‘1983 में ली नागरिकता तो 1980 में कैसे बनीं वोटर’, सोनिया गांधी के खिलाफ कोर्ट पहुंचा शख्स, याचिका दायर

कांग्रेस की संसदीय समिति की चेयरपर्सन और राज्यसभा सदस्य सोनिया गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मंगलवार (2 सितंबर, 2025) को एक याचिका दायर की गई है. दाखिल की गई याचिका में आरोप लगाया गया कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले ही मतदाता सूची में शामिल किया गया था. बीएनएसएस की धारा 175 (4), जो मजिस्ट्रेट जांच का आदेश देने की शक्ति देता है, के तहत अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया के समक्ष आवेदन में पुलिस को इस आरोप की जांच का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है कि सोनिया गांधी 1983 में भारतीय नागरिक बनी थीं, लेकिन उनका नाम 1980 की मतदाता सूची में था. 1980 में मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए गांधी ने दिए कौन से दस्तावेज? शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने दलील दी कि कुछ दस्तावेज के अनुसार यह स्पष्ट है कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल, 1983 को नागरिकता ली थी. नारंग ने कहा, ‘नाम हटाने का कारण कहीं नहीं मिल रहा है. इसके दो कारण हो सकते हैं या तो कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश की नागरिकता ले ले या फॉर्म 8 (ब्योरे में सुधार के लिए आवेदन) दाखिल करे, लेकिन शर्त यह है कि व्यक्ति वहां का नागरिक हो.’ उन्होंने पूछा, ‘1980 में जब उनका नाम सूची में शामिल किया गया तो निर्वाचन आयोग को कौन से दस्तावेज दिए गए थे?’ पुलिस को उचित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने का दिया जाए निर्देश नारंग ने दावा किया कि इसमें कुछ जालसाजी हुई है और एक सार्वजनिक प्राधिकार को धोखा दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘मेरा सीमित अनुरोध है कि पुलिस को उचित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए. प्राथमिकी बनती है या नहीं, यह पुलिस का अधिकारक्षेत्र है.’ नारंग ने कहा कि अंतरिम अवधि में पुलिस को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया जा सकता है. वहीं, अदालत ने मामले की सुनवाई 10 सितंबर के लिए स्थगित कर दी. यह भी पढ़ेंः पंजाब और जम्मू की बाढ़ ने बढ़ाई भारत की टेंशन, PAK सीमा पर 110 किमी लंबी बाड़ और BSF की 90 चौकियां डैमेज

Sep 4, 2025 - 21:30
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‘1983 में ली नागरिकता तो 1980 में कैसे बनीं वोटर’, सोनिया गांधी के खिलाफ कोर्ट पहुंचा शख्स, याचिका दायर

कांग्रेस की संसदीय समिति की चेयरपर्सन और राज्यसभा सदस्य सोनिया गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मंगलवार (2 सितंबर, 2025) को एक याचिका दायर की गई है. दाखिल की गई याचिका में आरोप लगाया गया कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले ही मतदाता सूची में शामिल किया गया था.

बीएनएसएस की धारा 175 (4), जो मजिस्ट्रेट जांच का आदेश देने की शक्ति देता है, के तहत अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया के समक्ष आवेदन में पुलिस को इस आरोप की जांच का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है कि सोनिया गांधी 1983 में भारतीय नागरिक बनी थीं, लेकिन उनका नाम 1980 की मतदाता सूची में था.

1980 में मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए गांधी ने दिए कौन से दस्तावेज?

शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने दलील दी कि कुछ दस्तावेज के अनुसार यह स्पष्ट है कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल, 1983 को नागरिकता ली थी. नारंग ने कहा, ‘नाम हटाने का कारण कहीं नहीं मिल रहा है. इसके दो कारण हो सकते हैं या तो कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश की नागरिकता ले ले या फॉर्म 8 (ब्योरे में सुधार के लिए आवेदन) दाखिल करे, लेकिन शर्त यह है कि व्यक्ति वहां का नागरिक हो.’ उन्होंने पूछा, ‘1980 में जब उनका नाम सूची में शामिल किया गया तो निर्वाचन आयोग को कौन से दस्तावेज दिए गए थे?’

पुलिस को उचित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने का दिया जाए निर्देश

नारंग ने दावा किया कि इसमें कुछ जालसाजी हुई है और एक सार्वजनिक प्राधिकार को धोखा दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘मेरा सीमित अनुरोध है कि पुलिस को उचित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए. प्राथमिकी बनती है या नहीं, यह पुलिस का अधिकारक्षेत्र है.’

नारंग ने कहा कि अंतरिम अवधि में पुलिस को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया जा सकता है. वहीं, अदालत ने मामले की सुनवाई 10 सितंबर के लिए स्थगित कर दी.

यह भी पढ़ेंः पंजाब और जम्मू की बाढ़ ने बढ़ाई भारत की टेंशन, PAK सीमा पर 110 किमी लंबी बाड़ और BSF की 90 चौकियां डैमेज

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