13 अगस्त तक 'आर्द्रा' में अतिचारी गुरु: युद्ध, महामारी और राजनीतिक भूचाल का खतरा!

Jupiter Transit 2025: एक ओर तकनीकी क्रांति का उगता सूरज, दूसरी ओर युद्ध, महामारी और राजनीतिक उथल-पुथल की आशंका...14 जून की रात 12:07 बजे से बृहस्पति 'राहु' के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर चुके हैं, जहां वे 13 अगस्त तक रहेंगे. यह वही नक्षत्र है जिसे विनाश और पुनर्जन्म का संकेतक माना गया है. जब गुरु जैसे शुभ ग्रह भी राहु के प्रभाव में आ जाएं और वह भी अतिचारी चाल में हो, तो समझिए कि बदलाव अब सामान्य नहीं, भयावह हो सकते हैं. गुरु गोचर की समय सीमा और स्थिति घटना  तिथि   राशि नक्षत्र  विशेष गुरु का मिथुन में प्रवेश (अतिचारी) 14 मई 2025 मिथुन ---- शीघ्र गति (अतिचारी) आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश 14 जून 2025 मिथुन आर्द्रा अशुभ प्रभाव आर्द्रा नक्षत्र से प्रस्थान  13 अगस्त 2025  मिथुन  पुनर्वसु स्थिति में बदलाव संभव मेदिनी ज्योतिष के संकेतशुभ ग्रह जब अतिचारी हो और क्रूर ग्रह वक्री हो तो भविष्य फल भास्कर के अनुसार क्रूरा वक्रा यदा काले सोम्या: शीघ्रास्तु चागता:.अनावृष्टि च दुर्भिक्षं नृपराष्ट्रभयन्करा:. यानि जब शनि, राहु जैसे ग्रह वक्री हों और गुरु जैसे शुभ ग्रह तेज़ गति से चलें (अतिचारी), तब भयंकर बारिश, अकाल, युद्ध और सत्ता संकट की आशंका प्रबल होती है. प्रमुख प्रभाव: देश-दुनिया पर गुरु-आर्द्रा का तूफान 1- युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता देशों में तख्तापलट, सैनिक हस्तक्षेप या सत्ता परिवर्तन की आशंका धर्म आधारित संघर्ष और सांप्रदायिक तनाव यूक्रेन, मध्य-पूर्व और एशिया में युद्ध की संभावना भारत सहित कई देशों में चुनावी हलचल और जन-आंदोलन 2- प्राकृतिक आपदाएं और मौसम उथल-पुथल अतिवृष्टि, बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, समुद्री तूफ़ान की संभावना हिमालय, अंटार्कटिका और आर्कटिक में ग्लेशियर विघटन खाद्य संकट और जलवायु जनित बीमारियाँ 3- औद्योगिक, यातायात और तकनीकी हादसे गैस लीक, फैक्ट्री ब्लास्ट, ट्रेन-हवाई जहाज दुर्घटनाएं रक्षा और ऊर्जा सेक्टर में तकनीकी विफलताएं 4- तकनीकी विस्फोट AI, Quantum Computing, रक्षा तकनीक, स्पेस मिशन में तीव्र प्रगति अमेरिका, चीन और भारत के बीच टेक्नो-रेस तेज़ होगी मानव मिशन की गति में तेजी (Moon, Mars) आध्यात्मिक और धार्मिक प्रभाव धार्मिक संगठन सक्रिय होंगे; ‘धर्म का प्रचार’ आक्रामक हो सकता है धार्मिक झगड़े, परंपरा थोपने के प्रयास और वैचारिक असहिष्णुता बढ़ सकती है धर्म के नाम पर युद्ध जैसे हालात क्या करें उपाय? (Remedies & Protection) हं हनुमते नमः सुबह-शाम 108 बार जाप करें हनुमान जी के सामने दीपक सरसों के तेल का दीपक जलाएं लाल मसूर दाल चढ़ाएं शाम को हनुमान मंदिर में चढ़ाएं पान और बूंदी का भोग मंगलवार और शनिवार को महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती घर में नियमित पाठ करें बृहस्पति का आर्द्रा नक्षत्र में गोचर महज एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि मानवीय चेतना, राजनीति, अर्थव्यवस्था और जलवायु तक को झकझोर देने वाला परिवर्तन काल है. यह समय सावधानी, साधना और सजगता की मांग करता है. जहां विनाश है, वहीं नव निर्माण की भी संभावना है, बशर्ते हम समय के संकेतों को समझ पाएं. FAQQ. गुरु की अतिचारी चाल क्या होती है?जब गुरु बहुत तेजी से गोचर करता है (12 महीने के बजाय 2-3 माह में राशि बदलता है), तो उसे अतिचारी कहा जाता है. Q. आर्द्रा नक्षत्र में गुरु का गोचर क्यों खतरनाक माना जाता है?क्योंकि आर्द्रा रुद्र का नक्षत्र है, विनाश और पुनर्निर्माण का. जब गुरु जैसे शुभ ग्रह राहु और रुद्र के प्रभाव में आते हैं, तो घटनाएं तेज और तीव्र हो जाती हैं. Q. क्या कोई ठोस उपाय है इस समय की उथल-पुथल से बचने का?हनुमान साधना, महामृत्युंजय मंत्र जाप, और संयमित जीवनचर्या इस समय के लिए अत्यंत उपयोगी हैं. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Jul 1, 2025 - 21:30
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13 अगस्त तक 'आर्द्रा' में अतिचारी गुरु: युद्ध, महामारी और राजनीतिक भूचाल का खतरा!

