सिर्फ शरीर ही नहीं हमारे दिमाग को भी बूढ़ा बना गया है कोरोना वायरस, स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
Coronavirus Brain Aging: कोरोना महामारी के समय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. इस दौरान हमने जाना कि यह वायरस सिर्फ फेफड़ों या प्रतिरोधक क्षमता पर ही नहीं, बल्कि हमारे मानसिक और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है. अब एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 महामारी ने इंसानों के दिमाग की उम्र को तेजी से बढ़ा दिया है, चाहे व्यक्ति वायरस से संक्रमित हुआ हो या नहीं. क्या कहती है नई स्टडी? नई स्टडी के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने MRI स्कैन का इस्तेमाल कर दिमाग की उम्र का अनुमान लगाने वाले मॉडल बनाए. इसके बाद 996 प्रतिभागियों के दो-दो MRI स्कैन की तुलना की गई. दोनों स्कैन मार्च 2020 से पहले किए गए थे. पहले स्कैन में दोनों ग्रुप्स में कोई बड़ा अंतर नहीं दिखा. लेकिन दूसरे स्कैन में महामारी ग्रुप में दिमाग की उम्र तेजी से बढ़ी हुई पाई गई. ये भी पढ़े- किन बीमारियों से जूझ रही हैं मुकेश अंबानी की मां कोकिलाबेन, जानें ये कितनी खतरनाक? बिना कोविड संक्रमण के भी बढ़ी ब्रेन एजिंग शोधकर्ताओं के मुताबिक, दोनों रिसर्च में दिमाग की उम्र बढ़ने की रफ्तार कंट्रोल ग्रुप से ज्यादा थी. यानी ब्रेन एजिंग सिर्फ कोविड संक्रमण से नहीं, बल्कि महामारी के माहौल और उससे जुड़े तनाव, जीवनशैली और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं से भी जुड़ी है. उम्र और लिंग के आधार पर फर्क उम्र के साथ कंट्रोल ग्रुप में दिमाग लगभग 3 दिन तेजी से बूढ़ा हो रहा था. लेकिन महामारी ग्रुप में यह बढ़कर 7 से 8 दिन प्रति साल हो गया था. कोविड संक्रमण वाले लोगों में यह दर और भी ज्यादा देखने को मिली, जो 9 से 10 दिन का दिखाई दिया था. दिलचस्प बात यह रही कि पुरुषों में ग्रे मैटर एजिंग और तेज पाई गई. इस रिसर्च से क्या सीख मिलती है? महामारी ने केवल संक्रमित लोगों को नहीं, बल्कि हर किसी के मानसिक और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य को प्रभावित किया बढ़ती ब्रेन एजिंग का मतलब है कि भविष्य में याददाश्त की समस्या, डिप्रेशन और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है शोधकर्ता मानते हैं कि इसे रोकने के लिए सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल और सामाजिक असमानताओं को भी ध्यान में रखना जरूरी है यह स्टडी हमें याद दिलाती है कि कोरोना महामारी का प्रभाव गहरा और बहुआयामी रहा है. भले ही वायरस अब उतना घातक न दिखे, लेकिन इसका दीर्घकालिक असर दिमाग की उम्र बढ़ने के रूप में सामने आ रहा है. ऐसे में जरूरी है कि हम मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन, और स्वस्थ जीवनशैली को प्राथमिकता दें, ताकि अपने दिमाग को अनावश्यक रूप से जल्दी बूढ़ा होने से बचा सकें. ये भी पढ़ें: पैंक्रियाटिक कैंसर से अमेरिका के फेमस जज फ्रैंक कैप्रियो का निधन, जानें यह बीमारी कितनी खतरनाक? Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Coronavirus Brain Aging: कोरोना महामारी के समय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. इस दौरान हमने जाना कि यह वायरस सिर्फ फेफड़ों या प्रतिरोधक क्षमता पर ही नहीं, बल्कि हमारे मानसिक और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है. अब एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 महामारी ने इंसानों के दिमाग की उम्र को तेजी से बढ़ा दिया है, चाहे व्यक्ति वायरस से संक्रमित हुआ हो या नहीं.
क्या कहती है नई स्टडी?
नई स्टडी के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने MRI स्कैन का इस्तेमाल कर दिमाग की उम्र का अनुमान लगाने वाले मॉडल बनाए. इसके बाद 996 प्रतिभागियों के दो-दो MRI स्कैन की तुलना की गई. दोनों स्कैन मार्च 2020 से पहले किए गए थे. पहले स्कैन में दोनों ग्रुप्स में कोई बड़ा अंतर नहीं दिखा. लेकिन दूसरे स्कैन में महामारी ग्रुप में दिमाग की उम्र तेजी से बढ़ी हुई पाई गई.
ये भी पढ़े- किन बीमारियों से जूझ रही हैं मुकेश अंबानी की मां कोकिलाबेन, जानें ये कितनी खतरनाक?
बिना कोविड संक्रमण के भी बढ़ी ब्रेन एजिंग
शोधकर्ताओं के मुताबिक, दोनों रिसर्च में दिमाग की उम्र बढ़ने की रफ्तार कंट्रोल ग्रुप से ज्यादा थी. यानी ब्रेन एजिंग सिर्फ कोविड संक्रमण से नहीं, बल्कि महामारी के माहौल और उससे जुड़े तनाव, जीवनशैली और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं से भी जुड़ी है.
उम्र और लिंग के आधार पर फर्क
उम्र के साथ कंट्रोल ग्रुप में दिमाग लगभग 3 दिन तेजी से बूढ़ा हो रहा था. लेकिन महामारी ग्रुप में यह बढ़कर 7 से 8 दिन प्रति साल हो गया था. कोविड संक्रमण वाले लोगों में यह दर और भी ज्यादा देखने को मिली, जो 9 से 10 दिन का दिखाई दिया था. दिलचस्प बात यह रही कि पुरुषों में ग्रे मैटर एजिंग और तेज पाई गई.
इस रिसर्च से क्या सीख मिलती है?
- महामारी ने केवल संक्रमित लोगों को नहीं, बल्कि हर किसी के मानसिक और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य को प्रभावित किया
- बढ़ती ब्रेन एजिंग का मतलब है कि भविष्य में याददाश्त की समस्या, डिप्रेशन और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है
- शोधकर्ता मानते हैं कि इसे रोकने के लिए सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल और सामाजिक असमानताओं को भी ध्यान में रखना जरूरी है
यह स्टडी हमें याद दिलाती है कि कोरोना महामारी का प्रभाव गहरा और बहुआयामी रहा है. भले ही वायरस अब उतना घातक न दिखे, लेकिन इसका दीर्घकालिक असर दिमाग की उम्र बढ़ने के रूप में सामने आ रहा है. ऐसे में जरूरी है कि हम मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन, और स्वस्थ जीवनशैली को प्राथमिकता दें, ताकि अपने दिमाग को अनावश्यक रूप से जल्दी बूढ़ा होने से बचा सकें.
ये भी पढ़ें: पैंक्रियाटिक कैंसर से अमेरिका के फेमस जज फ्रैंक कैप्रियो का निधन, जानें यह बीमारी कितनी खतरनाक?
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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