CDS अनिल चौहान ने बताया ऑपरेशन सिंदूर का सीक्रेट, कहा- हमारा उद्देश्य सिर्फ बदला लेना नहीं था बल्कि...
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार (5 सितंबर 2025) को ऑपरेशन सिंदूर और चीन के साथ नए रिश्तों पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि चीन के साथ अनसुलझा सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से चलाया जा रहा प्रॉक्सी वॉर भारत की दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है. 'ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सिर्फ बदला लेना नहीं था' सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस दो प्रतिद्वंद्वियों से उत्पन्न खतरों से निपटना भारत के समक्ष एक और बड़ी चुनौती है, क्योंकि उसे किसी भी तरह के पारंपरिक युद्ध के लिए तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा कि सेना को ऑपरेशन सिंदूर को हैंडल करने की पूरी आजादी दी गई थी. सीडीएस ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य न केवल पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेना था, बल्कि सीमा पार से होने वाले आतंकवाद पर एक 'लक्ष्मण रेखा' भी खींचना था. जम्मू कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया था, जिसमें पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था. चीन के साथ सीमा विवाद: चुनौती उन्होंने कहा ‘‘मैं चीन के साथ अनसुलझे सीमा विवाद को सबसे बड़ी चुनौती मानता हूं. दूसरी बड़ी चुनौती पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ चलाया जा रहा प्रॉक्सी वॉर है. पाकिस्तान की रणनीति भारत को हजार जख्म देकर लहूलुहान करने की रही है. इसका मतलब है कि नियमित अंतराल पर भारत को धीरे-धीरे चोट पहुंचाते रहो और देश में खून बहाना जारी रखो.’’ उन्होंने कहा कि तीसरी सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती क्षेत्रीय अस्थिरता से उत्पन्न हो रही है, खासकर जिस तरह से भारत के पड़ोसी देश सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अशांति का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति भारत को भी प्रभावित करती है. सीडीएस ने बताया कि भविष्य में कैसे होगा युद्ध? जनरल चौहान ने कहा ‘‘चौथी चुनौती यह होगी कि भविष्य में हम किस तरह के युद्ध लड़ेंगे. युद्ध के तरीके तेजी से बदल रहे हैं. भविष्य के युद्ध केवल जमीन, हवा और पानी तक ही सीमित नहीं होंगे. इसमें अंतरिक्ष, साइबर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्र भी शामिल होंगे. हमारे लिए ऐसे परिदृश्य के लिए समायोजन करना और खुद को तैयार रखना एक चुनौती होगी.’’ पांचवीं चुनौती के बारे में सीडीएस ने कहा, ‘‘हमारे दोनों प्रतिद्वंद्वी परमाणु हथियारों से लैस हैं और यह हमारे लिए एक चुनौती बनी रहेगी कि हम किस तरह का पारंपरिक युद्ध लड़ेंगे और उनसे निपटने के लिए हम किस तरह का अभियान चुनेंगे.’’ जनरल चौहान ने कहा कि छठी चुनौती भविष्य के युद्ध पर टेक्नोलॉजी और उसके प्रभाव को लेकर है. ये भी पढ़ें : RSS और संघ सहयोगियों की जोधपुर में बड़ी बैठक, 32 संगठनों के नेता शामिल, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार (5 सितंबर 2025) को ऑपरेशन सिंदूर और चीन के साथ नए रिश्तों पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि चीन के साथ अनसुलझा सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से चलाया जा रहा प्रॉक्सी वॉर भारत की दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है.
'ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सिर्फ बदला लेना नहीं था'
सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस दो प्रतिद्वंद्वियों से उत्पन्न खतरों से निपटना भारत के समक्ष एक और बड़ी चुनौती है, क्योंकि उसे किसी भी तरह के पारंपरिक युद्ध के लिए तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा कि सेना को ऑपरेशन सिंदूर को हैंडल करने की पूरी आजादी दी गई थी. सीडीएस ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य न केवल पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेना था, बल्कि सीमा पार से होने वाले आतंकवाद पर एक 'लक्ष्मण रेखा' भी खींचना था.
जम्मू कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया था, जिसमें पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था.
चीन के साथ सीमा विवाद: चुनौती
उन्होंने कहा ‘‘मैं चीन के साथ अनसुलझे सीमा विवाद को सबसे बड़ी चुनौती मानता हूं. दूसरी बड़ी चुनौती पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ चलाया जा रहा प्रॉक्सी वॉर है. पाकिस्तान की रणनीति भारत को हजार जख्म देकर लहूलुहान करने की रही है. इसका मतलब है कि नियमित अंतराल पर भारत को धीरे-धीरे चोट पहुंचाते रहो और देश में खून बहाना जारी रखो.’’
उन्होंने कहा कि तीसरी सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती क्षेत्रीय अस्थिरता से उत्पन्न हो रही है, खासकर जिस तरह से भारत के पड़ोसी देश सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अशांति का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति भारत को भी प्रभावित करती है.
सीडीएस ने बताया कि भविष्य में कैसे होगा युद्ध?
जनरल चौहान ने कहा ‘‘चौथी चुनौती यह होगी कि भविष्य में हम किस तरह के युद्ध लड़ेंगे. युद्ध के तरीके तेजी से बदल रहे हैं. भविष्य के युद्ध केवल जमीन, हवा और पानी तक ही सीमित नहीं होंगे. इसमें अंतरिक्ष, साइबर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्र भी शामिल होंगे. हमारे लिए ऐसे परिदृश्य के लिए समायोजन करना और खुद को तैयार रखना एक चुनौती होगी.’’
पांचवीं चुनौती के बारे में सीडीएस ने कहा, ‘‘हमारे दोनों प्रतिद्वंद्वी परमाणु हथियारों से लैस हैं और यह हमारे लिए एक चुनौती बनी रहेगी कि हम किस तरह का पारंपरिक युद्ध लड़ेंगे और उनसे निपटने के लिए हम किस तरह का अभियान चुनेंगे.’’ जनरल चौहान ने कहा कि छठी चुनौती भविष्य के युद्ध पर टेक्नोलॉजी और उसके प्रभाव को लेकर है.
ये भी पढ़ें : RSS और संघ सहयोगियों की जोधपुर में बड़ी बैठक, 32 संगठनों के नेता शामिल, इन मुद्दों पर होगी चर्चा
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