Jupiter Transit 2025: एक ओर तकनीकी क्रांति का उगता सूरज, दूसरी ओर युद्ध, महामारी और राजनीतिक उथल-पुथल की आशंका...14 जून की रात 12:07 बजे से बृहस्पति 'राहु' के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर चुके हैं, जहां वे 13 अगस्त तक रहेंगे.

यह वही नक्षत्र है जिसे विनाश और पुनर्जन्म का संकेतक माना गया है. जब गुरु जैसे शुभ ग्रह भी राहु के प्रभाव में आ जाएं और वह भी अतिचारी चाल में हो, तो समझिए कि बदलाव अब सामान्य नहीं, भयावह हो सकते हैं.

गुरु गोचर की समय सीमा और स्थिति

घटना  तिथि   राशि नक्षत्र  विशेष
गुरु का मिथुन में प्रवेश (अतिचारी) 14 मई 2025 मिथुन ---- शीघ्र गति (अतिचारी)
आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश 14 जून 2025 मिथुन आर्द्रा अशुभ प्रभाव
आर्द्रा नक्षत्र से प्रस्थान  13 अगस्त 2025  मिथुन  पुनर्वसु स्थिति में बदलाव संभव


मेदिनी ज्योतिष के संकेत
शुभ ग्रह जब अतिचारी हो और क्रूर ग्रह वक्री हो तो भविष्य फल भास्कर के अनुसार

क्रूरा वक्रा यदा काले सोम्या: शीघ्रास्तु चागता:.
अनावृष्टि च दुर्भिक्षं नृपराष्ट्रभयन्करा:.

यानि जब शनि, राहु जैसे ग्रह वक्री हों और गुरु जैसे शुभ ग्रह तेज़ गति से चलें (अतिचारी), तब भयंकर बारिश, अकाल, युद्ध और सत्ता संकट की आशंका प्रबल होती है.

प्रमुख प्रभाव: देश-दुनिया पर गुरु-आर्द्रा का तूफान

1- युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता

  • देशों में तख्तापलट, सैनिक हस्तक्षेप या सत्ता परिवर्तन की आशंका
  • धर्म आधारित संघर्ष और सांप्रदायिक तनाव
  • यूक्रेन, मध्य-पूर्व और एशिया में युद्ध की संभावना
  • भारत सहित कई देशों में चुनावी हलचल और जन-आंदोलन

2- प्राकृतिक आपदाएं और मौसम उथल-पुथल

  • अतिवृष्टि, बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, समुद्री तूफ़ान की संभावना
  • हिमालय, अंटार्कटिका और आर्कटिक में ग्लेशियर विघटन
  • खाद्य संकट और जलवायु जनित बीमारियाँ

3- औद्योगिक, यातायात और तकनीकी हादसे

  • गैस लीक, फैक्ट्री ब्लास्ट, ट्रेन-हवाई जहाज दुर्घटनाएं
  • रक्षा और ऊर्जा सेक्टर में तकनीकी विफलताएं

4- तकनीकी विस्फोट

  • AI, Quantum Computing, रक्षा तकनीक, स्पेस मिशन में तीव्र प्रगति
  • अमेरिका, चीन और भारत के बीच टेक्नो-रेस तेज़ होगी
  • मानव मिशन की गति में तेजी (Moon, Mars)

आध्यात्मिक और धार्मिक प्रभाव

  • धार्मिक संगठन सक्रिय होंगे; ‘धर्म का प्रचार’ आक्रामक हो सकता है
  • धार्मिक झगड़े, परंपरा थोपने के प्रयास और वैचारिक असहिष्णुता बढ़ सकती है
  • धर्म के नाम पर युद्ध जैसे हालात

क्या करें उपाय? (Remedies & Protection)

  • हं हनुमते नमः सुबह-शाम 108 बार जाप करें
  • हनुमान जी के सामने दीपक सरसों के तेल का दीपक जलाएं
  • लाल मसूर दाल चढ़ाएं शाम को हनुमान मंदिर में चढ़ाएं
  • पान और बूंदी का भोग मंगलवार और शनिवार को
  • महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती घर में नियमित पाठ करें

बृहस्पति का आर्द्रा नक्षत्र में गोचर महज एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि मानवीय चेतना, राजनीति, अर्थव्यवस्था और जलवायु तक को झकझोर देने वाला परिवर्तन काल है. यह समय सावधानी, साधना और सजगता की मांग करता है. जहां विनाश है, वहीं नव निर्माण की भी संभावना है, बशर्ते हम समय के संकेतों को समझ पाएं.

FAQ
Q. गुरु की अतिचारी चाल क्या होती है?
जब गुरु बहुत तेजी से गोचर करता है (12 महीने के बजाय 2-3 माह में राशि बदलता है), तो उसे अतिचारी कहा जाता है.

Q. आर्द्रा नक्षत्र में गुरु का गोचर क्यों खतरनाक माना जाता है?
क्योंकि आर्द्रा रुद्र का नक्षत्र है, विनाश और पुनर्निर्माण का. जब गुरु जैसे शुभ ग्रह राहु और रुद्र के प्रभाव में आते हैं, तो घटनाएं तेज और तीव्र हो जाती हैं.

Q. क्या कोई ठोस उपाय है इस समय की उथल-पुथल से बचने का?
हनुमान साधना, महामृत्युंजय मंत्र जाप, और संयमित जीवनचर्या इस समय के लिए अत्यंत उपयोगी हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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