोगिता मात्र नहीं है, बल्कि यह उत्साह का भी प्रतीक है. सभी गोपाला के लिए जब भीड़ में लोगों का उत्साहवर्धन, तालियां बजाना और संगीत प्रतिभागियों को नई ऊर्जा भी प्रदान करता है. जोकि यह संदेश भी देता है कि यदि सकारात्मकता और पूरे जोश के साथ किसी भी कठिनाई का सामना किया जाए मंजिल तक पहुंचना आसान हो जाता है. समर्पण और धैर्य- जब दही हांडी का आयोजन किया जाता है तो इस प्रतियोगिता में गोपाला प्रथम प्रयास में ही सफल नहीं हो जाते, बल्कि वे बार-बार पिरामिड तैयार कर फिर से मटकी फोड़ने का निरंतर प्रयास करते हैं और आखिर में मटकी तक पहुंच जाते हैं. दही हांडी फोड़ने में बार-बार आई असफलताओं के बावजूद निरतंर प्रयास करना यह सीख देता है कि धैर्य और समर्पण भाव से कुछ भी असंभव नहीं. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Aug 16, 2025 - 14:30
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Dahi Handi 2025: संगठन, उत्साह और समर्पण से लक्ष्य प्राप्ति का संदेश देता है दही हांडी का उत्सव

हिंदू धर्म में कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं. हर पर्व न सिर्फ धार्मिक उत्साह से जुड़ा होता है बल्कि ये पर्व त्योहार जीवन के लिए महत्वपूर्ण प्रेरणा भी देते हैं. इन्हीं में एक है ‘दही हांडी’ का पर्व, जिसे जन्माष्टमी के दूसरे दिन मनाया जाता है. भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 16 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है और रविवार, 17 अगस्त 2025 दही हांडी का उत्सव भी धूमधाम से मनाया जाएगा.

दही हांडी के पर्व में गोविंदा की टोली एकजुट होकर माखन से भरे मटकी को फोड़ती है. दही हांडी का उत्सव कृष्ण की अनेक बाल लीलाओं में एक है, जोकि कान्हा के बाल्यकाल का जीवंत स्मरण भी है. साथ ही यह पर्व संगठन, उत्साह, समर्पण और धैर्य के महत्व को भी दर्शाती है. खासकर महाराष्ट्र में दही हांडी की विशेष धूम देखने को मिलती है.

कृष्ण की नटखट लीलाओं की याद दिलाता है ‘दही हांडी’

धार्मिक मान्यता है कि बाल्यकाल में कान्हा अपने सखाओं के साथ मिलाकर ऊंची-ऊंची लटकी हुई हांडिया फोड़कर माखन चुराया करते थे, क्योंकि उन्हें माखन बहुत पंसद था. इसलिए कई नामों में उनका एक नाम ‘माखनचोर’ भी पड़ा. दही हांडी का उत्सव कान्हा की इन्हीं नटखट लीलाओं की याद दिलाता है. इस दिन गोविंदा पथक मानव पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर बंधी हुई हांडी को फोड़ते हैं. इस दौरान चारों तरफ भक्ति, संगीत और उल्लास का माहौल रहता है.

दही हांडी- संगठन, उत्साह और समर्पण का प्रतीक

संगठन- दही हांडी के दौरान गोपाला एकजुट होकर मानव पिरामिड बनाते हैं और ऊंची लटकी हुई हांडी को फोड़ते हैं. सभी गोपाला नीचे से लेकर ऊपर तक सहयोगी का पूरा सहयोग देते हैं. यह इस बात की सीख देता है कि, एकजुट या संगिठत होकर बड़ी से बड़ी समस्या को पार कर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. संगठिक रहकर किया गया सामूहिक प्रयास ही सफलता की कुंजी है.

उत्साह- दही हांडी केवल पर्व या प्रतियोगिता मात्र नहीं है, बल्कि यह उत्साह का भी प्रतीक है. सभी गोपाला के लिए जब भीड़ में लोगों का उत्साहवर्धन, तालियां बजाना और संगीत प्रतिभागियों को नई ऊर्जा भी प्रदान करता है. जोकि यह संदेश भी देता है कि यदि सकारात्मकता और पूरे जोश के साथ किसी भी कठिनाई का सामना किया जाए मंजिल तक पहुंचना आसान हो जाता है.

समर्पण और धैर्य- जब दही हांडी का आयोजन किया जाता है तो इस प्रतियोगिता में गोपाला प्रथम प्रयास में ही सफल नहीं हो जाते, बल्कि वे बार-बार पिरामिड तैयार कर फिर से मटकी फोड़ने का निरंतर प्रयास करते हैं और आखिर में मटकी तक पहुंच जाते हैं. दही हांडी फोड़ने में बार-बार आई असफलताओं के बावजूद निरतंर प्रयास करना यह सीख देता है कि धैर्य और समर्पण भाव से कुछ भी असंभव नहीं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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