15 की उम्र में किया पहला आंदोलन, जनसंघर्षों की मिसाल रहे CPI नेता सुरवरन सुधाकर रेड्डी का निधन

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के वरिष्ठ नेता और पूर्व महासचिव सुरवरम सुधाकर रेड्डी का 83 वर्ष की आयु में शुक्रवार (22 अगस्त, 2025) को देर रात हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. उनके परिवार के अनुसार, वह लंबे समय से आयु-संबंधी बीमारियों और सांस लेने में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती थे. उनके निधन की खबर से तेलंगाना और देशभर में सीपीआई कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई. सुरवरम सुधाकर रेड्डी का जन्म 25 मार्च 1942 को तेलंगाना के महबूबनगर जिले (वर्तमान में जोगुलंबा गदवाल जिला) के कोंद्रवुपल्ली गांव में हुआ था. उनके पिता सुरवरम वेंकटरामी रेड्डी स्वतंत्रता सेनानी थे, जबकि उनके चाचा सुरवरम प्रताप रेड्डी प्रसिद्ध कवि और सामाजिक सुधारक थे.  स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के लिए आंदोलन का किया नेतृत्व सुधाकर रेड्डी ने अपनी राजनीतिक यात्रा 15 वर्ष की आयु में शुरू की, जब उन्होंने कुरनूल में स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया. उन्होंने कुरनूल से बीए और हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की. 1960 में वह ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के सचिव बने और 1970 में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद, वह ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन (एआईवायएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. 1988 और 2004 में वह नलगोंदा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद चुने गए. 2012 में वह सीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव बने और 2019 तक इस पद पर रहे. उनके नेतृत्व में सीपीआई ने तेलंगाना आंदोलन और बिजली शुल्क वृद्धि के खिलाफ आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पार्थिव शरीर को किया जाएगा दान सुधाकर रेड्डी अपनी सादगी और वैचारिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे. वह मजदूरों, किसानों और हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्षरत रहे. उनके निधन पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, बीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव और सीपीआई महासचिव डी. राजा सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया.  उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर गांधी मेडिकल कॉलेज को दान किया जाएगा. उनके निधन से भारतीय वामपंथी आंदोलन को अपूरणीय क्षति हुई है. वह हमेशा अपनी विचारधारा और जनसंघर्षों के लिए याद किए जाएंगे. ये भी पढ़ें:- 'एक पेड़ मां के नाम' से लेकर स्वच्छता अभियान तक... पीएम मोदी के जन्मदिन पर बीजेपी कर रही ये खास तैयारी

Aug 23, 2025 - 16:30
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15 की उम्र में किया पहला आंदोलन, जनसंघर्षों की मिसाल रहे CPI नेता सुरवरन सुधाकर रेड्डी का निधन

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के वरिष्ठ नेता और पूर्व महासचिव सुरवरम सुधाकर रेड्डी का 83 वर्ष की आयु में शुक्रवार (22 अगस्त, 2025) को देर रात हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. उनके परिवार के अनुसार, वह लंबे समय से आयु-संबंधी बीमारियों और सांस लेने में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती थे. उनके निधन की खबर से तेलंगाना और देशभर में सीपीआई कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई.

सुरवरम सुधाकर रेड्डी का जन्म 25 मार्च 1942 को तेलंगाना के महबूबनगर जिले (वर्तमान में जोगुलंबा गदवाल जिला) के कोंद्रवुपल्ली गांव में हुआ था. उनके पिता सुरवरम वेंकटरामी रेड्डी स्वतंत्रता सेनानी थे, जबकि उनके चाचा सुरवरम प्रताप रेड्डी प्रसिद्ध कवि और सामाजिक सुधारक थे. 

स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के लिए आंदोलन का किया नेतृत्व

सुधाकर रेड्डी ने अपनी राजनीतिक यात्रा 15 वर्ष की आयु में शुरू की, जब उन्होंने कुरनूल में स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया. उन्होंने कुरनूल से बीए और हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की.

1960 में वह ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के सचिव बने और 1970 में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद, वह ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन (एआईवायएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. 1988 और 2004 में वह नलगोंदा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद चुने गए. 2012 में वह सीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव बने और 2019 तक इस पद पर रहे. उनके नेतृत्व में सीपीआई ने तेलंगाना आंदोलन और बिजली शुल्क वृद्धि के खिलाफ आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

पार्थिव शरीर को किया जाएगा दान

सुधाकर रेड्डी अपनी सादगी और वैचारिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे. वह मजदूरों, किसानों और हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्षरत रहे. उनके निधन पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, बीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव और सीपीआई महासचिव डी. राजा सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया. 

उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर गांधी मेडिकल कॉलेज को दान किया जाएगा. उनके निधन से भारतीय वामपंथी आंदोलन को अपूरणीय क्षति हुई है. वह हमेशा अपनी विचारधारा और जनसंघर्षों के लिए याद किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें:- 'एक पेड़ मां के नाम' से लेकर स्वच्छता अभियान तक... पीएम मोदी के जन्मदिन पर बीजेपी कर रही ये खास तैयारी

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